जयपुर.कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच विश्वविद्यालय के छात्रों में परीक्षाओं को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. जिस पर राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आरके कोठारी ने ये साफ कर दिया कि यदि परिस्थितियां अनुकूल रही तो विश्वविद्यालय में जून के पहले सप्ताह से परीक्षाएं शुरू होंगी और इससे 10 दिन पहले छात्रों के लिए टाइम टेबल जारी कर दिया जाएगा. छात्रों को बिना परीक्षाओं के प्रमोट नहीं किया जाएगा.
राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुलपति से ईटीवी भारत की खास बातचीत राजस्थान के विश्वविद्यालयों में जून के पहले सप्ताह से बची हुई परीक्षाएं कराना प्रस्तावित है. ऐसे में राजस्थान विश्वविद्यालय ने परीक्षाओं की तैयारियां शुरू कर दी है. इसे लेकर परीक्षा नियंत्रक ने सभी संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्य और केंद्र अधीक्षकों से जानकारी मांगी है. पूछा गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए परीक्षा कक्ष में 2 परीक्षार्थियों के बीच 2 गज की दूरी तय करते हुए एक पारी में अधिकतम कितने परीक्षार्थियों की परीक्षा करवाई जा सकती है.
परीक्षाओं की अंतिम तारीख नहीं हुई है तय
हालांकि, अभी परीक्षाओं को लेकर अंतिम तारीख तय नहीं हुई है. ऐसे में छात्रों में परीक्षाओं और फिर नवीन सत्र को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. छात्रों में फैल रहे भ्रम को दूर करने के लिए ईटीवी भारत ने राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरके कोठारी से खास बातचीत की.
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कोठारी ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से परीक्षाओं को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने ये स्पष्ट किया था कि यदि परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं तो ऐसी स्थिति में जून के पहले सप्ताह में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में परीक्षाएं कराई जाएंगी. जिसमें यूजी थर्ड ईयर और पीजी फाइनल ईयर की परीक्षाएं प्राथमिकता से कराई जाएंगी और इसके बाद फर्स्ट ईयर, सेकंड ईयर और पीजी प्रीवियस की परीक्षाएं ली जाएंगी.
कुलपति ने बताया कि आखिर में लॉ और एजुकेशन की परीक्षाएं कराने का क्रम तय किया गया था. लेकिन परीक्षाओं की तैयारी और परीक्षाओं का आयोजन 2 अलग-अलग विषय है. छात्रों में अनावश्यक भ्रम फैल रहा है. अभी जो सारी गतिविधियां चल रही हैं, वो परीक्षाओं की तैयारियों को लेकर है.
बढ़ाने होंगे परीक्षा सेंटर
कोठारी का कहना है कि वैश्विक महामारी के परिपेक्ष में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए परीक्षा करानी है, जिसके तहत परीक्षा केंद्रों से 2 गज की दूरी के साथ परीक्षा कराने का डेमो मांगा है और ये भी निश्चित है कि अब सेंटर बढ़ाने होंगे. ऐसे में जिन सीनियर सेकेंडरी स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा है, उन्हें भी राज्य सरकार के सहयोग से लिया जाएगा.
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प्रोफेसर आरके कोठारी ने स्पष्ट किया कि सेकेंड और फोर्थ सेमेस्टर के विषयों के कोर्स से पूरे नहीं हो पाए हैं. उनमें भी 50 से 60 फीसदी कोर्स पूरा हो चुका है और यदि 1 जून के बाद कक्षाएं लगाना संभव नहीं हो सका, तो ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से कोर्स पूरा कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं चल रहा है, बहुत से छात्र गांव या दूसरे शहरों में म हैं, जो परीक्षा देने आ ही नहीं सकते और यदि यहां पहुंचेंगे भी तो उनके रहने की व्यवस्था नहीं हो पाएगी. ऐसे में सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए आंकलन किया जाएगा कि परीक्षा कराई जा सकती हैं या नहीं.
नया सत्र होगा डीले...
वहीं, नए सत्र को लेकर उन्होंने कहा कि ये तय मान के चलिए कि नया सत्र डीले होगा. यूजीसी ने जो क्वार्ड कमेटी ने तो 1 सितंबर से नया सत्र शुरू करने के लिए कहा है, ऐसे में नए सत्र में शुरू से ही एक्स्ट्रा क्लासेस लगाने का प्रावधान तय किया जाएगा ताकि छात्रों को नुकसान ना हो.
छात्रों को नहीं किया जाएगा प्रमोट
कुलपति ने ये भी स्पष्ट किया कि परिस्थितियां सामान्य होने पर ही परीक्षाएं कराई जाएंगी. उन्होंने खुद को किसी भी आधार पर छात्रों को प्रमोट करने के पक्ष में नहीं बताया. क्लास प्रमोट करने को अंतिम विकल्प बताते हुए उन्होंने कहा कि इसकी अनुशंसा के लिए भी अलग से समिति गठित होगी, साथ ही यूजीसी से भी डायरेक्शन लेने होंगे.
विश्वविद्यालय में यूजी के कुल 4 लाख और पीजी के सवा लाख से ज्यादा विद्यार्थी हैं, जिन्हें परीक्षा के लिए ट्रैवल भी करना होगा. लेकिन कोरोना संक्रमण काल में ये संभव नहीं है. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन फिलहाल इस संकटकाल के टलने का इंतजार कर रहा है. लेकिन ये परीक्षा कराना किसी चुनौती से कम नहीं है, ऐसे में तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई है.