जयपुर.राजस्थान विधानसभा में सोमवार को राजस्थान उद्यम एकल खिड़की सामर्थकारी और अनुज्ञा पालन संशोधन विधेयक-2020 पारित किया गया. उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में रखते हुए कहा कि यह कानून प्रभावी कदम साबित होगा. इससे पहले इस बिल पर निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा और कांग्रेस विधायक रोहित वोहरा के साथ ही स्पीकर सीपी जोशी ने भी विधायकों के उठाए मामलों को दिखाने की बात कही.
विधेयक पर बोलते संयम लोढ़ा इस बिल पर चर्चा में निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, कांग्रेस विधायक विवेक बोहरा ने कुछ आपत्तियां भी की जिन के निवारण के लिए स्पीकर सीपी जोशी ने भी मंत्री को कहा. जिसके बाद मंत्री ने अपने जवाब में सब को आश्वस्त किया कि जो संदेह विधायकों के द्वारा किए जा रहे हैं. इस बिल में उन्हें इसका सामना नहीं करना पड़ेगा. इससे पहले इस बिल पर बोलते हुए निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि जो बोर्ड का गठन होने की बात हो रही है, उसमें आप एक मंत्री को बोर्ड की मीटिंग में बुलाना चाहते हो, लेकिन उसे वोटिंग का अधिकार नहीं होगा.
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यानी कि उसके मत की कोई वैल्यू नहीं रखना चाहते हो जो कि प्रजातंत्र के मूल सिद्धांतों के विपरीत है. इस बोर्ड में केवल मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री स्थाई सदस्य होंगे, बाकी सदस्य ब्यूरोक्रेट होंगे. इसमें अगर मंत्री को वोटिंग पावर नहीं हो तो यह गलत है. मंत्री का अगर वोटिंग राइट होगा तो उसकी भी जिम्मेदारी तय होगी. उन्होंने कहा कि लालफीताशाही बिजनेसमैन को चोर समझती है. इस माइंडसेट के लोग इस प्रक्रिया से नहीं हटेंगे, हमें फायदा नहीं होगा.
वहीं, इस मामले पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि एक मिनिस्टर इंचार्ज होगा और उसके पास वोटिंग राइट नहीं होगा और दूसरा बोर्ड उन पॉलिसी के बारे में फैसला करेगा, जिनकी पावर कैबिनेट के पास है. उस को दिखाया जाना चाहिए कि कहीं बोर्ड और कैबिनेट में टकराव तो नहीं होगा. वहीं, कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा ने कहा कि जब तक आप इंडस्ट्री के आदमियों को नहीं रखेंगे जो अपना काम जानते हैं. ब्यूरोक्रेट केवल एसी में बैठकर नियम कायदे बनाते रहेंगे, जो पूरी तरीके से फेल है.
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इन सब मसलों का जवाब देते हुए मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि जिस बोर्ड का अध्यक्ष मुख्यमंत्री खुद होगा, उसमें आपसी सामंजस वैसे ही काम होगा, तो ऐसे में कभी वोटिंग की आवश्यकता ही नहीं होगी. वहीं, कैबिनेट के काम में दखल की बात पर उन्होंने कहा के मुख्यमंत्री खुद ही बोर्ड के जब अध्यक्ष होंगे तो कैबिनेट से टकराव होने की स्थिति बनेगी ही नहीं.
यह केवल कैबिनेट के जरिए होने वाली देरी को रोकने के लिए किया गया है. इससे उद्योगों को राजस्थान में फायदा मिलेगा. इससे प्रदेश में उद्योग जगत में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे. मीणा ने कहा कि प्रदेश में उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाने के लिए 2011 में सिंगल विंडो एक्ट बनाया गया था. उसके बाद उसमें संशोधन भी किया गया. अब औद्योगिक सलाहकार समिति की ओर से प्रभावी बनाने को कहा है जिसके चलते प्रदेश में इन्वेस्टमेंट बोर्ड का गठन किया जा रहा है. इस इन्वेस्टमेंट बोर्ड में अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे तो वहीं औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े 14 विभागों के मंत्री भी इसमें शामिल होंगे. जिससे कीबोर्ड से प्रदेश में औद्योगिक विकास को तेजी दी जा सके.