जयपुर. संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. कोरोना महामारी के बीच इस बार संसद की कार्यवाही पर भी कोरोना का असर साफ देखा जाएगा. पहले 4 घंटे लोकसभा की कार्यवाही और उसके बाद 4 घंटे राज्यसभा की कार्यवाही चलेगी. जिसमें 2 घंटे का ब्रेक रखा जाएगा.
राज्यसभा सांसद नीरज डांगी से ईटीवी भारत की खास बातचीत-1 वहीं, इस बार संसद की कार्यवाही में प्रश्नकाल और शून्यकाल भी नहीं रखा गया है, जिसे लेकर कांग्रेस के सांसद विरोध भी जता रहे हैं. राजस्थान से कांग्रेस पार्टी की ओर से इस बार राज्यसभा सांसद के तौर पर नीरज डांगी संसद सत्र में भाग लेंगे. हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल भी राजस्थान से ही राज्यसभा सांसद चुने गए हैं, लेकिन नीरज डांगी ही एकमात्र नेता हैं, जो राजस्थान के हैं. ऐसे में न केवल उनके क्षेत्र के लोगों की बल्कि आम राजस्थानी की और राजस्थान सरकार की बात भी वो संसद में रखते दिखाई देंगे. नीरज डांगी ने शनिवार को संसद सत्र को लेकर ईटीवी भारत से खास बात की है.
सवाल- पहली बार संसद सत्र में भाग लेंगे क्या कुछ योजनाएं हैं?
जवाब- संसद का यह सत्र छोटा होगा. 4 घंटे का समय लोकसभा और 4 घंटे का समय राज्यसभा को मिलेगा, जो अलग-अलग समय चलेंगे. उन्होंने कहा कि 1 दिन में 4 घंटे का समय कम है, प्रश्नकाल भी नहीं होगा तो निश्चित तौर पर हम जो सवाल के जरिए बहस करना चाहते हैं वह नामुमकिन रहेगी. हालांकि इस सत्र में जो ज्वलंत मुद्दे होंगे. उनमें अर्थव्यवस्था के खस्ताहाल और कोरोना रहेगा.
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नीरज डांगी ने कहा कि आज देश के हालात खराब हैं और केंद्र ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. इस मुद्दे पर हम केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करेंगे क्योंकि केंद्र की जिम्मेदारी थी कि वह कोविड-19 के समय में जनता का ध्यान दें. लेकिन इसमें केंद्र सरकार पूरी तरीके से विफल रही है. उसे घेरने का काम संसद सत्र में किया जाएगा.
राज्यसभा सांसद नीरज डांगी से ईटीवी भारत की खास बातचीत-2 सवाल- प्रश्नकाल नहीं होने से क्या फर्क पड़ेगा और आपने क्या मुद्दे उठाए हैं?
जवाब- प्रश्नकाल अगर होता है तो सवाल जब रखा जाता है तो उसका जवाब दिया जाता है और उसमें बहस होती है और मुद्दे की वस्तुस्थिति सामने आती है. इस बार हमने अन स्टार्टेड प्रश्न रखे हैं, जिसमें अजमेर, पाली और सिरोही से पालनपुर तक जाने वाली NH-62 में जो कमियां और गड़बड़ी है, वह किन अधिकारियों की मिलीभगत से हुई और क्षतिग्रस्त सड़क को ठीक करवाने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है.
इसके साथ ही सवाल में यह भी पूछा गया है कि सेंट्रल रोड रिजर्व इंस्टीट्यूट ने इसकी जांच की है, उसमें रिपोर्ट क्या आई और मेंटेनेंस रिपेयरिंग में कितना पैसा लगना है. साथ ही जब पूरी सड़क ही खराब है तो फिर जनता से टोल टैक्स किस बात का लिया जा रहा है. दूसरा सवाल डांगी ने आबू रोड पर एयरस्ट्रिप को कमर्शियल एक्टिविटी में शामिल करने के लिए रखा है.
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नीरज डांगी ने कहा कि संसद में उन्होंने पूछा है कि क्या इस एयर स्ट्रिप को एयरपोर्ट में तब्दील करने की योजना केंद्र सरकार रखती है क्योंकि इसकी चौड़ाई अभी 15 मीटर और लंबाई 1150 मीटर है जो कमर्शियल एक्टिविटी के लिए सही नहीं है. उसे कमर्शियल करने के लिए 1800 मीटर की लेंथ और 30 मीटर की चौड़ाई होगी तो ही वह कमर्शियल इस्तेमाल में आ सकता है. इस एयरस्ट्रिप को कमर्शियल एयरपोर्ट में तब्दील करने की सरकार की योजना है या नहीं इसके बारे में पूछा है.
सवाल- राजस्थान सरकार और राजस्थान की जनता से जुड़े क्या मुद्दे रखेंगे?
जवाब- कोरोना महामारी से दिक्कतें बढ़ी है और उस चुनौती को पूरा करने का काम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में किया है. प्रवासी श्रमिक जो राजस्थान में लौटे हैं, उनको रोजगार देना चुनौती है और उसे राजस्थान की सरकार पूरा करने का प्रयास कर रही है. चाहे वह नरेगा को सुदृढ़ कर उन्हें रोजगार दिया जाए या अन्य तरीके से.
डांगी ने कहा कि मैं खुद लेबर कमेटी में हूं, उसमें भी मैंने इस बात को रखा है कि नरेगा में कार्य दिवस की संख्या 100 दिन से 200 दिन की जाए. साथ ही रोजगार गारंटी शहरी क्षेत्र को भी मिले क्योंकि बेरोजगार होकर प्रवासी शहरों में भी आ रहे हैं. राज्य सरकार इस पर काम तो कर रही है लेकिन इस पर जो बजट चाहिए और जो राजस्व घाटा राज्य सरकारों का बढ़ा है, उसमें केंद्र सरकार से उन्हें राजस्व की रिक्वायरमेंट है. उसकी मांग हम केंद्र सरकार से संसद के माध्यम से करेंगे.
सवाल- पॉलीटिकल क्राइसिस क्या अब राजस्थान में समाप्त हो गया है?
जवाब- गुटबाजी सभी पार्टियों में होती है. राजस्थान में भी है और कांग्रेस में भी है. हमारे यहां भी कुछ बातें ऐसी थी, लेकिन शीर्ष नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अशोक गहलोत ने इस मामले को अब सुलझा लिया है. सब नेताओं को समायोजित कर दिया है. मध्यप्रदेश में जो कमी रही उसका फायदा भाजपा को मिला, लेकिन राजस्थान में भाजपा इस काम में नाकामयाब रही और अब किसी तरीके की दिक्कत राजस्थान में नहीं होगी. सभी एकजुट एक मंच पर एक होकर काम कर रहे हैं.