जयपुर.राजधानी जयपुर परकोटे की दीवार को धरोहर के रूप में विश्व विरासत सूची में जगह मिली. लेकिन, अब यह धरोहर अतिक्रमण और अवैध निर्माण की भेंट चढ़ चुकी है. कहीं दीवारों पर भवन बना लिए गए हैं, तो कहीं परकोटे की दीवार क्षतिग्रस्त हो चुकी है. आलम ये है कि 23 किलोमीटर की दीवार फिलहाल संरक्षण और संवर्धन की बाट जोह रही है. देखें ये खास रिपोर्ट
अतिक्रमण के तले दबी धरोहर...
1727 में बना जयपुर शहर चारों तरफ परकोटे से घिरा है. सात दरवाजों से सुशोभित ये विरासत फिलहाल जरूरतों की इमारतों के बोझ तले दबकर रह गई है. अतिक्रमण धरोहरों पर चढ़ बैठा है. जिन दीवारों के कारण दुनिया इसे विश्व धरोहर के रूप में देख रही है, उन्हीं दीवारों को बेतरतीब इमारतों के बीच ढूंढना पड़ता है. कई ऐतिहासिक प्राचीर बुर्ज तो लापरवाही और अनदेखी की भेंट चढ़ चुके हैं.
जिम्मेदारों की अनदेखी...
जयपुर के हेरिटेज को बचाने के लिए नगर निगम को 2 हिस्सों में बांट दिया गया. शहर की जर्जर होती प्राचीर, बुर्ज, इमारतों को बचाने-सजाने-संवारने की जिम्मेदारी हेरिटेज नगर निगम की है, लेकिन सिस्टम ने इन दीवारों से दूरी बना ली और अतिक्रमण को बचाना ही उनकी प्रमुख जिम्मेदारी हो गई. जिम्मेदारों की माने तो परकोटे की दीवार पर अतिक्रमण के संबंध में 2011 में एक डीपीआर बनाई गई थी. हेरिटेज नगर निगम अलग बनने के बाद 9 साल में हुए बदलाव के चलते डीपीआर को अपडेट कराया गया है. अब जल्द परकोटे की दीवार के संरक्षण को लेकर निविदा आमंत्रित की जा रही है.