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शहर की सरकार-वार्ड वार: आमेर के बाशिंदों ने बताई पीड़ा, पार्षद ने भी कबूला - मूलभूत सुविधाओं से वंचित है वार्डवासी - jaipur news

प्रदेश में नवंबर माह में निकाय चुनाव होने वाले हैं. निकाय चुनाव और पंचायती चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. इस दौरान ईटीवी भारत ने बुधवार को राजधानी के आमेर इलाके का दौरा किया. इस दौरान वहां की समस्याओं का जायजा लिया. साथ ही स्थानीय पार्षद से भी इस विषय पर चर्चा की.

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Published : Oct 17, 2019, 12:14 PM IST

जयपुर. नवंबर में प्रदेश के 52 नगरीय निकायों में शहर की सरकार चुनी जाएगी. इसे लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. राजनीति के दिग्गज अपनी-अपनी गणित लगाने में जुटे हुए हैं. इस बीच बुधवार को 'शहर की सरकार, वार्ड वार' में बात करेंगे निगम में वर्षा जल पुनर्भरण और संरक्षण समिति के अध्यक्ष कजोड़ मल सैनी के वार्ड 91 की.

आमेर के बाशिंदों ने बताई पीड़ा

ऐतिहासिक नगरी आमेर जो पहले खुद नगरपालिका हुआ करती थी, उस संपूर्ण नगर पालिका का एक वार्ड बनाया गया है. वार्ड 91 की अगर बात की जाए तो इसे दो भागों में बांटा जा सकता है. पहला आमेर की चार दिवारी जबकि दूसरा ग्रामीण क्षेत्र. वार्ड के परिक्षेत्र एयर फोर्स स्कूल को शामिल करते हुए कनक घाटी, जयगढ़, आमेर, सागर होते हुए दिल्ली रोड तक जाता है. और उसके बाद आगे कुंडा से पीली की तलाई होते हुए रामगढ़ मोड़ तक पुरानी नगरपालिका का संपूर्ण क्षेत्र इसी वार्ड में आता है. इस वार्ड की खासियत ये है कि यहां आमेर, जयगढ़ जैसी ऐतिहासिक धरोहर भी इसी में है. तो वहीं राजस्थान की पुरानी विरासत भी यहीं बसती है. 2014 में हुए वार्डों के पुनर्गठन की स्थिति में ये वार्ड सबसे ज्यादा 50,050 जनसंख्या के साथ सबसे बड़ा वार्ड था.

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ये वार्ड इसलिए भी खास है क्योंकि यहां के पार्षद नगर निगम में वर्षा जल पुनर्भरण एवं संरक्षण समिति के चेयरमैन है. उनकी माने तो आमेर बहुत सी मूलभूत सुविधाएं वंचित है. हालांकि सफाई के प्रयास किए गए हैं. वहीं सड़कों का काम भी कराया गया है. नालियों के काम हुए हैं, जबकि टूरिस्ट प्लेस पर सुलभ शौचालय बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि पुराने क्षेत्र होने के चलते यहां छोटी-छोटी गलियां है, और आने-जाने वाले लोगों को परेशानी होती है. यहां नाली और सीवर की व्यवस्था नहीं है. जिसे ठीक कराने के लगातार प्रयास किए गए. उन्होंने इसे शहर का सबसे बड़ा वार्ड बताते हुए अतिरिक्त बजट की जरूरत बताई. वहीं आमेर के मावठा में बीसलपुर पानी छोड़ने की शुरुआत और इससे बढ़ रहे जल स्तर को अपनी बड़ी उपलब्धि बताया.

ईटीवी भारत ने यहां लोगों से क्षेत्रीय समस्या और पार्षद की ओर से किए गए कामों को लेकर राय जानी. उन्होंने बताया कि

  • सफाई की समस्या है, आवारा पशुओं का खौफ है.
  • रोड की समस्या है, पानी के टैंकर बिकते हैं.
  • ट्रैफिक जाम की परेशानी रहती है.
  • महिला कॉलेज की कोई व्यवस्था नहीं.
  • सीवर का गंदा पानी बहता रहता है.
  • रास्ते में गड्ढे हैं जिन्हें दुरुस्त नहीं किया गया.
  • कचरा उठाने वाले हूपर समय पर नहीं आते.

2014 में कजोड़ मल सैनी से हार का सामना करने वाले बीजेपी प्रत्याशी सुभाष गुप्ता ने बताया कि बीते 5 साल में जितना काम होना चाहिए था, उसका अभाव देखने को मिला. वर्षा जल का संरक्षण होना चाहिए था, इसे लेकर जरा भी प्रयास नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि चंदवाजी तक कोई भी बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है. जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है. जबकि टूरिस्ट सेंटर पॉइंट होने के बावजूद यहां सफाई की कोई व्यवस्था नहीं देखने को मिलती.

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वार्डों के परिसीमन के बाद वार्ड 91 को अब दो हिस्सों में बांट दिया गया है. वार्ड 149 में आमेर का ग्रामीण इलाका है. जहां 23,167 जनसंख्या रहेगी. जबकि वार्ड 150 में आमेर वॉल सिटी शामिल की गई है. इस वार्ड को 26,863 जनसंख्या वाला बनाया गया है. वार्डों की लॉटरी के दौरान वार्ड 149 और 150 दोनों ही सामान्य सीट हैं. ऐसे में वर्तमान वार्ड पार्षद कजोड़ मल सैनी यदि इस बार चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो अपनी सहूलियत के अनुसार दोनों में से किसी भी वार्ड से टिकट मांग सकते हैं.

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