जयपुर.बरसात की कमी के चलते कुंओं में पानी कम हो गया है. पानी की कमी बनी तो उससे पैदावार भी घटती चली गई. पैदावार घटी तो किसान की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो रही है. ऐसे में इन सब का तोड़ 'सोलर एनर्जी' बनकर समाने आई है. जो किसान के लिए वरदान साबित होने वाली है.
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किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाअभियान
बता दें कि केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर किसान की आर्थिक खुशहाली लाने के लिए किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाअभियान चलाया है. जिसमें बंजर जमीन से सोलर के जरिए किसान के खेत में सोना पैदा होने वाला है. दरअसल में 33 केवी ग्रिड के पांच किलोमीटर की सीमा में किसान की ओर से वहां पर 5 सौ किलोवाट से 2 मेगावाट तक के सोलर एनर्जी प्लांट लगाया जाएगा. राजस्थान ने इस योजना के जरिए केन्द्र से मिले 325 मेगााट को बढ़ाकर 5 सौ मेगावाट किया है, लेकिन प्रदेश ने सोलर रेडिएशन को देखते हुए और बढ़ाने की मांग की है.
इस तरह मिल सकता है योजना का फायदा
इन सोलर संयत्रों की स्थापना किसान द्वारा व्यक्तिगत, समूह में सहकारी समितियां, पंचायत, फार्मर प्रोडयूसर ऑर्गनाइजेशन, वाटर यूजर एसोसिएशन द्वारा की जा सकेंगी. इस योजना में 30 फीसदी केन्द्र सरकार से 30 राज्य सरकार से 30 फीसदी का नाबार्ड से लोन और 10 फीसदी किसान को लगानी होगी, लेकिन अगर किसान के पास जमीन है और पूंजी नहीं तो ऐसे किसान अपनी भूमि को लीज रेंट प्रति एकड़ दे सकते है या फिर प्रति एकड़ सोलर उत्पादित एनर्जी से प्रति यूनिट के दान ले सकते है. प्राथमिक तौर पर बंजर या अनुपयोगी भूमि पर सोलर पावर प्लांट लगाएं जाएंगे, मौजूदा स्थिति में राज्य में 33 केवी के लगभग 4959 सब स्टेशन स्थापित किए गए है. इन सब स्टेशनों में 6134 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित करने की क्षमता है.
- एक मोगावाट सोलर संयत्र पर 3.5 करोड़ खर्च होंगे.
- एक मेगावाट में साल में 17 लाख यूनिट का उत्पादन होगा.
- विनियामक आयोग ने 3.14 पैसे के हिसाब से 53 लाख की वार्षिक आय होगी.
- प्रति मेगावाट दो हैक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी.
- किसान किसी डवलपर्स को जमीन देने की स्थिति में 20 पैस प्रति यूनिट से सालाना 3.40 लाख की आय होगी.
- योजना अच्छी लेकिन प्रचार कर देना होगा जोर
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केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर देश और प्रदेश के किसान को समृद्ध बनाने की दिशा में काम कर रहे है, लेकिन अभी तक योजना की ठीक जानकारी किसानों को नही मिल पा रही है. जरूरत इस बात की है कि पंचायत स्तर तक जाकर किसानों को इस योजना के बारे में जानकारी दी जाए, साथ ही ऑनलाइन आवेदन करवाएं ताकि जितनी ज्यादा सोलर पावर प्लांट लगेंगे. उतना ही फायदा किसान को होगा और उतना ही पर्यावरण संरक्षित हो सकेगा.