जयपुर.राजस्थान में कोरोना की पहली और दूसरी लहार में अब तक 8900 से अधिक लोगों की मौत हुई. प्रदेश सरकार ने महामारी के दौरान ड्यूटी पर तैनात अति आवश्यक सेवाओं के कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर (Rajasthan Frontline Worker Death Compensation) मानते हुए कोरोना से मौत पर पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का वादा किया था, लेकिन ये वादा अब तक अधूरा है.
सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों में कोरोना से 124 कार्मिकों की मौत (Electricity workers died due to corona in Rajasthan) हुई. पीड़ित परिवारों को आज तक मदद राशि का इंतजार है. पिछले कुछ दिनों से प्रदेश सरकार समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी कर कोरोना से मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा राशि देने के लिए जागृत कर रही है. हालांकि आवेदन करने पर 50 हजार रुपये की सहायता राशि देने के प्रावधान का जिक्र है. यह राशि आम जनता के लिए है, जिन्होंने अपनों को खो दिया.
कोरोना से मृत बिजली कर्मचारियों के परिवारों को कम मिलेगी अनुग्रह राशि लेकिन जिन सरकारी कर्मचारियों ने महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में अपनी सेवाएं देते हुए कोरोना प्राण गंवाए हैं, उनके परिवारों को सरकार ने वादे के अनुरूप 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि (Rajasthan electricity worker corona death compensation) का भुगतान अब तक नहीं किया है. जिन्हें फ्रंटलाइन वर्कर माना गया था उनमें स्वास्थ्य कर्मचारी, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मचारी तो शामिल थे ही, बाद में बिजली कर्मचारियों सहित कुछ और कर्मचारियों को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया था.
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बिजली कंपनियों के 124 कार्मिकों की कोरोना से मौत
राजस्थान में कोरोना की दो लहरों के दौरान सरकारी क्षेत्र में कार्यरत पांच बिजली कंपनियों के 124 कार्मिकों की कोरोना से मौत (compensation on corona death in Rajasthan) हो गई. सर्वाधिक कर्मचारी विद्युत वितरण निगम लिमिटेड यानी डिस्कॉम के थे. पिछली 2 लहर में किस बिजली कम्पनी में कितने कार्मिकों की कोरोना से मौत हुई थी, जानिये..
कोरोना से बिजली कर्मचारियों की मौत
कोरोना से कर्मचारियों की मौत राजस्थान सरकार ने घोषणा कर दायित्वों की इतिश्री कर ली. लेकिन बिजली कंपनियों में कार्मिकों के पीड़ित परिवारों को अनुग्रह राशि मिली या नहीं, इसकी सुध नहीं ली. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारियों की मौत हुई, तब कर्मचारी संगठनों ने अनुग्रह राशि की मांग उठाई. बिजली कंपनी प्रबंधन और ऊर्जा मंत्री पर दबाव भी बनाया, लेकिन बात नहीं बनी. तत्कालीन ऊर्जा मंत्री डॉ बी डी कल्ला ने भी पीड़ित कर्मचारी परिवारों की मदद के लिए खास प्रयास नहीं किए.
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कर्मचारी संगठन बोले- अब वादा निभाए सरकार
बिजली विभाग से जुड़े सभी कर्मचारी संगठन सरकार के इस अधूरे वादे और बिजली कंपनी प्रबंधन की लचर कार्यशैली से नाराज हैं. प्रांतीय विद्युत मंडल मजदूर फेडरेशन के प्रदेश महामंत्री विद्यासागर शर्मा के अनुसार सरकार ने अपना वादा पूरा करते हुए घोषणा की, लेकिन बिजली कंपनियों ने उसकी पालना अब तक नहीं की. शर्मा ने कहा जिस तरह कोरोना की तीसरी लहर में संक्रमण तेजी से फैल रहा है, अब बिजली कर्मचारियों की सुध इन कंपनियों को लेनी चाहिए. जो वादा सरकार ने किया है उसे पूरा करना चाहिए.