जयपुर. लॉकडाउन के कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. फसलों के साथ ही मौसमी फलों और सब्जी उगाने वाले किसान अपनी फसल की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. गर्मी में आमदिनों में सबसे अधिक बिकने वाले तरबूज और खरबूज की फसल भी किसानों के लिए मुसीबत बन गई है. किसान कम कीमत पर फसल बेचने को मजबूर है.
तरबूज और खरबूज की खेती करनेवाले किसान परेशान देश में लॉकडाउन 2.0 का रविवार को अंतिम दिन है. सोमवार से लॉकडाउन 3.0 शुरू हो जाएगा. हालांकि, लॉकडाउन 3.0 में ग्रामीण क्षेत्रों में रियायतें मिल जाएगी. जिसमें खासतौर पर किसानों को छूट दी गई हैं लेकिन इन दो लॉकडाउन में किसान को उसकी फसल का काफी नुकसान हुआ है. किसानों की खरीफ की फसल तो नष्ट हुई है. साथ ही सब्जी और मौसमी फलों की खेती करने वाले किसान भी परेशान हैं. लॉकडाउन के कारण एक तो किसान अपनी फसल कहीं बाहर भेज नहीं पाए. वहीं लोकल बाजारों में भी सब्जियां पहले की तुलना में काफी कम बिक रही हैं. बाजारों में मांग कम है. ऐसे में किसानों को लागत से बहुत कम फसल की कीमत मिल रही है.
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इस समय जयपुर के बेगस के किसानों ने मौसमी फलों के तौर पर तरबूज और खरबूज उगाए हैं. ये दोनों फल कम समय में बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं. साथ ही किसानों को ज्यादा लाभ मिलता है, लेकिन इस बार तरबूज और खरबूज की खेती भी किसानों के लिए बुरा सपना साबित हो रही है.
खरबूज 9 से 10 रुपए किलो ही बिक रही बहुत कम कीमतों पर खरबूज और तरबूज बेचने को मजबूर
20 से 25 रुपए किलो बिकने वाला तरबूज किसानों से महज 5 से 8 रुपए में खरीदा जा रहा है. वहीं 30 से 35 रुपए किलो बिकने वाला खरबूज 9 से 10 रुपए में किसानों से खरीदा जा रहा है. इसके लिए ईटीवी भारत ने किसानों से जाकर गांव में सीधे बात की तो बेगस के किसानों ने अपनी पीड़ा सामने रखी. किसानों का कहना है कि बड़ी तादाद में सीजनेबल फल के तौर पर तरबूज और खरबूज उगाया है लेकिन किसानों के सामने मजबूरी है कि उन्हें कम दामों पर ही बेचना पड़ रहा है. हालात यह है कि किसानों की लागत तक वसूल नहीं हो रही है. किसान अगर वह फसल कम कीमत पर नहीं बेचेंगे तो वह वैसे ही खराब हो जाएगी. वहीं किसानों को फसल बेचकर अपना ऋण चुकाना भी होता है. ऐसे में घाटा सहकर भी किसान फसल बेच दे रहे हैं.
किसानों का कहना है कि सरकार ने किसानों को फसल बेचने की छूट तो दी है लेकन लॉकडाउन के चलते किसानों को मंडियों में जाने का समय भी फिक्स है. किसान एक साथ तैयार फसल बड़ी मात्रा में मार्केट में ले जाने में असमर्थ हैं. साथ ही बाहर जाने में कोरोना संक्रमण का खतरा भी है. ऐसे में किसान अपने पास आने वाले लोगों को ही फसल बेचने पर मजबूर हैं. हालात यह है कि किसानों से कम कीमतों पर फसल तो खरीदी जा रही है पर बाजार में इसकी कीमतों में कोई फर्क नहीं है.