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जूनियर अधिकारी के अधीन सीनियर अधिकारी को लगाने की जो भूल हुई है उसे सुधारना चाहिए: पूर्व IAS भाणावत

प्रदेश की गहलोत सरकार ने बुधवार को 67 आईएएस अधिकारियों के तबादले कर दिए गए. सीनियर आईएएस की कमी से जूझ रहे सचिवालय में एसीएस रैंक के अधिकारी सुबोध अग्रवाल को सचिवालय के अंदर लाया गया है, लेकिन इसके साथ ही जूनियर आईएएस के अधीन सीनियर आईएएस को लगाने की परंपरा भी टूट गई है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने पूर्व आईएएस राजेंद्र भाणावत से खास बातचीत की. पढ़ें पूरी खबर...

Rajasthan News,  Former IAS Rajendra Bhanavat interview
पूर्व IAS राजेंद्र भाणावत

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Published : Apr 8, 2021, 10:04 PM IST

Updated : Apr 8, 2021, 11:24 PM IST

जयपुर.प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार की ओर से नौकरशाही में किए गए बड़े बदलावों के बाद सचिवालय को अब दो अतिरिक्त मुख्य सचिव मिल गए हैं. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुबोध अग्रवाल सचिवालय लौट आए हैं. वहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत पहले से ही सचिवालय में काम कर रहे हैं. लेकिन, इसके साथ ही जूनियर आईएएस के अधीन सीनियर आईएएस को लगाने की परंपरा भी टूट गई है.

पूर्व IAS राजेंद्र भाणावत से खास बातचीत

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अब सुबोध अग्रवाल जिन्हें अक्षय ऊर्जा के साथ फिर से पेट्रोलिंग विभाग का जिम्मा सौंपा गया है, वे अपने से जूनियर आईएएस और मुख्य सचिव निरंजन आर्य को रिपोर्ट करेंगे. लेकिन क्या यह परंपरा पहले भी कभी टूटी है, इसको लेकर ईटीवी भारत ने पूर्व आईएएस राजेंद्र भाणावत से खास बातचीत की.

पूर्व आईएएस राजेंद्र भाणावत ने कहा कि सीनियर अधिकारी के अधीन जूनियर अधिकारी को लगाने की परंपरा कभी नहीं रही है. लेकिन, अगर इस बार इस तरह से हुआ है तो भूल से टूटी इस परंपरा को सुधारना चाहिए. भाणावत ने कहा कि यह तो पहले भी होता रहा है कि सीनियर मोस्ट आईएएस अधिकारी को मुख्य सचिव नहीं बना कर नीचे के एसीएस अधिकारी को चीफ सेक्रेटरी का जिम्मा दिया जाता है. इसमें मुख्यमंत्री या सरकार के स्तर पर ही तय किया जाता है.

सरकार को त्रुटि सुधारना चाहिए...

भाणावत ने कहा कि उसमें देखा जाता है कि जो टॉप मोस्ट आईएएस अधिकारी है, उसके पिछले कार्यकाल की कार्यशैली किस तरह की है. उन्हीं के आधार पर ही उसकी जिम्मेदारी तय होती है. लेकिन, यह परंपरा कभी नहीं रही कि जूनियर अधिकारी के अधीन सीनियर अधिकारी को लगा दिया जाए. उन्होंने कहा कि तबादला सूची आई है और उसमें अगर किसी ऐसे अधिकारी को सचिवालय के अंदर लगाया गया है जो चीफ सेक्रेटरी से सीनियर है तो इससे भूलवश त्रुटि के रूप में माना जा सकता है. इस त्रुटि को सरकार को सुधारना भी चाहिए क्योंकि सीनियर अधिकारी को जूनियर अधिकारी को रिपोर्ट करना पड़े यह परंपरा कभी नहीं रही.

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अधिकारियों के बीच संदेश ठीक नहीं जाता

राजेंद्र भाणावत ने कहा कि सचिवालय के बाहर भी कई ऐसे पद होते हैं जहां पर इन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को लगाया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि अगर इस तरह से सीनियर अधिकारी को जूनियर अधिकारी के अधीन रखा जाता है तो अधिकारियों के बीच हुई संदेश भी ठीक नहीं जाता है.

सरकार ने की है संतुलन बनाने की कोशिश

दरअसल, वरिष्ठ अधिकारियों की कमी झेल रही राज्य की गहलोत सरकार ने 67 ब्यूरोक्रेट बदलकर संतुलन बनाने की कोशिश की है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले जाने से खाली पड़े पदों को भरने की इस कवायद के तहत अतिरिक्त मुख्य सचिव लेबल के अधिकारी सुबोध अग्रवाल को अक्षय ऊर्जा के साथ फिर से पेट्रोलियम विभाग का जिम्मा सौंपा गया है.

यह पहला मामला है...

1989 बैच के आईएएस मुख्य सचिव निरंजन आर्य को 1988 बैच के आईएएस सुबोध अग्रवाल रिपोर्ट करेंगे. जानकारों की मानें तो संभवत: यह पहला मामला है जब सचिवालय के अंदर किसी सीनियर अधिकारी को जूनियर अधिकारी के अधीन लगाया गया है.

Last Updated : Apr 8, 2021, 11:24 PM IST

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