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बाड़ेबंदी एक हकीकत है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता हैः विधायक मुरारी लाल मीणा - Dausa Municipality Election News

राजस्थान में 49 स्थानीय निकायों के नतीजे सामने आ चुके हैं. दौसा की महुआ नगरपालिका में कांग्रेस बोर्ड बनाने के लिए अब निर्दलीय नेताओं को मनाने में लग गई है. दौसा विधायक ने कहा कि निर्दलीय के तौर पर जीत कर आए ज्यादातर पार्षद कांग्रेस विचारधारा के हैं, जिन्हें साथ में लेकर कांग्रेस अपना बना लेगी. मीणा ने कहा कि चाहे पार्टी की बात हो या फिर निर्दलीय की बात बाड़ेबंदी हमेशा होती रही है.

दौसा नगर पालिका चुनाव न्यूज, MLA Murari Lal Meena

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Published : Nov 20, 2019, 11:02 PM IST

जयपुर.राजस्थान में 49 स्थानीय निकायों के नतीजे सामने आ चुके हैं. अब जीत के बाद काम शुरू हुआ है बाड़ेबंदी का जो 26 को अध्यक्ष, सभापति और महापौर के चुनाव और 27 को उपाध्यक्ष, उपमहापौर और उपसभापति के चुनाव के साथ ही खत्म होगी. खासतौर पर उन जगहों पर जहां निर्दलीयों के साथ के बिना बोर्ड नहीं बन सकता, वहां अब कांग्रेस को वह निर्दलीय याद आ रहे हैं जिन्हें अयोग्य मानकर कांग्रेस ने पहले टिकट नहीं दिया और अब वह जीतकर आ गए हैं. ऐसे नेताओं को अब कांग्रेस गले लगाने का पूरा प्रयास कर रही है.

बाड़ेबंदी एक हकीकत है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता हैः विधायक मुरारी लाल मीणा

बता दें कि कुछ ऐसा ही मामला दौसा की महुआ नगरपालिका का है. जहां 25 में से 8 प्रत्याशी कांग्रेस के जीते हैं तो भाजपा के महज 4 प्रत्याशी जीते हैं. लेकिन निर्दलीय इस सीट पर 13 की संख्या में जीते हैं जो दोनों पार्टियों से कहीं ज्यादा है. अब ऐसे में कांग्रेस पार्टी अपने उन नेताओं को मनाने में लग गई है जो बागी होकर चुनाव लड़े और जीत गए.

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दौसा विधायक मुरारी लाल मीणा ने कहा कि निर्दलीय के तौर पर जीत कर आए ज्यादातर पार्षद कांग्रेस विचारधारा के हैं, जिन्हें साथ में लेकर कांग्रेस अपना बना लेगी. मीणा ने कहा कि चाहे पार्टी की बात हो या फिर निर्दलीय की बात बाड़ेबंदी हमेशा होती रही है, यह एक हकीकत है इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है.

उन्होंने कहा कि हमने भी महुआ में कांग्रेस के पार्षदों को साथ रखा है और बाकी निर्दलीयों से संपर्क साधने का प्रयास हो रहा है. मीणा ने कहा कि निर्दलीयों के सहयोग के साथ कांग्रेस का महुआ में बोर्ड बनेगा. लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि पार्षदों की बाड़ेबंदी का खर्च कौन उठाएगा. माना जा रहा है कि भाजपा हो या कांग्रेस हर जगह इस बारे में कानाफूसी है कि इस बाड़ाबंदी का खर्च उस नेता के माथे होगा जो सभापति, चेयरमैन या फिर महापौर बनेगा.

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