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कृषि कानूनों के खिलाफ राजस्थान में किसान संगठन एकजुट, 13 दिसंबर को करेंगे दिल्ली कूच

कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों के समर्थन में अब राजस्थान के किसान संगठन एकजुट हो गए हैं. आंदोलन का समर्थन कर रहे वामपंथी संगठन अब सरकार के साथ ही औद्योगिक घरानों को भी घेरेंगे, जबकि भारतीय किसान संघ ने 4 संशोधनों के साथ इन कृषि कानूनों को लागू करने की मांग की है. किसान संघ का कहना है कि ये कानून किसानों के लिए फायदेमंद होंगे.

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राजस्थान में किसान संगठन एकजुट

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Published : Dec 11, 2020, 9:23 PM IST

जयपुर. केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में अब राजस्थान के किसान संगठन एकजुट होकर आंदोलन को गति देंगे. इन कानूनों का विरोध कर रहे संगठन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले इस आंदोलन को मजबूती देने में जुट गए हैं. जबकि वामपंथी संगठन इन कानूनों के मुद्दे पर सरकार के साथ ही औद्योगिक घरानों को भी घेरने की तैयारी में है.

राजस्थान में किसान संगठन एकजुट

इसके साथ ही किसानों का जत्था 12 दिसंबर को कोटपुतली में इकट्ठा होकर 13 दिसंबर को दिल्ली की तरफ कूच करेंगे. हालांकि, भारतीय किसान संघ इन कृषि कानूनों में चार संशोधनों के साथ इन्हें लागू करने की पैरवी कर रहा है. भारतीय किसान संघ का मानना है कि देश में पहली बार किसी सरकार ने इस दिशा में रिफार्म करने का प्रयास किया है.

13 नवंबर को दिल्ली हाईवे की तरफ करेंगे कूच

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने बताया कि दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के हाथ मजबूत करने के लिए राजस्थान के किसान 12 दिसंबर को प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से कोटपुतली में एकजुट होंगे, जहां से 13 दिसम्बर को दिल्ली हाईवे की तरफ कूच किया जाएगा. रास्ते में यदि पुलिस ने रोका तो वहीं पर महापड़ाव डालने की भी चेतावनी दी गई है.

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बताया जा रहा है कि दिल्ली कूच में शामिल होने वाले किसान जरूरत का सामान और रसद सामग्री साथ लेकर आएंगे. इसके अलावा जहां भी पड़ाव डाला जाएगा, वहां आसपास के गांवों से भी मदद ली जाएगी. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के तारा सिंह सिद्धू का कहना है कि इन कृषि कानूनों से किसान के साथ खिलवाड़ कर सरकार औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने का प्रयास कर रही है. इसलिए सरकार के साथ ही अंबानी-अडानी जैसे उद्योगपतियों का भी किसान घेराव करेंगे और उनके उत्पादों का बहिष्कार करेंगे. सिद्धू का कहना है कि इन कानूनों को लेकर भाजपा के जनप्रतिनिधि जनता में झूठ फैला रहे हैं, इसलिए भाजपा के जनप्रतिनिधियों का भी आगामी दिनों में घेराव किया जाएगा.

यह कानून किसानों को दूरगामी फायदा पहुंचाएंगे...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ का रुख इन कृषि कानूनों पर वामपंथी संगठनों से अलग है. इस संगठन का मानना है कि यह कानून किसानों को दूरगामी फायदा पहुंचाएंगे, लेकिन प्रारंभिक तौर पर इनमें मुख्य रूप से चार सुधार की दरकार है. जिनमें मंडी के भीतर या बाहर एमएसपी से कम पर खरीद नहीं करना, व्यापारियों का एक पोर्टल पर पंजीयन की व्यवस्था करवाना, बैंक गारंटी के माध्यम से किसानों को भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित करवाना और विवादों के निपटारे के लिए अलग से कृषि न्यायालय की स्थापना जैसे सुधार शामिल हैं.

भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी का कहना है कि हिंसक और उग्र आंदोलनों से देश और किसान दोनों का नुकसान होता है. इसलिए वे वर्तमान में चल रहे आंदोलन से अपने आप को अलग रख रहे हैं.

बेनीवाल ने किया ट्वीट

वहीं, केंद्र में भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल भी कृषि कानून वापस लेने की मांग करते हुए गठबंधन तोड़ने तक की धमकी दे चुके हैं. अब उन्होंने ट्वीट किया है कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह देश के किसानों की भावना को समझें और किसानों की मांगों पर जल्द से जल्द सकारात्मक रुख अपनाते हुए कृषि बिल वापस लें अन्यथा यह किसान आंदोलन देशभर में होगा.

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