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Exclusive: Corona के Side Effect, दूसरी लहर में बढ़ा Mental Depression...युवा वर्ग अधिक चपेट में

कोरोना महामारी ने लोगों को शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी बीमार बना दिया है. दूसरी लहर के बाद कोरोना का खौफ इस कदर बढ़ा है कि लोग महामारी की भयावहता को लेकर इतनी सतर्कता बरत रहे हैं कि मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं. बीमार होने के डर से वे मानसिक अवसाद (Mental Depression) के शिकार हो रहे हैं. इनमें युवाओं की संख्या अधिक है. पेश है ETV Bharat की मनोचिकित्सक से खास बातचीत के कुछ अंश...

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कोरोना ने दिया मानसिक अवसाद

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Published : Jun 24, 2021, 7:44 PM IST

जयपुर. कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर (Second Wave) में सबसे अधिक मरीज संक्रमित हुए और सबसे अधिक मौतें भी दर्ज की गईं. कोविड-19 (Covid-19) की इस दूसरी लहर में युवा वर्ग सबसे अधिक संक्रमण की चपेट में आया. हालांकि अब संक्रमण के मामले काफी कम हो चुके हैं लेकिन दूसरी लहर के प्रकोप के बाद अब मानसिक बीमारियां भी लोगों को जकड़ रही हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में मानसिक बीमारियों से जुड़े मरीजों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है.

ईएसआई हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि निश्चित तौर पर कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में सबसे अधिक मरीज संक्रमित हुए हैं और काफी मरीजों की मौत भी हुई हैं. कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों और लगातार हो रही मौतों के बाद कई लोगों में मानसिक बीमारियां देखने को मिली हैं. डॉ. जैन का यह भी कहना है कि कोविड-19 संक्रमण की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में मानसिक बीमारियों से जुड़ी समस्याएं लोगों में अधिक देखने को मिल रहीं हैं.

कोरोना ने दिया मानसिक अवसाद

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जिंदगी गंवाने का डर भी बढ़ा

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अस्पतालों के हालात किसी से छुपे नहीं हैं. सरकारी हो या प्राइवेट न कहीं बेड खाली मिल रहे थे न कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर. ऐसे में दूसरी लहर ने कई मरीजों की जिंदगियां छीन लीं. डॉक्टर अखिलेश जैन का कहना है कि इन स्थितियों में लोगों में जिंदगी गंवाने का डर भी अधिक देखने को मिला. डॉक्टर जैन का कहना है कि उनके पास कई मरीज आते हैं जिनको यह लगता है कि यदि वह कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ जाएंगे तो नहीं बच पाएंगे. उनका यही डर उन्हें मानसिक अवसाद (Mental depression) में डाल रहा है.

बीते कुछ समय से इस तरह के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. वहीं कुछ मरीजों में यह भावना उत्पन्न हो गई कि यदि वह संक्रमण की चपेट में आ गया तो इलाज मिलेगा या नहीं क्योंकि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में प्रदेश के अस्पतालों में सामान्य बेड, ऑक्सीजन बेड और आईसीयू बेड पूरी तरह से भर चुके थे.

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काउंसलिंग जरूरी

डॉ. जैन का कहना है कि इस तरह के मरीजों को काउंसलिंग की सबसे अधिक जरूरत है क्योंकि कई बार इस तरह के मरीज अपने आप को अकेला महसूस करते हैं और मन में अलग-अलग विकार आना शुरू हो जाते हैं. डॉक्टर जैन का कहना है कि मानसिक बीमारियों से जुड़ा इलाज काफी लंबा चलता है लेकिन इलाज से मरीज को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. ऐसे में परिजनों को मरीज पर विशेष तौर से ध्यान देना जरूरी है और मरीजों को काउंसलिंग की जरूरत है ताकि उसके मन में जो कोरोना को लेकर जो डर बैठा है उसे दूर किया जा सके. इसे लेकर एक सर्वे भी डॉक्टर जैन की ओर से शुरू किया गया है जहां उन्होंने दावा किया है कि सर्वे के जो नतीजे आएंगे निश्चित तौर पर काफी चौंकाने वाले होंगे.

युवा वर्ग अधिक चपेट में

कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में 20 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के लोग सबसे अधिक चपेट में आए थे. इसे लेकर डॉक्टर जैन का कहना है कि युवा वर्ग में मानसिक अवसाद सबसे अधिक देखने को मिल रहा है. हालांकि हर वर्ग कोविड-19 संक्रमण से प्रभावित हुआ है जिसके बाद शारीरिक बीमारियों के अलावा मानसिक बीमारियां भी लोगों को घेर रहीं हैं. डॉ. जैन का यह भी कहना है कि जब अस्पतालों में सामान्य मरीजों का इलाज बंद था, तब भी फोन के जरिए कई मरीजों ने डिप्रेशन से जुड़ी समस्याएं साझा की थीं.

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