राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

इलेक्टोरल बॉन्ड कालेधन को चुनावों में इस्तेमाल करने का एक तरीका, Bond से अधिकांश चंदा भाजपा को मिलता है : CM गहलोत - Condition of Electoral Bond in India

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है. गहलोत ने कहा है कि बॉन्ड से अधिकांश चंदा भाजपा को मिलता है. ट्वीट के जरिए राजस्थान सीएम ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड भारत के लोकतंत्र के सबसे बड़े (Electoral Bond Scheme is Scam) घपलों में एक है.

CM Gehlot
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

By

Published : Apr 12, 2022, 8:53 PM IST

जयपुर. इलेक्टोरल बॉन्ड घपले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. गहलोत ने कहा कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड भारत के लोकतंत्र के सबसे बड़े घपलों में एक है. इलेक्टोरल बॉन्ड ने पूरी चुनाव व्यवस्था को सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में कर दिया है. भाजपा उद्योगपतियों पर एक तरफा दबाव बनाती है, जिसके कारण इलेक्टोरल बॉन्ड से अधिकांश चंदा भाजपा को मिलता है. उन्होंने कहा कि इन बॉन्ड्स में चंदा देने वाले की जानकारी भी पता नहीं लगती, इसलिए ये बॉन्ड कालेधन को चुनावों में इस्तेमाल लेने का एक तरीका बन रहे हैं.

इलेक्टोरल बॉन्ड पर आगे रोक : सीएम गहलोद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इलेक्टोरल बॉन्ड के संबंध में दायर याचिकाओं पर (Chief Minister Gehlot Demanded Ban on Electoral Bonds) शीघ्र फैसला देकर इन पर रोक लगानी चाहिए, जिससे सभी पार्टियों को एक लेवल प्लेइंग फील्ड मिल सके.

पढ़ें :इलेक्टोरल बॉन्ड पर BJP का पलटवार - भ्रष्टाचार के पैसे से चलने वाले दलों की राजनीति खत्म

मीडिया रिपोर्ट का खुलासा : सीएम गहलोत ने एक मीडिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर लेख छपा है, उसमें बताया गया है कि 2 एनजीओ ने चुनौती दी है. ये है कॉमन कॉज और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्सी. इन दोनों एनजीओ ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को विधिक रूप से (Ashok Gehlot Alleged BJP on Electoral Bond Scheme) चुनौती दी है. यह योजना वर्ष 2018 में शुरू की गई थी. इन दोनों एनजीओ के अलावा अनेक आलोचक भी यह आरोप लगा रहे हैं कि भारत में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना लोकतंत्र को विकृत कर रही है.

सीएम गहलोत का ट्वीट...

पढ़ें :चुनावी बॉन्ड लाया गया ताकि भाजपा के खजाने में जा सके कालाधन : कांग्रेस

भारतीय राजनीति में बढ़ते हुए ध्रुवीकरण को देखते हुए यह आवश्यक है कि सुप्रीम कोर्ट इस योजना की वैलिडिटी के बारे में सभी शंकाएं दूर करे या इस योजना में आवश्यक परिवर्तन के लिए आदेशित करे. चुनावी बॉन्ड योजना का सबसे पहला उल्लेख वर्ष 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी फंडिंग में सुधार (Condition of Electoral Bond in India) लाने हेतु दिए गए एक प्रस्तुतिकरण में किया था. इस योजना के लागू होने से पूर्व तक राजनीतिक दलों को अधिकांश चंदे नकद में मिलते थे. इस कारण राजनीतिक दलों के पास ब्लैकमनी आने के सभी चैनल्स खुल गए थे.

पढ़ें :इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा केन्द्र सरकार और आरबीआई से जवाब

भाजपा सबसे अधिक बॉन्ड मील : गहलोत ने एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस योजना की आलोचना इसलिए भी की जाती है, क्योंकि इसके तहत जारी 75 फीसदी से अधिक बॉन्ड्स की राशि भाजपा को मिली है. भाजपा सरकार ने चुनावी बॉन्ड के तहत अधिकतम राशि की सीमा भी समाप्त कर दी है. सुप्रीम कोर्ट को चुनावी बॉन्ड के संबंध में लंबित सभी मामलों को तत्काल निस्तारित करना चाहिए, ताकि चुनाव अभियान की फंडिंग में पारदर्शिता बनी रहे. क्योंकि ऐसी पारदर्शिता चुनावी प्रक्रिया के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details