जयपुर.देशभर में लगे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम जनजीवन को भी बुरी तरीके से प्रभावित किया है. सभी वर्गों में इसका खासा असर पड़ा है, लेकिन यह लॉकडाउन उन बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ, जो लंबे समय से बाल श्रम की आग में मजबूरी से झुलस रहे थे. बच्चों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल ने कहा कि इस लॉकडाउन में हजारों बच्चें बाल श्रम से मुक्त होकर अपने घरों की ओर लौट गए हैं.
12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour 2020) मनाया जाता है. इस दिन को बच्चों को बाल श्रम से मुक्त करवाकर उन्हें गरिमापूर्ण वातावरण मुहैया कराने का संकल्प लिया जाता है. इस बार का बाल श्रम निषेध दिवस 2020 का थीम "Protect children from child labour, now more than ever" है. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने बाल श्रमिकों को बाल श्रम के अभिशाप से कुछ दिनों के लिए आजादी दिलाई है. प्रदेश में विभिन्न राज्यों के हजारों बच्चे बाल मजदूरी में लगे हैं. इन्हें बाल श्रम (Child Labour) से कैसे मुक्त करवाया जाए, ये चिंता का विषय है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने 'बचपन बचाओ मैन' के नाम से प्रसिद्ध और सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल से बातचीत की.
विजय गोयल ने बातचीत में बताया कि लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों के साथ जयपुर से बड़ी संख्या में बाल श्रमिक भी ट्रेनों से अपने घर के लिए रवाना हो गए. लॉकडाउन इन बाल श्रमिकों के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं है. सभी तरह के काम-धंधा के बंद होने के कारण तस्करों ने भी अपने यहां काम कर रहे बाल मजदूरों को जैसे-तैसे उनकी घर वापसी करवा दी है.
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जिससे आज देश के अधिकांश बाल श्रमिक अपने घर में परिवार के साथ आजादी की सांस ले रहे हैं. हालांकि, बाल श्रमिकों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल अभी भी यही मानते हैं कि 25-30 फीसदी बच्चे आज भी नरकीय जीवन जी रहे हैं. वे पूरी तरह से अभी बाल श्रम से मुक्त नहीं हो पाए हैं.
बाल श्रम रोकने के लिए सरकार को रणनीति बनाने की आवश्यकता
गोयल ने कहा कि बच्चों को बाल श्रम से निकालने का सरकार के पास मौका है. सरकार को बाल श्रमिकों के लिए काम करना चाहिए. RTE (शिक्षा का अधिकार) के तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों को स्कूल में दाखिल करवाना चाहिए. साथ ही 14 साल से ऊपर के बच्चों के लिए शिक्षा के साथ काम भी सीखने का अवसर पैदा करना चाहिए. जिससे वो कुछ कमा सके.