जयपुर. सचिवालय में UDC से ASO की रिव्यू DPC कराने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. आश्वाशन के बाद भी सकारात्मक निणर्य नहीं होने पर आरक्षित वर्ग के कर्मचारी एक बार फिर सचिवालय महात्मा गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठ गए हैं. कर्मचारियों की नाराजगी है कि सरकार ने सोमवार रात को 11 बजे यह कह कर धरना स्थगित करवाया था कि उनकी मंगलवार को कार्मिक विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर सकारात्मक निर्णय लेंगे. लेकिन मंगलवार को जो बैठक हुई उसमे कोई सकारात्मक निर्णय नहीं हुआ है.
धरने की सूचना पर कार्मिक विभाग ने शाम 5.30 बजे मुख्यसचिव की अध्यक्षता में बैठक बुलाई है, जिसमें धरने पर बैठे आरक्षित वर्ग के प्रभावित कर्मचारी भी शामिल होंगे. आरक्षित सचिवालय कर्मचारियों की नाराजगी है कि 15 जुलाई 2020 को लिपिक ग्रेड प्रथम से सहायक अनुभागाधिकारी के पदों पर रोस्टर नियमों की पालना नहीं की गई. जो डीपीसी की गई, उसमें सहायक अनुभागाधिकारी के स्वीकृत पदों की संख्या के अनुसार एससी-एसटी को अनुपात का लाभ नहीं दिया गया. कुल पदों की संख्या 401 थी. पदोन्नति में आरक्षण के सन्दर्भ में पदभार अनुपात में एससी/एसटी क्रमशः 16, 12 प्रतिशत के अनुसार पदों की संख्या क्रमशः 64, 48 होती है.
आरक्षित वर्ग की जगह अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों से भर दिया, जो कि नियमों का उल्लंघन है. कर्मचारी नेता कजोड़ मल मीणा ने कहा कि सोमवार रात को उच्च अधिकारियों ने यह कहते हुए धरना स्थगित कर आया था कि मंगलवार को सुबह उनकी कार्मिक विभाग के अधिकारियों के साथ में बैठक करवाई जाएगी, जिसमें उनकी समस्या सकारात्मक निर्णय निकालेंगे. कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार से मांगों को पूरा करेंगी, लेकिन एक बार भी अधिकारियों ने उन्हें निराश किया है. मजबूरन कर्मचारियों को फिर से (Demonstration for Review DPC Demand in Jaipur) धरने पर बैठना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि पदोन्नति के नियमों में स्पष्ट है कि आरक्षित वर्ग के पदों को आरक्षित वर्ग से ही भरा जाता है, लेकिन जो डीपीसी की गई उसमें आरक्षित वर्ग के स्थान पर अनारक्षित वर्ग के लोगों को शामिल कर दिया गया. जिसकी वजह से आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. कार्मिक विभाग की ओर से ही एससी/एसटी के कार्मिकों को संविधान की ओर से मिले प्रदत्त अधिकारों का हनन किया जा रहा है.