जयपुर.प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार की ओर से नौकरशाही में किए गए बड़े बदलावों के बाद सचिवालय को अब दो अतिरिक्त मुख्य सचिव मिल गए हैं. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुबोध अग्रवाल सचिवालय लौट आए हैं. वहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत पहले से ही सचिवालय में काम कर रहे हैं. लेकिन, इसके साथ ही जूनियर आईएएस के अधीन सीनियर आईएएस को लगाने की परंपरा भी टूट गई है.
अब सुबोध अग्रवाल जिन्हें अक्षय ऊर्जा के साथ फिर से पेट्रोलिंग विभाग का जिम्मा सौंपा गया है, वे अपने से जूनियर आईएएस और मुख्य सचिव निरंजन आर्य को रिपोर्ट करेंगे. लेकिन क्या यह परंपरा पहले भी कभी टूटी है, इसको लेकर ईटीवी भारत ने पूर्व आईएएस राजेंद्र भाणावत से खास बातचीत की.
पूर्व आईएएस राजेंद्र भाणावत ने कहा कि सीनियर अधिकारी के अधीन जूनियर अधिकारी को लगाने की परंपरा कभी नहीं रही है. लेकिन, अगर इस बार इस तरह से हुआ है तो भूल से टूटी इस परंपरा को सुधारना चाहिए. भाणावत ने कहा कि यह तो पहले भी होता रहा है कि सीनियर मोस्ट आईएएस अधिकारी को मुख्य सचिव नहीं बना कर नीचे के एसीएस अधिकारी को चीफ सेक्रेटरी का जिम्मा दिया जाता है. इसमें मुख्यमंत्री या सरकार के स्तर पर ही तय किया जाता है.
सरकार को त्रुटि सुधारना चाहिए...
भाणावत ने कहा कि उसमें देखा जाता है कि जो टॉप मोस्ट आईएएस अधिकारी है, उसके पिछले कार्यकाल की कार्यशैली किस तरह की है. उन्हीं के आधार पर ही उसकी जिम्मेदारी तय होती है. लेकिन, यह परंपरा कभी नहीं रही कि जूनियर अधिकारी के अधीन सीनियर अधिकारी को लगा दिया जाए. उन्होंने कहा कि तबादला सूची आई है और उसमें अगर किसी ऐसे अधिकारी को सचिवालय के अंदर लगाया गया है जो चीफ सेक्रेटरी से सीनियर है तो इससे भूलवश त्रुटि के रूप में माना जा सकता है. इस त्रुटि को सरकार को सुधारना भी चाहिए क्योंकि सीनियर अधिकारी को जूनियर अधिकारी को रिपोर्ट करना पड़े यह परंपरा कभी नहीं रही.