जयपुर. देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन के दस्तक (Fear OF Omicron) के बाद सरकारों से लेकर आमजन की चिंता बढ़ गई है. इस बीच राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस की ओर से प्रस्तावित कार्यक्रम में लोगों की भीड़ जुटने की अंदेशा के बीच हर कोई गुहार लगा रहा है. इस मामले में एक तरफ जहां हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई है, वहीं सामाजिक संगठन और बुद्धिजीवी दोनों पार्टियों से कार्यक्रमों पर पुनः विचार के लिए आग्रह कर रहे हैं. इन सबके बीच अब छोटे-छोटे बच्चों ने भी शीट पर लॉकडाउन के हालात को दर्शाते हुए पेंटिंग के जरिए राजनेताओं से जयपुर में भीड़ न एकत्र होने देने की गुहार (children appeal by making painting) लगाई है.
दरअसल 5 दिसंबर को गृहमंत्री अमित शाह का दौरा जयपुर में प्रस्तावित है. वहीं 12 दिसंबर को कांग्रेस महंगाई को लेकर महारैली करने वाली है. जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के शामिल होने की चर्चाएं हैं. ऐसे में अब मासूम स्कूली बच्चों को ये डर सता रहा है कि कहीं इन पॉलीटिकल इवेंट के चक्कर में एक बार फिर प्रदेश में कोरोना विस्फोट ना हो जाए. कहीं फिर स्कूल बंद हो जाएं और लॉकडाउन होने के कारण ऑनलाइन एजुकेशन ना लेनी पड़ जाए. ऐसे में स्कूली बच्चे ड्राइंग शीट पर पहले हुए लॉकडाउन को दर्शाते हुए गुहार लगा रहे हैं कि 'अमित अंकल और सोनिया आंटी का जयपुर में स्वागत है, लेकिन भीड़ एकत्रित नहीं होने दें'.
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राज्य सरकार एक तरफ तो कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना करने और भीड़ नहीं जुट आने की अपील कर रही है. वहीं दूसरी ओर 12 दिसंबर को महंगाई को लेकर केंद्र के खिलाफ जयपुर में लाखों की संख्या में भीड़ जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. स्कूली बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के मामलों के बाद बीजेपी राज्य सरकार को तो घेर रही है. लेकिन 5 दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जयपुर दौरे को ऐतिहासिक बनाने को लेकर कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाने की भी तैयारी कर रही है. ऐसे में अब स्कूली छात्र इन चुनावी रैलियों और स्वागत कार्यक्रमों के परे अपने स्कूल दोबारा लॉक होने को लेकर चिंतित हैं.
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छात्रों ने अपनी कला के माध्यम से कोरोना के प्रति लापरवाही नहीं बरतने, मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करने, वैक्सीन लगाने जैसे मैसेज दिए. बच्चे भीड़ एकत्रित नहीं होने देने को लेकर गुहार लगाई है. साथ ही कहा कि भीड़ होने के बाद कहीं उन्हें एक बार फिर ऑनलाइन क्लास न लेनी पड़े. ऐसा होने पर उनकी सेहत और शिक्षा दोनों पर असर पड़ेगा. बच्चों ने कहा कि राजनीति बाद में उनकी सुरक्षा और पढ़ाई पहले जरूरी है.
पेंंटिंग बनाकर भीड़ न जुटाने की अपील की आपको बता दें कि लंबे अरसे बाद स्कूल में कक्षाओं का संचालन नियमित होने लगा है. हालांकि कुछ स्कूलों के बच्चों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अभिभावकों में अपने बच्चों को लेकर डर जरूर है. लेकिन शिक्षा को अहमियत देते हुए इस डर से आगे बढ़कर बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं. जहां लगातार कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना और सख्ती की बात की जा रही है. लेकिन ये बात तय है कि यदि देश में चुनाव प्रचार, रैलियां और स्वागत कार्यक्रम होते हैं तो वहां कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना करना लगभग असंभव जैसा हो जाएगा. लोग मास्क भले ही लगा लेंगे, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल कैसे रखेंगे?.