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Exclusive: फोन टैपिंग मामले पर बोले पूनिया- ACB-SOG को सरकार ने कुर्सी बचाने के लिए यूज किया इसलिए ऊपर जाना पड़ा

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने फोन टैपिंग को लेकर दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाया है. फोन टैपिंग मामले को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि गहलोत सरकार ने एसीबी और एसओजी का कुर्सी बचाने के लिए उपयोग किया. इसलिए इस मामले में ऊपर जाना पड़ा.

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Published : Mar 28, 2021, 8:40 PM IST

Satish poonia interview,  Phone tapping case
फोन टैपिंग मामले पर बोले पूनिया

जयपुर. फोन टैपिंग मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दिल्ली पुलिस में मामला दर्ज कराने के बाद गरमाई सियासत के बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि राजस्थान सरकार ने इस मामले में एसीबी और एसओजी को कुर्सी बचाने के लिए इंस्ट्रूमेंट की तरह यूज किया. जिसके चलते जांच के लिए ऊपर जाना पड़ा. पूनिया ने कहा कि अब जब जांच होगी तो सब कुछ सामने आ जाएगा.

फोन टैपिंग मामले पर बोले पूनिया

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ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान सतीश पूनिया ने कहा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गृह विभाग इसके लिए अपने पास रखा ताकि वो अनैतिक काम कर सकें. पूनिया कहते हैं कि मुख्यमंत्री को प्रदेश की मातृशक्ति की अस्मत बचाने से ज्यादा फिक्र अपनी कुर्सी बचाने की है और वो उसी में व्यस्त हैं. इसके लिए वे पुलिस, एसओजी और एसीबी जैसी एजेंसी का बेवजह इस्तेमाल करते हैं.

उपचुनाव के बीच दिल्ली में केंद्रीय मंत्री की ओर से मामला दर्ज कराए जाने से जुड़े सवाल के जवाब में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा यह काम कोई समय देखकर या मुहूर्त निकाल कर नहीं किया जा सकता. भाजपा लगातार इस मामले को उठा रही है और सदन के भीतर तो प्रदेश सरकार ने एक सवाल के जवाब में यह बात मान भी ली है कि राजस्थान में फोन टैपिंग की जा रही है. मतलब राजनेता भी यहां सुरक्षित नहीं हैं.

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ऐसे में जब फोन टैपिंग हो रही है तो इस मामले की जांच भी होना जरूरी है क्योंकि राजस्थान पुलिस एसीबी और एसओजी का प्रदेश सरकार बेवजह इस्तेमाल कर रही है. ऐसे में भाजपा ने पहले भी यह मांग की थी कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई या फिर NIA से करवाया जाए. ऐसे भी देश में यह व्यवस्था है कि लोअर कोर्ट में न्याय ना मिले तो हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक आदमी जा सकता है. वैसे ही जब राजस्थान पुलिस एसीबी और एसओजी सरकार के इशारे पर काम कर रही है तो दूसरी एजेंसी से इसकी जांच होना बेहद जरूरी है. जब जांच होगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

कांग्रेस की अंतरकलह से उपजा विवाद

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अनुसार यह पूरा मसला कांग्रेस के भीतर चल रही अंतरकलह और विवरण से उपजा है. पूनिया के अनुसार प्रदेश की गहलोत सरकार पहले दिन से ही कमजोर है क्योंकि इसका गठन कमजोरी बुनियाद पर हुआ. ना तो सरकार के पास पूरी मेजॉरिटी थी और ना ही अपनों का समर्थन. इसीलिए बीएसपी विधायकों को शामिल किया और निर्दलीयों का समर्थन लेना पड़ा.

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आलम यह है कि बीएसपी के विधायक आज इधर-उधर हो सकते हैं और मुख्यमंत्री को इन्हें पकड़कर वापस लाना पड़ता है. सतीश पूनिया ने कहा कि इससे साबित होता है कि सरकार पहले से ही कमजोर है. प्रदेश सरकार का गठन दो लोगों की महत्वाकांक्षी का परिणाम था, लेकिन एक महत्वकांक्ष की इस दौड़ से किन्ही कारणों से बाहर हो गया, लेकिन उसके जो कारण थे वह आज भी कांग्रेस के भीतर अंतरकलह के कारण हैं. पूनिया के अनुसार अब जब सरकार कमजोर है तो प्रदेश के विकास पर इसका असर पड़ना तय है.

यदि कांग्रेस के लोग दोषी हैं तो पहले लें उनका वॉयस सैंपल

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सतीश पूनिया ने कहा कि यह तार्किक सी बात है कि राज्य सरकार ने पहले इनीशिएटिव लेकर अपने ही लोगों के खिलाफ एसओजी में मामला दर्ज कराया और राजद्रोह तक का मामला लगाया गया, लेकिन फिर बाद में एफआर लगा दी गई. अब यदि कांग्रेस को लगता है कि उनके ही लोग दोषी हैं तो पहले उनका वॉयस सैंपल ले लेना चाहिए.

पूनिया ने कहा कि प्रदेश सरकार सरकारी एजेंसियों का दुरूपयोग कर केवल अनैतिक दबाव बनाना चाहती है और जिस प्रकार पूर्व उप मुख्यमंत्री और अपने ही लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करा कर बाद में एफआर लगा दी गई, जिससे यह सिद्ध हो गया कि सरकार स्वयं गलत है.

परिणाम की भविष्यवाणी नहीं कर सकता...

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से जब मौजूदा मामले में जांच को लेकर सरकार की स्थिति के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जांच का परिणाम क्या होगा, इसकी भविष्यवाणी मैं अभी नहीं कर सकता. लेकिन जो कुछ होगा वह सबके सामने आ जाएगा. पूनिया ने कहा कि विधानसभा में एक जिम्मेदार मंत्री के जवाब और सवाल का जो जवाब आया उसके बाद यह सार्वजनिक हो चुका है कि राजस्थान में राजनेताओं के भी फोन टैप किए जा रहे हैं. ऐसे में इसकी जांच होना बेहद जरूरी है.

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