जयपुर. प्रदेश की राजधानी जयपुर में बीते 15 सालों में अपार्टमेंट कल्चर तेजी से बढ़ा है. करीब 8 लाख मकानों की आवश्यकता रखने वाला जयपुर अब हॉरिजॉन्टल के साथ-साथ वर्टिकल भी बढ़ रहा है. यही नहीं कोरोना काल में तो लोगों को अपना खुद का आवास होने की भी जरूरत महसूस हुई. यही वजह रही कि लोगों ने अफोर्डेबल हाउसिंग और हाउसिंग बोर्ड के सस्ते आवासों की तरफ रुख किया.
हाउसिंग बोर्ड का रियलिटी चेक-1 पढ़ें- SPECIAL : बीकानेर में बढ़ रहे फर्जी दस्तावेज से जमीन खरीदने के मामले...सावधान रहें, झांसे में न आएं
अकेले हाउसिंग बोर्ड ने तो बीते सवा साल में 8000 से ज्यादा आवास बेचे हैं, लेकिन ये आवास यहां रहने वाले लोगों के लिए कितने सुरक्षित हैं और क्या बिल्डिंग बायलॉज में स्ट्रक्चर सेफ्टी के साथ रहवासियों के सुरक्षा के मानक जुड़े हैं या नहीं, यही जानने के लिए ईटीवी भारत चीफ टाउन प्लानर के पास पहुंचा. साथ ही हाउसिंग बोर्ड के अपार्टमेंट में सुरक्षा का रियलिटी चेक भी किया.
सेफ्टी एंड सिक्योरिटी प्रमुख बिंदु
भारत सरकार की ओर से जो लिवेबिलिटी इंडेक्स का सर्वे किया जाता है, उसमें सेफ्टी एंड सिक्योरिटी प्रमुख बिंदु है. शहर में जिस तरह से अपार्टमेंट कल्चर डेवलप हो रहा है, इसके साथ-साथ इन अपार्टमेंट्स में आपराधिक गतिविधियां भी बढ़ रही हैं. लेकिन, राजस्थान बिल्डिंग बायलॉज में अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के सुरक्षा इंतजामों को लेकर कोई दिशा-निर्देश ही तय नहीं है.
चीफ टाउन प्लानर आरके विजयवर्गीय ने बताया कि जो कॉलोनी डेवलपमेंट हो रही है, नगरीयकरण बढ़ रहा है, उसके तहत सेफ्टी इश्यू भी गंभीर विषय होता जा रहा है. ऐसे में डेवलपर्स, हाउसिंग बोर्ड या जेडीए की ओर से जो भी ग्रुप हाउसिंग सोसायटी बनती है, उसमें बिल्डिंग बायलॉज के तहत स्ट्रक्चर सेफ्टी, एनवायरमेंट, फायर एयरपोर्ट एनओसी, पार्किंग की रिक्वायरमेंट होती है. इन सभी को बायलॉज में विस्तृत रूप से दिया गया है.
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विजयवर्गीय ने कहा कि जो गेटेड कम्युनिटी होती है वहां सुरक्षा द्वार लगाना और चौकीदार रखना भी शामिल है. इसके अलावा सीसीटीवी कैमरा, सर्विलेंस सिस्टम और कमांड एंड कंट्रोल रूम की भी दरकार होती है ताकि अपार्टमेंट में अवांछित गतिविधि या दुर्घटना पर पुलिस प्रशासन की सीधी नजर रहे. इन्हें जल्द बायलॉज के साथ जोड़ा जाएगा. फिलहाल, इस संबंध में कोई भी विस्तृत दिशा-निर्देश बिल्डिंग बायलॉज में नहीं है.
हाउसिंग बोर्ड का रियलिटी चेक-2 प्रताप नगर स्थित मेवाड़ अपार्टमेंट का रियलिटी चेक
चीफ टाउन प्लानर से जानकारी लेने के बाद ईटीवी भारत हाउसिंग बोर्ड के प्रताप नगर स्थित मेवाड़ अपार्टमेंट पहुंचा. इस अपार्टमेंट में कुल 352 फ्लैट है. दिन में सैकड़ों की संख्या में रहवासी हैं. इस अपार्टमेंट में सुरक्षा बंदोबस्त का रियलिटी चेक करने ईटीवी भारत यहां पहुंचा तो मुख्य द्वार पर ही सिक्योरिटी गार्ड ने रोक कर फोटो सहित पूरी जानकारी ली.
साथ ही वाहन नंबर भी क्लिक किया और मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए जो फ्लैट नंबर बताया गया उसके ओनर को परमिशन के लिए भेजा गया. इस संबंध में यहां बनी अपार्टमेंट सोसायटी के सेक्रेटरी अश्विनी बोहरा ने बताया कि प्रत्येक आगंतुक की 4 तरह से सिक्योरिटी जांच की जाती है. पहले गेट पर सिक्योरिटी गार्ड जांच करता है, उसके बाद माईगेट एप पर संबंधित रेजिडेंट को उसकी फोटो और डिटेल भेजी जाती है, जिसके अनुमोदन के बाद ही आगंतुक को अनुमति दी जाती है.
ऐसे होता है जांच
इसके अलावा समय-समय पर सीसीटीवी कैमरे की भी जांच की जाती है. इसके लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. इसके अलावा रेजिडेंट को एक एडवाइजरी जारी कर रखी है, जिसके तहत संदिग्ध वस्तु और संदिग्ध व्यक्ति दिखने पर कंट्रोल रूम में या सिक्योरिटी गार्ड को इन्फॉर्म करें. उन्होंने बताया कि इस अपार्टमेंट में कुल 32 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. जल्द 32 और इंस्टॉल किए जा रहे हैं. इसके लिए प्रत्येक फ्लैट ओनर से मेंटेनेंस चार्ज लिया जाता है.
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बहरहाल, इस रियलिटी चेक में हाउसिंग बोर्ड का ये अपार्टमेंट पास हुआ, लेकिन अपार्टमेंट में बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों के चलते अब जरूरत है बिल्डिंग बायलॉज में रहवासियों के लिए सिक्योरिटी फीचर्स भी जोड़े जाएं ताकि अपार्टमेंट में रहने वाले लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें.