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किसानों की मांग पूरी नहीं हुई तो ग्रामस्तर से सोशल मीडिया आंदोलन शुरू किया जाएगाः रामपाल जाट

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Published : May 29, 2020, 6:38 PM IST

Updated : May 29, 2020, 8:41 PM IST

भारत सरकार की ओर से मूल्य समर्थन के अंतर्गत 'प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान' में 25 फीसदी की सीमा तक ही खरीद के प्रावधान हैं. खरीद का सरकारी लक्ष्य कम निर्धारित होने के कारण जिससे किसानों को मूल्यों से कम दामों पर अनाज बेचना पड़ता है. जिस वजह से किसानों को काफी ज्यादा घाटा सहना पड़ता है.

किसान नेता रामपाल जाट, Farmer leader Rampal Jat
किसानों को सहना पड़ रहा घाटा

जयपुर.सरकार की ओर से गेंहू, चना और सरसों की सरकारी लक्ष्यों के अनुसार ही खरीद हो जाए तो भी किसानों को अपनी शेष उपज औने-पौने दामों में बाजार में विवश होकर बेचना पड़ेगा. जिससे किसानों को 5,472 करोड़ रुपए का घाटा सहना पड़ेगा. यह राशि किसानों की जेब में नहीं आने से राजस्थान की अर्थव्यवस्था विपरीत रूप से प्रभावित होगी और बाजारों की रौनक भी फीकी होगी.

किसानों को सहना पड़ रहा घाटा

भारत सरकार की ओर से मूल्य समर्थन के अंतर्गत 'प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान' में कुल उत्पादन में से 25 फीसदी की सीमा तक ही खरीद के प्रावधान हैं. गेहूं के लिए खरीद का सरकारी लक्ष्य कम निर्धारित होने के कारण किसानो को गेहूं, सरसों, चना की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्यों से कम दामों पर बेचनी पड़ेगी. जिससे प्रति क्विंटल - 200 रुपए, 500 रुपए और1000 रुपए का घाटा सहना पड़ेगा. सरसों का - 3800 - 3900 क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य है. 4425 रुपए प्रति क्विंटल यानी 500 रुपए अधिक प्रति क्विंटल का घाटा. गेहूं- बाजार में एक लाख टन बिका है, जिसकी दर किसान को मिली 1600 से 1700 रुपए प्रति क्विंटल.

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जबकि समर्थन मूल्य है 1925 रुपए प्रति क्विंटल. यानी 300 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान. खास बात यह है केंद्र सरकार ने किसानों से गेंहू 1925 रुपए प्रति क्विंटल खरीदा जबकि उसी गेंहू को केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 2100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेचा. यानि किसानों से केंद्र 175 रुपए प्रति क्विंटल कम में खरीद कर राज्यों को अधिक दर में बेच रही है. जिस भाव में केंद्र सरकार राज्य सरकार को बेच रही है या तो उसी भाव मे किसानों से खरीदे नहीं तो 175 रुपए बोनस के रूप में किसान के खाते में डाले सरकार तभी सब को लाभ मिलेगा.

किसानों को नहीं मिल रहा सही दाम

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बैरियर होना चाहिए खत्मः

वहीं सरसों और चना की खरीद उत्पादन का सिर्फ 25 प्रतिशत ही होगा. यह बैरियर भी खत्म होना चाहिए ताकि किसानों की पूरी चना और सरसों की फसल समर्थन मूल्य पर खरीदी जा सके. किसान नेता रामपाल जाट बताते हैं कि कोरोना संक्रमण में भी सरकार की ओर से खरीद की अधिकतम अवधि 90 दिन रखने के कारण कंगाली में आटा गीला की कहावत चरितार्थ होगी. कुल उत्पादन में से सरकार की ओर से गेहूं खरीद के लिए 16.39 फीसदी चना के लिए 22.45 फीसदी और सरसों के लिए 26.47 फीसदी का लक्ष्य रखा गया है. इस साल एक महीना विलंब से खरीद आरंभ होने के कारण इस लक्ष्य प्राप्ति भी संदिग्ध रहेगी. किसानों की ओर से गेंहू पर प्रति क्विंटल कम से कम 175 रुपए बोनस केंद्र सरकार की ओर से देने का भी ज्ञापन में आग्रह किया गया है.

