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special: कोविड मरीजों के लिए ब्लैक फंगस घातक...SMS अस्पताल है तैयार - एसएमएस अस्पताल की तैयारी

कोविड या पोस्ट कोविड मरीजों की आंखों पर ब्लैक फंगस का हमला अब चिंता का सबब बन गया है. ये बीमारी किस खास वर्ग को प्रभावित कर रही है. इससे कैसे बचा जा सकता है और ये कितनी खतरनाक है. कुछ इसी तरह के सवाल लोगों के जहन में उठ रहे हैं. इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए ईटीवी भारत SMS मेडिकल कॉलेज पहुंचा और प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी और इस बीमारी से लड़ने के लिए बनाई गई टीम के प्रमुख डॉ. मोहनीश ग्रोवर से बात की.

ब्लैक फंगस पर एसएमएस अस्पताल के डॉक्टर से ईटीवी भारत की बातचीत

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Published : May 21, 2021, 9:28 AM IST

जयपुर. प्रदेश में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करते हुए SMS अस्पताल में अलग वार्ड बनाया गया है, ताकि निर्धारित प्रोटोकॉल और पूरी सावधानी के साथ मरीजों को तत्काल उपचार दिया जा सके. अब तक यहां 57 मरीजों को भर्ती किया जा चुका है. इनमें से 21 की सफल सर्जरी भी की जा चुकी है. जबकि 2 मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज भी किया जा चुका है. ब्लैक फंगस का मुख्य कारण कोरोना के उपचार के दौरान डायबिटिक पेशेंट को ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड देना बताया जा रहा है.

ब्लैक फंगस पर ईटीवी भारत की बातचीत

यह सुपर एडेड फंगल इंफेक्शन

ब्लैक फंगस के बारे में डॉ. सुधीर भंडारी ने बताया कि ये सुपर एडेड फंगल इंफेक्शन है, जो असामान्य है. इसमें डेथ रेट 50 से 80% है. म्यूकोर माइकोसिस नाम का ये फंगस नाक के रास्ते खून की नसों से शरीर में फैलता है और जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है उनमें तेजी से बढ़ता है. ये बीमारी सबसे पहले नाक को संक्रमित करती है. और यदि मरीज तत्काल इलाज नहीं कराता तो आंखों में फैल कर रोशनी तक छीन लेता है.

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डायबिटीज के मरीज को खतरा अधिक

उन्होंने बताया कि यह बीमारी कोविड-19 मरीज के शरीर में लिंफोसाइट्स कम करती है और साइटोकींस का स्त्रावण करती है. यदि मरीज को डायबिटीज हो तो खतरा बढ़ जाता है. ऐसे रोगियों के इलाज में स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल घातक हो जाता है. ये बीमारी भी उन्हीं संक्रमितों में फैलती है जिनको डायबिटीज हो और इलाज के दौरान रेमडेसिविर या स्टेरॉइड दिया गया हो.

ये हैं लक्षण

डॉ. सुधीर भंडारी ने बताया कि नाक में सूखापन, सुन्न होना, कालापन, तालू में कालापन, दांतों का ढीला होना, नाक के पास और गले में सूजन इसका शुरुआती लक्षण है. वहीं बीमारी बढ़ने पर आंखों में सूजन, आंखें बंद होना और दिखाई ना देना इसकी सेकंड स्टेज है. इसके अलावा यदि सिर में दर्द और हाथ-पैर में कमजोरी है तो ये ब्लैक फंगस के दिमाग में फैलने के लक्षण हैं.

खास-खास

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डेडीकेट वार्ड बनाया गया

हालांकि SMS अस्पताल में इसके इलाज के लिए डेडीकेट वार्ड बनाया गया है. साथ ही एक म्यूकोर माइकोसिस बोर्ड भी बनाया गया है, जिसमें 12 एक्सपर्ट शामिल हैं जो जांच और एनालाइज के बाद ट्रीटमेंट प्लान करते हैं. यदि आवश्यकता पड़ती है तो सर्जरी के माध्यम से फंगस को रिमूव भी किया जाता है. इस बोर्ड के कन्वीनर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने सर्जरी ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी दी कि इसमें शुगर कंट्रोल कर, एंटी फंगल दिया जाता है. इसके बाद सर्जरी की बारी आती है.

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नए इक्विपमेंट से एडवांस सर्जरी

नए इक्विपमेंट के साथ ये एक एडवांस सर्जरी है. यदि बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है तो चेहरे की हड्डी और आंखें तक निकालने के बाद फंगस हटाया जाता है. इसका ट्रीटमेंट भी लंबा चलता है और सर्जरी के बाद भी 2 से 3 सप्ताह तक एंटी फंगल देनी पड़ती है. अब तक SMS अस्पताल में 57 मरीज एडमिट हो चुके हैं. इनमें से 21 की सर्जरी की जा चुकी है और 2 पेशेंट को डिस्चार्ज भी किया जा चुका है.

प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के 750 से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार ने इसे महामारी घोषित करते हुए आवश्यक दवाओं की आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार से संपर्क कर रही है. जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार से राज्य को केवल 700 वाइल प्राप्त हुए हैं. जबकि केंद्र से कम से कम 50 हजार वाइल देने का आग्रह किया गया था. हालांकि राज्य सरकार ने अब ब्लैक फंगस के उपचार में काम आने वाली दवा लाइपोजोमल एम्फोटेरेसिन-बी के 2500 वाइल खरीदने के लिए सिरम कंपनी को क्रय आदेश दिया है. देश की 8 बड़ी फार्मा कंपनियों से संपर्क करने के साथ ही दवा खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर भी किया जा रहा है.

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