जयपुर. कोरोना की पहली लहर के दौरान ही राजस्थान सरकार ने कोविड-19 में कर्मचारी की मौत होने पर 50 लाख की सहायता का आदेश दिया था. एक्सग्रेशिया और अनुग्रह राशि के रूप में यह सहायता देने के लिए बाकायदा आदेश भी जारी किया गया था.
अफसोस की बात यह है कि कोरोना की दूसरी लहर में जब काफी संख्या में कर्मचारियों की मौत हुई तब सरकार के इस वादे का लाभ उनके परिवारों को नहीं मिल पाया.
कितने कर्मचारी प्रभावित
सहकारिता विभाग के कर्मचारी और राजस्थान की करीब 6500 ग्राम सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारी, पैक्सकर्मी, लेम्प्स कर्मचारी सीधे तौर पर प्रभावित हैं. क्योंकि इन्हीं में से कोरोना के कारण 26 से ज्यादा कर्मचारियों की मौत हो गई. लेकिन अबतक उनके परिवारों को 50 लाख रुपए की अनुग्रह राशि नहीं मिल पाई है.
कर्मचारी संगठन नाराज
कर्मचारी संगठनों में रोष है. वह अब मृतक कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति की मांग भी कर रहे हैं. इस पूरे प्रकरण में वित्त विभाग की लापरवाही से भी खफा हैं.
सहकारिता विभाग नहीं है अनजान!
सहकारिता विभाग को भी इस प्रकरण की जानकारी है. मंत्री उदयलाल आंजना से लेकर विभाग के रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल, प्रमुख सचिव ने समस्या के समाधान के लिए वित्त विभाग और सरकार से पत्राचार किया लेकिन मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को राहत नहीं मिल पाई. सहकारिता विभाग में रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल के मुताबिक वित्त विभाग के पास प्रस्ताव भेजा गया है. यानी वित्त विभाग से हरी झंडी का इंतजार है.
कोरोना का दंश झेल रहे कर्मचारी
सहकारिता विभाग में कर्मचारियों की संख्या 500 से 600 के बीच ही है लेकिन विभाग के अधीन आने वाले ग्राम सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारी की संख्या हजारों में है. सहकारी बैंकों में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या अलग है. हालांकि जो कर्मचारी सहकारी बैंकों में काम करते हैं, उनकी जिम्मेदारी बैंक प्रबंधन अपने लाभांश से दे सकता है लेकिन ग्राम सेवा सहकारी समितियों और सहकारी क्रय-विक्रय केंद्रों में कार्यरत कर्मचारी कोरोना का दंश झेल चुके हैं. उन्हें तो राहत सरकार को ही देना चाहिए. फिर भी कर्मचारियों को सरकार के वादे के अनुरूप राहत नहीं मिली. जिस पर विपक्ष ने भी राजनीति शुरू कर दी है.
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भाजपा किसान मोर्चा ने घेरा
भाजपा किसान मोर्चा महामंत्री ओपी यादव की मानें तो प्रदेश कांग्रेस सरकार शुरू से ही वादाखिलाफी के लिए मशहूर है. अब कर्मचारी भी इसके शिकार हो गए हैं जबकि सरकार को इस महामारी के दौरान किए वादे पूरे करने चाहिए.
कोरोना महामारी के दौरान इस तरह दी कर्मचारियों ने अपनी सेवा
महामारी में भी जनसाधारण और किसानों को विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सहकारी संस्थाओं और विभाग के कार्मिक लगातार काम करते रहे.
- केंद्रीय सहकारी बैंक और ग्राम सेवा सहकारी समितियों द्वारा अल्पकालीन ऋण वितरण
- प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक द्वारा दीर्घकालीन ऋण वितरण
- क्रय-विक्रय सहकारी समिति द्वारा समर्थन मूल्य खरीदी
- कृषि आदान पशु आहार वितरण कार्य, पीडीएस कार्य
- सहकारी उपभोक्ता भंडारों द्वारा उपभोक्ता वस्तुओं का वितरण कार्य
- पेंशनरों, राजकीय कर्मचारियों को दवा, मास्क वितरण
कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में यह सभी काम लगातार किए जा रहे हैं.
कब वादा पूरा करेंगे 'सरकार'?
बहरहाल राज्य कर्मचारियों और संविदा कर्मचारियों से किया गया वादा अबतक अधूरा है. ना केवल सहकारिता विभाग या सहकारी संस्थाओं के कर्मचारियों को बल्कि प्रदेश के सरकारी क्षेत्र में कार्यरत बिजली कंपनियों के कर्मचारियों का भी यही हाल है. हालांकि कर्मचारियों की उम्मीदें बंधीं हैं.