जयपुर. इलेक्टोरल बॉन्ड घपले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. गहलोत ने कहा कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड भारत के लोकतंत्र के सबसे बड़े घपलों में एक है. इलेक्टोरल बॉन्ड ने पूरी चुनाव व्यवस्था को सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में कर दिया है. भाजपा उद्योगपतियों पर एक तरफा दबाव बनाती है, जिसके कारण इलेक्टोरल बॉन्ड से अधिकांश चंदा भाजपा को मिलता है. उन्होंने कहा कि इन बॉन्ड्स में चंदा देने वाले की जानकारी भी पता नहीं लगती, इसलिए ये बॉन्ड कालेधन को चुनावों में इस्तेमाल लेने का एक तरीका बन रहे हैं.
इलेक्टोरल बॉन्ड पर आगे रोक : सीएम गहलोद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इलेक्टोरल बॉन्ड के संबंध में दायर याचिकाओं पर (Chief Minister Gehlot Demanded Ban on Electoral Bonds) शीघ्र फैसला देकर इन पर रोक लगानी चाहिए, जिससे सभी पार्टियों को एक लेवल प्लेइंग फील्ड मिल सके.
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मीडिया रिपोर्ट का खुलासा : सीएम गहलोत ने एक मीडिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर लेख छपा है, उसमें बताया गया है कि 2 एनजीओ ने चुनौती दी है. ये है कॉमन कॉज और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्सी. इन दोनों एनजीओ ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को विधिक रूप से (Ashok Gehlot Alleged BJP on Electoral Bond Scheme) चुनौती दी है. यह योजना वर्ष 2018 में शुरू की गई थी. इन दोनों एनजीओ के अलावा अनेक आलोचक भी यह आरोप लगा रहे हैं कि भारत में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना लोकतंत्र को विकृत कर रही है.