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EXCLUSIVE : आंदोलन करना शौक नहीं मजबूरी है, सरकार राजधर्म निभाकर चिट्ठी लिखे: जाट नेता

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Published : Dec 17, 2020, 5:09 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 5:24 PM IST

भरतपुर और धौलपुर के जाट नेताओं ने 25 दिसंबर को महापड़ाव की चेतावनी दी है. गुरुवार को जाट समाज का 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री सलाहकार आरती डोगरा से मुलाकात की और अपनी 3 सूत्रीय मांग सौंपा. जाट नेता नेम सिंह फौजदार ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि आंदोलन करना हमारा शौक नहीं मजबूरी है.

Jat reservation movement,  Jat leader Nem Singh Faujdar
जाट नेता नेम सिंह फौजदार

जयपुर. गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद अब राजस्थान में भरतपुर और धौलपुर जाट समाज को ओबीसी में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है. भतरपुर और धौलपुर के जाट नेताओं 25 दिसंबर से महापड़ाव की चेतावनी दे रखी है. आंदोलन की चेतावनी के बीच जाट नेताओं ने गुरुवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि आंदोलन करना हमारा शौक नहीं मजबूरी है. सरकार राजधर्म निभाकर चिट्ठी लिखे तो आंदोलन नहीं होगा.

'आंदोलन करना हमारा शौक नहीं मजबूरी है'

भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण आंदोलन संघर्ष समिति के अध्यक्ष नेम सिंह फौजदार ने कहा कि भरतपुर और धौलपुर के जाट समाज लंबे समय से सरकार से ओबीसी में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं. राजस्थान के 31 जिलों के जाट समाज को ओबीसी में आरक्षण दिया हुआ है, जबकि भरतपुर और धौलपुर इन दो जिलों के जाट समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है.

25 दिसंबर को मनाएंगे संघर्ष दिवस

नेम सिंह ने कहा कि 25 दिसंबर सूरजमल बलिदान दिवस के दिन इन दोनों जिलों के जाट समाज के लोग संघर्ष दिवस के रूप में मनाएंगे और खेड़ली में महापड़ाव डाला जाएगा. उन्होंने कहा कि आंदोलन अपने तय समय पर प्रस्तावित है. हालांकि गुरुवार को मुख्यमंत्री सलाहकार आरती डोगरा ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया था. 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने अपने 3 सूत्रीय मांग पत्र आरती डोगरा को सौंप दिया है, जिस पर उन्होंने सकारात्मक रुख अपनाया है.

जाट समाज की मांग...

तीन सूत्रीय मांगों में पहली मांग है कि भरतपुर और धौलपुर के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिया जाए, जिसके लिए राज्य सरकार केंद्र को चिट्ठी लिखी. राज्य सरकार इन दोनों जिलों के जाट समाज की पैरोकार करें ताकि वह केंद्र में दबाव बना सकें. दूसरी मांग है कि 2013 से 2017 के बीच जो भर्तियां हुईं, उसमें समाज के कुछ अभ्यार्थियों को तो नियुक्ति दे दी गई जबकि कुछ अभ्यर्थियों को अभी भी नियुक्ति नहीं दी गई. वह नियुक्ति प्रक्रिया भी पूरी की जाए.

पढ़ें-धौलपुर के जाटों ने आरक्षण की मांग को लेकर भरी हुंकार, जयपुर में 25 दिसंबर से महापड़ाव की चेतावनी

जाट समाज की तीसरी मांग है कि 2016-17 में जो आरक्षण को लेकर जाट आंदोलन हुआ था और उस समय जो मुकदमे दर्ज हुए थे, उन मुकदमों को वापस लिया जाए. सरकार अगर इन तीनों मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाती है तो जाट समाज अपने 25 दिसंबर के आंदोलन को स्थगित कर सकता है.

आरती डोगरा से वार्ता सकारात्मक

आरती डोगरा से मुलाकात के बाद नेम सिंह ने कहा कि वार्ता सकारात्मक रही है. डोगरा ने कहा है कि वह उनकी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से बातचीत करेंगी और जल्द ही आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए बुलाएंगे. नेम सिंह ने यह साफ कर दिया कि आंदोलन करना उनका शौक नहीं है, उनकी मजबूरी है.

'सरकार जाट समाज को अपना संवैधानिक अधिकार दें'

नेम सिंह ने कह कि उनका जो संवैधानिक अधिकार है वह उन्हें सरकार दें, जिस तरह से 31 जिलों के जाटों को आरक्षण दिया हुआ है. उसी तरीके से शेष बचे इन दोनों जिलों के जाट समाज को भी ओबीसी में शामिल किया जाए. राज्य सरकार अपना राज धर्म निभाते हुए केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखे. सरकार अगर सकारात्मक कदम आगे बढ़ाती है तो जाट समाज किसी तरह के आंदोलन को लेकर रणनीति नहीं बनाएगा.

जाट नेता ने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो जिस तरह का आंदोलन 2016-17 में हुआ था, उसी तरह से एक बार फिर आंदोलन को लेकर वह अपनी रणनीति तय करेंगे.

Last Updated : Dec 17, 2020, 5:24 PM IST

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