जयपुर. कोरोना के संकट काल में आर्थिक रूप से परेशान बिजली उपभोक्ताओं को सितंबर माह में डिस्कॉम, बढ़े हुए बिल के रूप में एक और झटका देने को तैयार है. पहले से आहत उपभोक्ता इससे परेशान हैं. लेकिन उनकी परेशानी सरकार को नजर नहीं आती. आलम यह है कि उपभोक्ता सरकार पर आमजन को लूटने का आरोप लगाते हैं, तो मंत्री कहते हैं कि उपभोक्ताओं का कोई विरोध नहीं, क्योंकि कोरोना काल में भी उपभोक्ताओं ने अपने बिल भरे हैं.
बिजली के बढ़े बिल से उपभोक्ता बेहाल घरेलू उपभोक्ता से लेकर दुकानदार तक बीते 3 से 4 माह में बिजली के बढ़े हुए बिलों से बेहाल नजर आ रहे हैं. जिसने ईमानदारी से हर माह बिजली का बिल भरा उसे भी अनलॉक का दौर शुरू होने के बाद राहत नहीं मिली. क्योंकि अब भी जो बिल मिल रहे हैं वो उपभोक्ताओं को करंट मार रहे हैं.
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उपभोक्ताओं का कहना है कि जितनी यूनिट खर्च कर रहे हैं उसका तो भुगतान दे ही रहे हैं. लेकिन बिल में जो अलग-अलग सरचार्ज और शुल्क लग रहे हैं, उसके जरिए उपभोक्ताओं को लूटने का काम चल रहा है. दुकानदार इसलिए परेशान हैं क्योंकि धंधा चल नहीं रहा और बिजली का बिल लगातार बढ़ रहा है.
घरेलू उपभोक्ता इस बात से हैरान है कि आखिर बिजली का बिल लगातार बढ़ा हुआ क्यों आ रहा है, जबकि इस्तेमाल उतना ही किया जा रहा है, जितना कोरोना काल से पहले होता था. कुछ का आरोप है कि पहले स्थाई शुल्क 2 महीने में लगता था, अब हर महीने लगता है. वहीं, कुछ बढ़े हुए सरचार्ज को इसका दोषी मानते हैं. इनका दर्द यह भी है कि इतनी पीड़ा होने के बावजूद सरकार को यह नजर क्यों नहीं आती.
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खैर अब तक जो बिल आ रहे थे वो उपभोक्ताओं को भारी भरकम नजर आ रहे थे. लेकिन अगले माह यानी सितंबर में जो बिल आएगा उसको देखकर शायद कुछ उपभोक्ता बेहोश ही हो जाएं, क्योंकि अगले 3 माह के जो बिजली के बिल आएंगे उसके जरिए डिस्कॉम करीब 600 फ्यूल सरचार्ज के रूप में आम उपभोक्ताओं से ओर वसूल करेगा.
सरचार्ज के रूप में यह रिकवरी 30 पैसे प्रति यूनिट के नाम से निकाली गई है. मतलब परेशानी तो बढ़ेगी, लेकिन ऊर्जा मंत्री इसके लिए सरकार या डिस्कॉम को जिम्मेदार मानने से परहेज करते हैं. ऊर्जा मंत्री नियम और कानून का हवाला देकर सारी जिम्मेदारी नियामक आयोग पर डाल रहे हैं. इससे पहले फरवरी में 12% तक बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गई थी और अब 8 माह बाद फिर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 600 करोड़ रुपए का भार बिजली उपभोक्ताओं के माथे डाला जा रहा है, जिसे भाजपा ने सियासी मुद्दा भी बना लिया है.