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Special: अगर आप भी करते हैं प्लास्टिक के बने सामान का इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान, जानें क्यों जरूरी है प्रतिबंध

सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन को एक माह (one month of single use plastic ban in Rajasthan) पूरे हो गए हैं लेकन अभी भी बाजारों में यह खुलेआम प्रयोग की जा रही है. प्लास्टिक पर्यावरण और आमजन और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक हो सकती है इस पर ईटीवी भारत ने सीएसडीएस के डायरेक्टर और विशेषज्ञ डॉ. विवेक अग्रवाल से की खास बातचीत...

Director and Expert of CSDS Dr Vivek Agarwal on etv bharart
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Published : Aug 1, 2022, 7:33 PM IST

Updated : Aug 1, 2022, 9:10 PM IST

जयपुर. एक अगस्त को सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगे एक महीना (one month of single use plastic ban in Rajasthan) पूरा हो चुका है. पर्यावरण और पृथ्वी को बचाने के लिहाज से सरकार की ओर से यह कदम बेहद महत्वपूर्ण रहा है. जाहिर है कि भूमि, जल और वायु में फैलते प्रदूषण को रोकने के लिए बढ़ते प्लास्टिक के इस्तेमाल को प्रतिबंधित किया गया था. प्रतिबंध के 1 महीने बाद भी हालात में कोई फर्क नजर नहीं आता है.

जानकारों के मुताबिक बेहतर विकल्प नहीं होने और पैकिंग के सामान में विकल्प के तौर पर सिंगल यूज प्लास्टिक को जारी रखने के कारण फिलहाल यह प्रतिबंध खानापूर्ति तक ही सिमट गया है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने सीएसडीएस के डायरेक्टर और विशेषज्ञ डॉ. विवेक अग्रवाल से खास बातचीत की और जाना कि कैसे प्लास्टिक पर प्रतिबंध कारगर साबित हो सकता है.

एक्पर्ट की राय

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सेहत के नजरिए से खतरनाक है प्लास्टिक
ईटीवी भारत से बातचीत के बीच ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संचार और शहरी स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. विवेक अग्रवाल ने कहा कि हम रोजाना प्लास्टिक का इस्तेमाल कर न सिर्फ पर्यावरण और जीव-जंतुओं के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं, बल्कि अपनी सेहत के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं. डॉ. अग्रवाल ने एक अंतरराष्ट्रीय शोध का हवाला देते हुए बताया कि किस तरह 13 टिशू नमूनों में से 11 के फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक कणों को पाया गया था. यह प्लास्टिक के कण मूलतः पोलीप्रोपाइलीन यानि पीपी और पोलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट के कणों के रूप में मौजूद थे.

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डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इन पार्टिकल्स को आमतौर पर हम प्लास्टिक की पैकेजिंग, पानी की बोतल और ड्रिंक्स के साथ इस्तेमाल किए जाने वाले स्ट्रॉ के रूप में ग्रहण करते हैं. बाद में हमारे शरीर में दाखिल होने के बाद यह सारे कण फेफड़ों, ह्रदय और लिवर में जमा हो जाते हैं. भविष्य में यह प्लास्टिक हमारे अंगों की कार्य क्षमता को प्रभावित करता है और इसका खामियाजा हमें किसी गंभीर बीमारी के रूप में उठाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि द गार्जियन ने भी इस शोध को अपने यहां प्रमुखता से जगह दी थी. डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के पीछे भी बढ़ते प्लास्टिक के इस्तेमाल को विशेषज्ञ एक अहम वजह बता चुके हैं.

प्लास्टिक से बीमारी के ये हैं कारक

  • प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी.
  • चॉकलेट समेत प्लास्टिक में खाद्य वस्तु.
  • पेय पदार्थों में इस्तेमाल की जाने वाली स्ट्रॉ
  • चाय और कॉफी को परोसने वाले प्लास्टिक के कप
  • सिंगल यूज प्लास्टिक से बने खाद्य वस्तुओं की पैकिंग के सामान

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यह हो सकतें हैं प्लास्टिक पैकिंग आइटम के विकल्प
डॉ. विवेक अग्रवाल ने सुझाव दिया कि अगर हम प्लास्टिक का इस्तेमाल रोजमर्रा में न के बराबर करें तो न सिर्फ अपनी सेहत बल्कि धरती को भी बचा सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरकारों को कठोर प्रतिबंध के साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था के प्रचार-प्रसार पर भी बराबर और प्रभावी रूप से काम करने की जरूरत है. अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वाला हर शख्स एक गंभीर बीमारी से ग्रस्त रहेगा.

यह हो सकतें हैं विकल्प

  • कांच एवं धातु से निर्मित बोतलें
  • पेपर या सिलीकॉन से निर्मित रीयूजएबल स्ट्रॉ
  • धातु का या bpa-free प्लास्टिक
  • बायडिग्रेबल कप्स
  • पॉलीथिन बैग की जगह कागज और कपड़े के थैले

प्रदेश में अब तक यह हुआ एक्शन
सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई 2022 को लगे प्रतिबंध के बाद राजस्थान में इसके इस्तेमाल को लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे. अगर पहले महीने के आंकड़ों को देखा जाए तो कुल 291 टीमों ने प्रदेश भर में 10187 जगह पर छापेमारी की थी जिसमें 4075 स्थानों पर धड़ल्ले से प्लास्टिक के इस्तेमाल किया जा रहा था. कार्रवाई के दौरान 2304 मामलों में चालान बनाए गए और करीब 43763 किलो प्लास्टिक को भी जब्त किया गया जबकि कुछ इलाकों में हिदायत देकर छोड़ दिया गया. आर्थिक जुर्माने के रूप में करीब 13 लाख 16 हजार रुपए की वसूली भी की गई.

Last Updated : Aug 1, 2022, 9:10 PM IST

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