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SPECIAL : मजदूर वर्ग का पलायन और निर्माण सामग्री के बढ़ते दाम कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए बनी चुनौती

राजस्थान में 15 दिन का लॉकडाउन लगा है. हालांकि मजदूरों का पलायन रोकने के लिए कंस्ट्रक्शन वर्क को छूट दी गई है. लेकिन इस पलायन को रोकना बिल्डर्स के लिए भी बड़ी चुनौती है. इसके साथ ही कोरोना की दूसरी लहर में मजदूरी, स्टील, सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री के बढ़ते दाम भी चुनौती बन गए हैं.

Rising prices of building materials
मजदूर वर्ग का पलायन

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Published : May 18, 2021, 9:10 PM IST

जयपुर.कोरोना की दूसरी लहर में मजदूरों का पलायन कैसे रोका जाए, निर्माण सामग्री के बढ़ते दामों के बीच अफॉर्डेबल हाउस का निर्माण कैसे किया जाए, ऐसी ही सवालों से रियल एस्टेट और हाउसिंग सेक्टर इन दिनों जूझ रहा है. कंस्ट्रक्शन वर्क बुरी तरह प्रभावित है. ईटीवी भारत ने कुछ बिल्डर्स और डेवलपर्स से खास बातचीत की.

बिल्डर्स और डेवलपर्स से खास बातचीत

लेबर की कमी, महंगी हुई मजदूरी

अफॉर्डेबल हाउसिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में पूरे राजस्थान में लेबर बहुत कम है. होली के बाद जो लेबर आनी थी, वो कोरोना संक्रमण के बाद दोबारा नहीं लौटी. यही वजह है कि मौजूदा लेबर काफी महंगी हो गई है. लेबर को रोकने की काफी कोशिश की जा रही है. ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उन्हें उपलब्ध कराई जा रही हैं. जो दिहाड़ी पहले 500 से 700 रुपए प्रति मजदूर थी, वो 700 से 1000 रुपए हो गई है. बावजूद इसके लेबर की काफी कमी है.

महंगी हो गई लेबर

हालांकि बाहरी मजदूरों का पूरी तरह पलायन नहीं हुआ है. लेकिन पलायन की ओर अग्रसर जरूर है. यदि इसी तरह लॉक डाउन और पाबंदियां जारी रहीं, तो आने वाले समय में लेबर बमुश्किल बचेगी.

लोहा-सीमेंट-पेट्रोल सब हुआ महंगा

शहर के वरिष्ठ बिल्डर विजय कुमार विजयवर्गीय ने बताया कि अफॉर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी के तहत जो बिल्डर आवासों का निर्माण कर रहे हैं, उनके साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि लोहा सीमेंट और अन्य सामग्री की दरें नियमित रूप से बढ़ रही हैं. सरकार को चाहिए कि सस्ते आवास उपलब्ध कराने के लिए स्टील और सीमेंट पर विशेष तौर पर निगरानी रखी जाए. इनकी कीमतों को गिराया जाए. अन्यथा आने वाले समय में कोरोना के असर के साथ-साथ महंगाई का असर भी पड़ेगा.

कंस्ट्रक्शन की सामग्री भी हुई महंगी

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उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि निर्माण सामग्री के दामों में बढ़ोतरी से आवासों में भी 20 से 25% की वृद्धि हो रही है. उन्होंने इसका एक कारण डीजल और पेट्रोल के दामों में वृद्धि को भी बताया.

अफोर्डेबल हाउसिंग पर संकट

अफोर्डेबल हाउसिंग से जुड़े युवा बिल्डर अमित ने बताया कि राजस्थान अफॉर्डेबल हाउसिंग का जन्मदाता है. पूरे राज्य में लाखों की तादात में अफोर्डेबल हाउस बन रहे हैं. लेकिन बीते डेढ़ साल से इस बिजनेस पर बड़ी मार पड़ी है. लोगों का रुझान कम हुआ है. जिसका सबसे बड़ा कारण है लोगों की सेविंग और रोजगार खत्म होता जा रहा है.

अफॉर्डेबल हाउसिंग सीधे तौर पर मध्यम वर्ग के लोगों से ताल्लुक रखती है. जब लॉकडाउन जैसी परिस्थितियां बनती हैं, तो आवास लेने की मानसिकता पर भी प्रभाव पड़ता है.

हाउसिंग की डिमांड हर दौर में

इन सबके इतर बिल्डर विवेक सेठिया की मानें तो हाउसिंग की डिमांड हर समय रहती है. चाहे वो नोटबंदी का समय रहा हो, चाहे जीएसटी लागू होने का समय, या फिर कोरोना का मौजूदा दौर हो. इस कोरोना काल में तो लोगों को अपना आवास होने का सबसे ज्यादा एहसास हुआ. बीते साल लॉकडाउन खत्म होने के बाद हाउसिंग सेक्टर में अचानक उछाल भी आया था. जो बिना बिके हुए आवास थे, उनकी अचानक सेल बढ़ गई थी.

कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए लॉकडाउन चुनौती

इन्हें इन्वेस्टर के बजाय इस्तेमाल करने वालों ने खरीदा. हालांकि कोरोना का बार-बार आना और रोजगार नियमित न होना, एक बड़ा कारण बन सकता है. जिसके कारण लोगों में प्रॉपर्टी खरीदने का रुझान पहले की तुलना में कम होने की आशंका है.

बहरहाल, साल 2020 कोरोना की भेंट चढ़ गया. हालांकि रियल एस्टेट और अफॉर्डेबल हाउसिंग को साल 2021 से उम्मीद थी. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में अब इस उम्मीद पर भी पानी फिरता दिख रहा है.

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