जयपुर.खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करने की बात कहती है. इसके चलते प्रदेश के खेल बजट में हर वर्ष बढ़ोतरी की जा रही है. लेकिन बावजूद इसके इंटरनेशनल मुकाबलों में राजस्थान के खिलाड़ियों की भागीदारी और मेडल में कमी आ रही है. हाल ही में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेलों में भी यही देखने को मिला. इस बार देश के खिलाड़ियों ने पदकों की झड़ी लगाई लेकिन राजस्थान के (Rajasthan in Commonwealth Games 2022) हाथ खाली रहे.
इस बार राजस्थान के पड़ोसी राज्य हरियाणा के खिलाड़ियों ने कॉमनवेल्थ खेलों में बड़ी संख्या में पदक जीतकर इतिहास रचा. जबकि राजस्थान से सिर्फ तीन खिलाड़ी कॉमनवेल्थ खेलों के लिए क्वालीफाई कर पाए, जिसमें से कोई खिलाड़ी पदक नहीं जीत पाए. राजस्थान की आबादी तकरीबन आठ करोड़ से अधिक है लेकिन जब भी ओलंपिक, कॉमनवेल्थ और एशियन खेलों का आयोजन होता है तो राजस्थान के खिलाड़ियों की हिस्सेदारी काफी कम रहती है. जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा के करीब दो करोड़ से अधिक की आबादी में इंटरनेशनल खेलों में खिलाड़ियों की संख्या की भागीदारी सबसे अधिक रहती है.
कॉमनवेल्थ खेलों में राजस्थान खाली हाथ कुछ आंकड़ों की बात करें तो
- इस बार राजस्थान से कॉमनवेल्थ खेलों में सिर्फ तीन खिलाड़ी पार्टिसिपेट करने पहुंचे, जबकि हरियाणा के 29 खिलाड़ियों ने लिया भाग
- कॉमनवेल्थ खेलों में राजस्थान रहा खाली हाथ, जबकि हरियाणा के खिलाड़ियों ने 20 पदक जीते
- राजस्थान का खेल बजट तकरीबन 100 करोड़ रुपये के आसपास है, जबकि हरियाणा का खेल बजट राजस्थान से 4 गुना अधिक है
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पार्टिसिपेशन बढ़ाने की जरूरत:मामले को लेकर स्पोर्ट्स काउंसिल की चेयरमैन और कॉमनवेल्थ खेलों में पदक विजेता कृष्णा पूनिया का कहना है कि पिछले कुछ समय से राजस्थान में खेलों के स्तर में सुधार आ रहा है. हाल ही में राजस्थान में ग्रामीण ओलंपिक खेलों का आयोजन भी किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक खिलाड़ी खेल मैदान तक पहुंच सकें. कॉमनवेल्थ खेलों में राजस्थान के खिलाड़ी पदक नहीं जीत सके की बात पर कृष्णा पूनिया ने कहा कि हर खिलाड़ी का दिन एक जैसा नहीं होता. लेकिन हमें अधिक से अधिक इस तरह के खेलों में पार्टिसिपेशन बढ़ाना होगा.
उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य से अधिक से अधिक खिलाड़ी ओलंपिक, एशियन, कॉमनवेल्थ खेलों में भाग लेते हैं. जबकि हरियाणा के मुकाबले हमारी संख्या आधी भी नहीं है. हालांकि राजस्थान के खिलाड़ियों को दी जा रही सुविधाओं की बात करें तो इस वर्ष बड़ी संख्या में आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत खिलाड़ियों को नौकरी का तोहफा सरकार (Sports Budget in Rajasthan) की ओर से दिया गया है. जबकि ओलंपिक कॉमनवेल्थ और एशियाई खेलों में पदक जीतने पर इनामी राशि में भी बढ़ोतरी की गई है.
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अभी भी सुविधाओं की कमी:भले ही राजस्थान सरकार खेलों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो लेकिन आज भी खेलों से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी देखने को मिल रही है. जबकि प्रदेश के खिलाड़ी अपने स्तर पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों की तैयारी करते हैं और अपने स्तर पर ही खेल से जुड़े उपकरण खरीद रहे हैं. जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम की बात करें तो कई ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर है जिनका काम सालों पहले शुरू हुआ लेकिन आज तक इन्हें पूरा नहीं किया जा सका है. इसका असर खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस पर पड़ रहा है. वहीं राजस्थान में कोच की कमी भी एक प्रमुख कारण है जिससे खिलाड़ियों को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा.