जयपुर.केंद्र की सबसे महत्वाकांक्षी योजना 'हर घर नल, घर घर जल' केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के गृह राज्य राजस्थान में ही फेल होती नजर आ रही है. इसका कारण साफ है कि केंद्र और राज्य सरकार में समन्वय का अभाव. प्रदेश सरकार अपनी खराब माली हालत का हवाला देकर योजना में केंद्र के अनुदान 90 फीसदी तक करने की मांग कर रही है. वहीं भाजपा से जुड़े नेता गहलोत सरकार पर जानबूझकर केंद्र की योजनाओं को हटाने का आरोप लगा रहे हैं. इस बीच ईटीवी भारत ने जलदाय मंत्री डॉ. बीडी कल्ला से खास बातचीत की.
मंत्री बीडी कल्ला के अनुसार करीब डेढ़ लाख करोड़ की इस महत्वाकांक्षी योजना में आगामी 4 साल में सरकार को 50 फीसदी खर्चा वहन करना है जो 75 हजार करोड़ होता है. लेकिन कोरोना के संकट काल में प्रदेश सरकार के मौजूदा आर्थिक हालात ऐसे नहीं है कि वह इस खर्चे को वहन कर सकें. ऐसे में केंद्र सरकार को इस नाते राजस्थान को योजना का अनुदान बढ़ा कर देना होगा.
'2013 तक 90 प्रतिशत अनुदान देती थी केंद्र सरकार'
ईटीवी भारत से खास बातचीत में जलदाय मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि इस मसले पर हमारा केंद्र की मोदी सरकार के साथ सैद्धांतिक मतभेद है. उनके अनुसार साल 2013 तक केंद्र सरकार इस तरह की योजनाओं में 90 फीसदी तक अनुदान राज्यों को देती थी, लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही अनुदान की राशि 50 फीसदी कर दी.
कल्ला ने कहा कि हर राज्य की अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियां होती है. पेयजल के लिए राजस्थान की स्थिति किसी से भी छुपी हुई नहीं है, वहीं यूपी और बिहार की तरह राजस्थान में सरफेस वाटर भी नहीं है. साथ ही भूजल की स्थिति लगातार खराब हो रही है. ऐसे में यदि इस योजना के लिए ढांचागत व्यवस्था करनी है तो काफी संख्या में रुपए खर्च होंगे और मौजूदा स्थिति में सरकार चाह कर भी ये खर्चा नहीं कर सकती. इसलिए राजस्थान में यह योजना 4 साल तो क्या कई सालों तक पूरा होना मुश्किल है.