जयपुर. गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद अब राजस्थान में भरतपुर और धौलपुर जाट समाज को ओबीसी में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है. भतरपुर और धौलपुर के जाट नेताओं 25 दिसंबर से महापड़ाव की चेतावनी दे रखी है. आंदोलन की चेतावनी के बीच जाट नेताओं ने गुरुवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि आंदोलन करना हमारा शौक नहीं मजबूरी है. सरकार राजधर्म निभाकर चिट्ठी लिखे तो आंदोलन नहीं होगा.
भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण आंदोलन संघर्ष समिति के अध्यक्ष नेम सिंह फौजदार ने कहा कि भरतपुर और धौलपुर के जाट समाज लंबे समय से सरकार से ओबीसी में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं. राजस्थान के 31 जिलों के जाट समाज को ओबीसी में आरक्षण दिया हुआ है, जबकि भरतपुर और धौलपुर इन दो जिलों के जाट समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है.
25 दिसंबर को मनाएंगे संघर्ष दिवस
नेम सिंह ने कहा कि 25 दिसंबर सूरजमल बलिदान दिवस के दिन इन दोनों जिलों के जाट समाज के लोग संघर्ष दिवस के रूप में मनाएंगे और खेड़ली में महापड़ाव डाला जाएगा. उन्होंने कहा कि आंदोलन अपने तय समय पर प्रस्तावित है. हालांकि गुरुवार को मुख्यमंत्री सलाहकार आरती डोगरा ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया था. 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने अपने 3 सूत्रीय मांग पत्र आरती डोगरा को सौंप दिया है, जिस पर उन्होंने सकारात्मक रुख अपनाया है.
जाट समाज की मांग...
तीन सूत्रीय मांगों में पहली मांग है कि भरतपुर और धौलपुर के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिया जाए, जिसके लिए राज्य सरकार केंद्र को चिट्ठी लिखी. राज्य सरकार इन दोनों जिलों के जाट समाज की पैरोकार करें ताकि वह केंद्र में दबाव बना सकें. दूसरी मांग है कि 2013 से 2017 के बीच जो भर्तियां हुईं, उसमें समाज के कुछ अभ्यार्थियों को तो नियुक्ति दे दी गई जबकि कुछ अभ्यर्थियों को अभी भी नियुक्ति नहीं दी गई. वह नियुक्ति प्रक्रिया भी पूरी की जाए.