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जयपुर: विद्युत कर्मचारी एसोसिएशन ने सीएम के नाम कलेक्टर को दिया ज्ञापन, रखी ये मांगे - Rajasthan News

राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन की ओर से अपनी मांगों को लेकर जयपुर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया है. कर्मचारी एसोसिएशन ने ठेका प्रथा, क्लस्टर, निजीकरण को बंद करने की मांग की है. साथ ही आवश्यकतानुसार कर्मचारियों की भर्ती करने की भी मांग की है.

राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन, जयपुर न्यूज, Memorandum to the chief minister
विद्युत कर्मचारियों ने दिया ज्ञापन

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Published : Oct 22, 2020, 2:20 AM IST

जयपुर. राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है. ज्ञापन के जरिए विद्युत कर्मचारियों ने ठेका प्रथा, क्लस्टर, निजीकरण को बंद करने की मांग की है.

विद्युत कर्मचारियों ने दिया ज्ञापन

राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष पृथ्वीराज गुर्जर के मुताबिक बिजली विभाग में एफआरटी, एमबीसी, ठेका प्रथा, क्लस्टर, निजीकरण जैसी जनविरोधी कुप्रथाएं निगम और आम उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी नहीं है. 19 जुलाई 2001 से पहले विद्युत मंडल के समय में घाटा 700 करोड़ था. घाटों की आड़ में विद्युत मंडल को पांच निगमों में बांटने का जनविरोधी फैसला लिया गया. जिससे आज विद्युत निगमों का घाटा एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है. घाटे का ग्राफ भी बढ़ गया है.

विद्युत कर्मचारियों ने दिया ज्ञापन

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साथ ही पृथ्वीराज गुर्जर का कहा कि जिस प्रकार से विद्युत मंडल को पांच निगमों में बांटने का फैसला गलत साबित हुआ है. उसी प्रकार एफआरटी और एमबीसी को बढ़ावा देने का फैसला भी आत्मघाती साबित होगा. विद्युत निगमों के घाटे का मूल कारण ठेका प्रथा को बढ़ावा देना है. प्रदेश अध्यक्ष गुर्जर ने कहा कि कर्मचारियों की भर्ती की जाए, जिससे निगम के समस्त कार्य कर्मचारियों से संपादित हो सके. साथ ही विद्युत मंडल को 5 भागों में बांटने के बाद क्या हासिल हुआ है, कितना नफा नुकसान हुआ है, इसका आकलन किया जाए. एफआरटी, एमबीसी, ठेका प्रथा, क्लस्टर लागू करने के बारे में विद्युत विभाग की सभी यूनियनों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता करें. यूनियनों के प्रतिनिधि बताएंगे किस प्रकार ठेका प्रथा से निगम और आमजन का अहित हो रहा है.

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एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि कर्मचारियों का पक्ष भी सुना जाना चाहिए. प्रारंभ में अजमेर, भीलवाड़ा, कोटा, भरतपुर को निजी हाथों में सौंपा गया. इन शहरों में प्राइवेट कंपनियों का जमकर जन विरोध हुआ है. इन शहरों के निजीकरण से आम उपभोक्ताओं के अधिक रीडिंग निकालने वाले मीटर लगाए गए हैं और उपभोक्ताओं का जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है. प्राइवेट कंपनियों से भी अच्छा काम बिना निजीकरण के भी किया जा सकता है. इसके लिए आवश्यकतानुसार कर्मचारियों की भर्ती की जाए. यूनियन प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विद्युत निगमों में चल रही एफआरटी, एमबीसी, ठेका प्रथा, क्लस्टर निजीकरण जैसी जनविरोधी कुप्रभाव को बंद करने का फैसला लिया जाए. अन्यथा आगामी 15 दिन बाद राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा.

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