रामनगरःक्या आपने कभी हाथियों को सीढ़ियां चढ़ते देखा है? इस सवाल का जवाब न ही होगा, लेकिन रामनगर में गजराज सीढ़ियों पर चढ़ते देखे गए हैं. प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर की सीढ़ियों पर हाथियों के चढ़ने का वीडियो सामने आया है. जहां मंदिर को जाने वाले पुल की सीढ़ियों पर हाथी चढ़ते नजर आ रहे हैं. जिसका वीडियो मंदिर में लगे सीसीटीवी में कैद हुआ है.
हाथी एक विशाल स्तनपायी जानवर है. जो अपने भारी भरकम शरीर के लिए जाना जाता है. भारी भरकम शरीर से ही हाथी अन्य जानवरों से कई गुना ज्यादा वजन उठा लेते हैं या खींच लेते हैं, लेकिन जब बात हम हाथियों के कहीं चढ़ने की करते हैं तो भारी भरकम शरीर के चलते उन्हें परेशानी होती है. इसके बावजूद रामनगर में हाथी सीढ़ियों पर चढ़ते दिखे हैं. जो सबको हैरत में डाल रहा है.
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दरअसल, कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे गर्जिया देवी मंदिर में बीते दिनों रात नौ बजे जंगल से हाथियों का झुंड आया था. जहां मंदिर को जाने वाले पुल की सीढ़ियां हाथी चढ़ते दिखे हैं. हाथियां जमीन से करीब 20 फीट से ज्यादा की ऊंची पुल पर चढ़कर मंदिर की ओर देख रहे हैं. बताया जा रहा है कि हाथियों का झुंड सीढ़ियों पर करीब 15 मिनट तक खड़ा रहा. हालांकि, बाद में सीढ़ियों से उतरकर हाथी दोबारा मंदिर परिसर में घूमते दिखाई दे रहे हैं. इसके बाद वो जंगल की ओर निकल जाते हैं.
मामले में वन प्रभाग रामनगर के एसडीओ तारा दत्त तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि ये वीडियो बिल्कुल सत्य है. वीडियो गर्जिया मंदिर के निचले हिस्से का है. जहां हाथियों के झुंड को पुल पर चढ़ते हुए भी देखा गया है. तिवारी ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से गर्जिया क्षेत्र में गश्ती दल को अलर्ट कर दिया है और हाथियों पर नजर रखने को कहा गया है.
गर्जिया देवी मंदिर का महत्व
गर्जिया देवी मंदिर रामनगर के ढिकाला मार्ग पर गर्जिया नामक स्थान पर स्थित है. गिरिजा देवी को गिरिराज हिमालय की पुत्री और भगवान शंकर की अर्द्धांगिनी माना जाता है. कोसी नदी के मध्य एक टीले पर यह मंदिर स्थित है. गिरिजा देवी मंदिर से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी है. मंदिर में श्रद्धालु जटा नारियल, लाल वस्त्र, सिंदूर, धूप, दीप आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु घंटी या छत्र चढ़ाते हैं.
नवविवाहिता यहां पर आकर अटल सुहाग की कामना करती हैं. जबकि, नि:संतान दंपती संतान प्राप्ति के लिए माता में चरणों में आते हैं. गंगा स्नान के पावन पर्व पर माता गिरिजा देवी के दर्शन और कोसी (कौशिकी) नदी में स्नान के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. गंगा दशहरा, नव दुर्गा, शिवरात्रि, उत्तरायणी, बसंत पंचमी में भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
वहीं, माता गिरिजा की पूजा करने के बाद भक्त बाबा भैरव को चावल और मास (उड़द) की दाल चढ़ाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. माना जाता है कि भैरव की पूजा के बाद ही मां गिरिजा देवी की पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है.