किसानों को नहीं मिल रहा सही दाम

सोशल मीडिया आंदोलनः

भारतीय खाद्य निगम की ओर से राजस्थान सरकार को गेहूं का विक्रय 2100 रुपए प्रति क्विंटल में किया जा रहा है. यह राशि न्यूनतम समर्थन मूल्य से 175 रुपए अधिक है. कृषि लागत और मूल्य आयोग के अनुसार गेंहू की सम्पूर्ण लागत (सी-2) 1425 रुपए प्रति क्विंटल का आंकलन किया गया है. उसके अनुसार गेंहू का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2137 रुपए प्रति क्विंटल के स्थान पर 1925 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जिससे किसानो को 212 रुपए प्रति क्विंटल के दाम कम मिलेंगे. रामपाल जाट ने कहा कि किसानों का मांग पत्र केंद्र और राज्य सरकार को दे दिया है. अगर मांगे नही मानी जाती है तो ग्रामस्तर से सोशल मीडिया आंदोलन शुरू किया जाएगा. कोरोना संक्रमण के चलते उसी तरह से आंदोलन की रूप रेखा तैयार की गई है. जरूरत पड़ी तो गांव बंद आंदोलन होंगे. जिसमे 45,539 गांव बंद का आह्वान किया जा सकता है. इसके बाद जब कोरोना संक्रमण नही रहेगा तब दिल्ली कूच भी किया जाएगा.

किसानों की मांगः

किसानों को काफी ज्यादा घाटा सहना पड़ रहा

1- सरसों और चना की संपूर्ण खरीद साल भर-ग्राम स्तर पर चालू रखी जाए. इसके लिए 'प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान' (पीएम आशा) के उस प्रावधान को बदला जाए, जिसमें खरीद कुल उत्पादन में से 25 फीसदी और अधिकतम 90 दिन का उल्लेख है. इस योजना में 40 फीसदी तक की सीमा तक 15 फीसदी उपज राज्य सरकार की ओर से अपने संसाधनों से खरीदने का उल्लेख है. जिसकी पालना किसान कल्याण कोष की राशि की ओर से किया जा सकता है.

2- कुल उत्पादन में से खरीद का लक्ष्य गेंहू के लिए 16.39 फीसदी, चना के लिए 22.45 फीसदी और सरसों के लिए 26.47 फीसदी तय हैं. परिणामस्वरूप 9,43,51,500 क्विंटल गेंहू 3,00,68,255 क्विंटल सरसों और 20825160 क्विंटल चना न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद से बाहर रहने के कारण किसानों को बाजारों में बेचने से गेंहू पर 18,87,03,00,000 (अठ्ठारह अरब सत्यासी करोड़ तीन लाख) रुपए, सरसों पर 15,03,41,27,500 (पंद्रह अरब तीन करोड़ इकतालीस लाख सत्ताईस हजार पांच सौ) रुपए, चना पर 20,82,51,60,000 (बीस अरब बयासी करोड़ इक्यावन लाख साठ हजार) रुपए के अनुसार कुल घाटा 54,72,95,87,500 (चौंवन अरब बहत्तर करोड़ पिच्यानवे लाख सत्यासी हजार पांच सौ)रुपए अनुमानित घाटा उठाना पड़ेगा. इस घाटे से किसानों को बचाने के लिए उक्तांकित लक्ष्य को बदलकर किसान अपनी उपज में से जितनी मात्रा में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचना चाहे, उस संपूर्ण उपज को खरीदने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया जाए.

किसानों को नहीं मिल रहा सही दाम

3- गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है जबकि गेहूं की संपूर्ण लागत (सी-2) 1435 रुपए प्रति क्विंटल है. उसके अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य 2137 रुपए प्रति क्विंटल होना चाहिए. इसकी भरपाई हेतु किसानों को प्रति क्विंटल 212 रुपए बोनस राशि के रूप में दी जाए.

4- अभी राजस्थान सरकार ने भारतीय खाद्य निगम से गेहूं खरीदना तय किया है. उसका मूल्य प्रति क्विंटल 2100 रुपए भारतीय खाद्य निगम ने निर्धारित किए हैं. यह भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से 175 रुपए प्रति क्विंटल अधिक है. इसके अनुसार भी किसानों को 175 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस दिया जाना चाहिए.

5- गेहूं के बोनस के रूप में 212 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को दिया जाना चाहिए. यदि सरकार इतना बोनस नहीं देना चाहे तो भारतीय खाद्य निगम की ओर से गेहूं विक्रय की राशि और न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि का अंतर 175 किसानों को दिया जाना न्यायसंगत है.

6- सभी उपजों की खरीद सालभर नहीं होने तक कोरोना संक्रमण को देखते हुए राजस्थान सरकार के अनुरोध के अनुसार कम से कम 6 माह इनकी खरीद चालू रखें जाए. साथ ही खरीद को व्यवस्थित करने के लिए समय के अनुसार आनुपातिक रूप से अतिरिक्त राशि किसानों को दी जाए, जिससे सोशल डिस्टेंस बनी रह सकें.

7- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान में से 25 फीसदी खरीद की सीमा हटने तक राजस्थान सरकार के अनुरोध के अनुसार तिलहन और दलहन की उपजों की खरीद, कुल उत्पादन में से कम से कम 50 फीसदी की जाए.

Last Updated : May 29, 2020, 8:41 PM IST

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