जयपुर.कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर डटे किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया. जिसमें प्रदेश कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और दूसरे सामाजिक संगठनों ने भी अपनी भूमिका अदा की. कहीं आम आदमी पार्टी फूल देकर व्यापारियों से निवेदन करती नजर आई, तो कहीं कांग्रेस डंडे के जोर पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जबरन बंद कराने पहुंची. कहीं व्यापारियों ने पीएम मोदी के पक्ष में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा, तो कहीं व्यापारी पुलिस प्रशासन से सुरक्षा की गुहार के बावजूद असहाय नजर आए. इन सबके बीच छोटी चौपड़ पर बुजुर्ग शांति देवी मिट्टी के बर्तन की दुकान सजाकर ग्राहकों की राह ताकती दिखी.
मुझे तो रोटी मिल जाए
सालों से छोटी चौपड़ पर मिट्टी से बने सामान को बेच रही शांति देवी की दुकान भारत बंद के दौरान भी सजी. लेकिन, आज उनके पास ग्राहक नहीं बल्कि दुकान हटाने के लिए प्रदर्शनकारी पहुंचे. 70 वर्ष की बुजुर्ग शांति देवी शायद भारत बंद के आह्वान से वाकिफ नहीं थी. कभी प्रदर्शनकारी तो कभी पुलिस प्रशासन की आवाजाही के कारण डरी सहमी शांति देवी रोटी के निवालों को भी गले से उतार नहीं पा रही थी. डर था कि कहीं उसकी जमा पूंजी से सजी दुकान किसी आक्रोश की भेंट ना चढ़ जाए. उनका कहना था कि मुझे तो रोटी मिल जाए.
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