जयपुर. प्रदेश में कोरोना संकट के बीच बुधवार को जयपुर को फिर वो मंजर याद आया, जिसमें यहां के बाशिंदों ने बहुत कुछ खोया था. गुलाबी नगरी में 12 साल पहले 13 मई के दिन सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे. ये खौफनाक मंजर आज भी जयपुरवासियों के जेहन में ताजा है. बम ब्लास्ट की 12वीं बरसी तक भी गुनहगारों को अब तक फांसी नहीं हुई है. यही वजह है कि जयपुरवासियों को इंसाफ का इंतजार है. वहीं इस बलास्ट के एक प्रत्यक्षदर्शी ने उस काली शाम के बारे में बताया, जिस दिन कितने लोगों की जान चली गई थी.
जयपुर बम बलास्ट के प्रत्यक्षदर्शी से बातचीत 12 साल पहले 13 मई को मंगलवार का दिन था. शाम 7:20 में हवा महल के सामने माणक चौक के खंदे में पहला बम धमाका हुआ. जिसके बाद एक के बाद जयपुर का परकोटा धमाकों से गूंज उठा. जयपुर में 8 सीरियल बम ब्लास्ट हुए. वहीं अकेले छोटी चौपड़ पर दो बम ब्लास्ट हुए. इनमें फूलों के खंदे और कोतवाली थाने के बाहर हुए बम धमाकों में 9 लोगों की मौत हुई. जिनमें 2 पुलिसकर्मी भी शामिल थे. जबकि 30 से ज्यादा लोग छोटी चौपड़ पर घायल हुए थे. 12 साल पहले हुए इस भयावह मंजर के प्रत्यक्षदर्शी पुलिसकर्मी ने बताया कि फूलों के खंदे में बम ब्लास्ट में 2 लोगों की मौत हुई और करीब 15 लोग घायल हो गए थे.
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वहीं कोतवाली थाने के बाहर हुए बम धमाके में ड्यूटी पर तैनात दो पुलिस कांस्टेबल भारत भूषण शर्मा और दीपक यादव भी शहीद हो गए. इनके अलावा पांच अन्य लोगों की भी मौत हो गई. जबकि 17 लोग घायल हुए. प्रत्यक्षदर्शी पुलिसकर्मी ने बताया कि पूरे परकोटे में एक के बाद एक बम धमाकों की सूचना मिली. जिसके बाद पुलिस भी समझ नहीं पा रही थी कि आखिर क्या किया जाए. हालांकि, 8 बम धमाकों के बाद एक जिंदा बम को बरामद कर डिफ्यूज किया गया. वहीं चारों तरफ खून ही खून बिखरा हुआ था. पुलिस लोगों को बचाने के लिए भाग रही थी. आमजन बचने के लिए पुलिस स्टेशन की ओर भाग रही थी.
इस बम ब्लास्ट में जयपुर के दो प्रमुख मंदिरों को भी निशाना बनाया गया था. जिसमें सांगानेरी गेट और चांदपोल हनुमान मंदिर शामिल है. जहां आज के दिन हर साल भारी संख्या में लोग पहुंचकर भगवान से बम ब्लास्ट में मरने वालों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. हालांकि, इस बार कोरोना संकट के कारण जयपुर के परकोटे में सन्नाटा पसरा हुआ है और ये दोनों मंदिर भी सूने हैं.
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इस बम धमाकों को 12 साल बीत गए लेकिन जयपुर के गुनहगारों को सजा मिलने के बाद भी अब तक फांसी नहीं हुई है. ऐसे में अब लोगों को उस लम्हे का इंतजार है, जब आरोपी फांसी के फंदे पर लटकेंगे, तभी जाकर जयपुर के जख्मों पर मरहम लगेगा.