जयपुर. शनिवार 18 जुलाई को सावन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. शनि प्रदोष होने के साथ ही सावन माह का पहला प्रदोष व्रत है. सावन के प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है. क्योंकि त्रयोदशी तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होती है और सावन माह देवों के देव महादेव की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष का व्रत सबसे उत्तम माना जाता है. सावन के प्रथम प्रदोष या शनि प्रदोष का व्रत, पूजा विधि और मुहूर्त के बारें में ज्योतिष परिषद और पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि, सावन कृष्ण त्रयोदशी के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर प्रदोष व्रत और पूजा का संकल्प लें. फिर दिन में भगवान शिव की सावन में होने वाली नियमित पूजा करें. दिनभर फलाहार करते हुए व्रत के नियमों का पालन करें. इसके बाद शाम को प्रदोष काल मुहूर्त में पूजा के लिए तैयारी कर ले. फिर मुहूर्त के समय भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें.