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सैकड़ों वर्ष पुराने श्वेत अर्क गणपति मंदिर में विराजमान, सफेद आंकड़े की जड़ से निकली गणेश प्रतिमा

22 अगस्त को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है. लेकिन इस साल मंदिरों में कोरोना के कारण भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. जयपुर के आमेर में स्थित श्वेत अर्क गणपति मंदिर एक चमत्कारी मंदिर है. हर साल यहां मेले का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस साल मंदिरों में किसी तरह का आयोजन नहीं किया जा रहा है.

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गणेश मंदिरों में नहीं हुए आयोजन

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Published : Aug 22, 2020, 9:16 PM IST

जयपुर.गणेश चतुर्थी का पर्व आज बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. कोरोना की वजह से इतिहास में पहली बार गणेश मंदिरों में भक्तों का प्रवेश बंद रहा. कई प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों को ऑनलाइन दर्शन करवाए गए. राजधानी में कई प्राचीन मंदिर है जिनका अलग ही इतिहास रहा है. राजधानी के आमेर में विराजमान श्वेत अर्क गणपति मंदिर एक चमत्कारी मंदिर माना जाता है. 1000 साल पहले श्वेत अर्क गणपति यानी सफेद आंकड़ा गणेश मंदिर की मानसिंह प्रथम ने स्थापना करवाई थी.

गणेश मंदिरों में नहीं हुए आयोजन

इस मंदिर की मान्यता है कि 8 बुधवार यहां आने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. सफेद आंकड़ा गणेश मंदिर की खासियत है कि इस मंदिर में सफेद आंकड़े की लकड़ी से बनी हुई मूर्ति है. जिसके कारण ये राजधानी के प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से सबसे अलग है.

हर साल गणेश चतुर्थी के दिन आंकड़ा गणेश मंदिर में भव्य मेले का आयोजन होता था. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से मंदिर में कोई भी आयोजन नहीं हुआ. गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश जी का विशेष शृंगार किया गया. रंग बिरंगे फूलों की झांकी सजाई गई और विशेष पोशाक धारण करवाई गई. भगवान गणेश को मोदकों का भोग लगाकर पूजा अर्चना की गई मंदिर के पुजारियों ने ही पूजा अर्चना की.

मंदिर परिसर में नहीं दिया जा रहा भक्तों को प्रवेश

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मंदिर पुजारी अक्षय शर्मा की माने तो मंदिर को बावड़ी के ऊपर स्थापित किया गया है. आंकड़ा गणेश मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. सफेद लकड़ी से बने होने के कारण इसे श्वेत अर्क गणपति मंदिर के नाम से जाना जाता है. ये मंदिर जयपुर का सबसे पुराना मंदिर है. इस मंदिर की गणेश प्रतिमा सफेद आंकड़े के पौधे की जड़ से उत्पन्न हुई है. जिसके कारण मंदिर का नाम आंकड़े का गणेश मंदिर पड़ा है. कोरोना महामारी के चलते गणेश चतुर्थी का पर्व फीका रहा इस बार. कोरोना की वजह से लोगों ने अपने घरों में ही गणेश जी की प्रतिमा की पूजा अर्चना की.

श्वेत अर्क गणपति मंदिर के महंत चेतन शर्मा ने बताया कि महाराजा मानसिंह ने 17वीं शताब्दी में श्वेत अर्क गणपति मंदिर की स्थापना करवाई थी. प्राचीन समय में राज परिवार के लोग भी श्वेत अर्क गणपति मंदिर में आकर गणेश चतुर्थी के दिन पूजा अर्चना करते थे. कोरोना से पहले इस मंदिर में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे, लेकिन कोरोना काल में भक्तों का प्रवेश बंद रखा गया है.

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गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिर को विशेष श्रंगार कर सजाया गया है, लेकिन भक्तों के बिना मंदिर सुना पड़ा है. कोरोना से बचाव के लिए मंदिर में सावधानियां बरती जा रही है. सैनिटाइजर का उपयोग किया जा रहा है और मास्क भी लगाए जा रहे हैं. मंदिर के पुजारी ही पूजा अर्चना करके भगवान गणेश के प्रसाद भोग लगा रहे हैं.

मंदिर के पुजारी अक्षय शर्मा ने बताया कि जयपुर की स्थापना से पहले ही श्वेत अर्क गणपति मंदिर की स्थापना हुई थी. मंदिर में गणेश प्रतिमा श्वेत अर्क यानी सफेद आंकड़े की जड़ से निकली हुई प्रतिमा है. पहाड़ी के ऊपर यह मंदिर बना है. मंदिर के नीचे बावड़ी भी बताई जाती है. काफी पुराना इतिहास मंदिर कर रहा है और भक्तों में भी काफी मान्यताएं हैं.

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