जयपुर. साल 2016 में हिंगोनिया गोशाला (Hingonia Gaushala Jaipur) में बारिश की वजह से पशु बाड़ों में कीचड़ में फंसने से सैकड़ों गोवंश काल का ग्रास बन गए थे. उस वक्त इस गोशाला का संचालन जयपुर नगर निगम के जिम्मे था. गायों की मौत की वजह से मचे हंगामे के बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने गोशाला का संचालन श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट को सौंप दिया था. तभी से यहां व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी भी हर दिन तकरीबन 40 से 45 गोवंश यहां लाए जा रहे हैं. इस कारण लगातार बढ़ रही गोवंशों की संख्या की तुलना में बाड़े अपर्याप्त (Sheds and new enclosures work pending in Hingonia Gaushala) पड़ रहे हैं. आलम ये है कि अभी भी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के बजाय ग्रेटर नगर निगम और हेरिटेज निगम ट्रस्ट को भुगतान नहीं कर रहा है. दोनों पर 5 करोड़ रुपये का बकाया हो चुका है.
जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गोशाला की तरफ शहर के दोनों निगम ने उदासीन रवैया अपना रखा है या यूं कहें कि गोशाला का काम देख रहे ट्रस्ट को नगर निगम भुगतान करने के मूड में नहीं. हिंगोनिया गोशाला में बढ़ती गोवंश की संख्या के साथ नगर निगम पर बकाया बढ़ता जा रहा है. इससे गायों की सही तरह से देखरेख करना कठिन होता जा रहा है. ऊपर से हर दिन शहर से आने वाले करीब 40 से 45 गोवंश से अब यहां संख्या 13 हज़ार 100 पहुंच गई है जिसकी वजह से गोवंश को पर्याप्त चारा और बाट उपलब्ध कराना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.
आलम ये है कि अभी भी कई बाड़ों में शेड नहीं लगाए जा सके हैं और अब गोवंश की बढ़ती संख्या के चलते यहां मौजूद 55 बाड़े भी कम पड़ने लगे हैं. गर्मी के इस दौर में गोवंश के वर्तमान हालातों को जानने के लिए ईटीवी भारत हिंगोनिया गोशाला पहुंचा. यहां देखने को मिला कि बाड़ों की फर्श अब ब्रिक्स से बना दी गई है. ताकि मानसून के दौरान 2016 की स्थिति ना बने. वहीं काफी बाड़ों में शेड भी लगा दिए गए हैं. यही नहीं करंट जैसी स्थिति पैदा न हो इसके लिए बाड़ों में सोलर लाइट लगाई गई है. यहां हर दिन शहर और आसपास से 40 से 45 गोवंश लाए जाते हैं. नतीजन यहां गोवंश की संख्या अब 13 हजार से ज्यादा पहुंची है जिनके लिए मौजूदा शेड वाले बाड़े नाकाफी साबित हो रहे हैं.