जयपुर. लॉकडाउन में मंदिरों के कपाट बंद हो गए. भक्त घरों में कैद हो गए. आस्था के केंद्र बंद होने से इसका सीधा असर छोटे मंदिरों के पुजारियों पर पड़ा है. पुजारियों की दक्षिणा पर ग्रहण लगने से हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि दो वक्त की रोटी के लिए भी उन्हें जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
कोरोना के चलते भक्त मंदिर नहीं जा पा रहे हैं. न ही कोई धार्मिक कार्यक्रमों की अनुमति है. ऐसे में पुजारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. अब घर चलाना मुश्किल हो गया है. छोटे मंदिरों के पुजारियों की आय का मुख्य स्त्रोत मंदिर में आने वाला चढ़ावा है. शादी-ब्याह, पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान कराने पर मिलने वाली दक्षिणा से उनके परिवार का गुजारा चलता है. लॉकडाउन ने उनकी दक्षिणा पर लॉक लगाकर इतना डाउन कर दिया कि इससे पार पाना उनके लिए काफी मुश्किल हो गया है.
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सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद
अब पंडितों की आखिरी उम्मीद राज्य सरकार ही है. सरकार ने लगभग सभी पीड़ित वर्गों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है. पुजारी वर्ग भी राहत पैकेज की उम्मीद लिए बैठा है ताकि उनका जीवन भी पटरी पर लौट सके.
आजीविका पर संकट