जयपुर. चुनावी नतीजों के सामने आने से ठीक पहले विभिन्न दलों ने चुनाव आयोग और ईवीएम को लेकर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. राजस्थान में विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि निश्चित रूप से ईवीएम पर सबको शक पैदा हो रहा है. लगातार इसकी शिकायतें भी आ रही हैं, लेकिन विश्वास बहाल करने की बजाय चुनाव आयोग हठधर्मिता अपना रहा है.
कांग्रेस ने ईवीएम पर उठाए सवाल जोशी ने कहा कि चुनाव आयोग किसी की भी नहीं सुन रहा. शक दूर करने की बजाय चुनाव आयोग यह कह रहा है कि हम आपको ईवीएम देंगे भी नहीं और आप लोग बताओ कि इसमें कैसे छेड़छाड़ हो सकती है. अगर चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों को ईवीएम दे दे और फिर पूछे कि इसमें छेड़छाड़ कैसे होती है. यह करके बताएं तो हो सकता है कि ईवीएम में गड़बड़ी की बात सामने आ भी जाए.
महेश जोशी ने आगे कहा अगर चुनाव आयोग को निष्पक्षता दिखानी है तो उसे ईवीएम को आईआईटी या तकनीकी छात्रों को और राजनीतिक दलों को देनी चाहिए, ताकि हकीकत सामने आ जाए. जोशी ने कहा कि तकनीकी चीजों में छेड़छाड़ से कोई इनकार नहीं कर सकता. ऐसे में जब सवाल खड़े हो रहे हैं तो बैलेट पत्र से चुनाव करवाने चाहिए इससे ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, एक या दो दिन में नतीजे आएंगे. लेकिन कोई आफत तो नहीं आएगी.
उन्होंने संभावना जताई कि विधानसभा चुनाव में भी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हुई थी. यही कारण है कि जिस कांग्रेस को सवा सौ सीटें मिलनी चाहिए थीं वह 100 सीटों में ही सीमित रह गई. जोशी ने कहा कि साल 2014 में वह जब लोकसभा चुनाव में हारे थे तो भाजपा के प्रत्याशी ने यह बयान दिया था कि उनके 8 लाख 65 हजार वोट आएंगे और मेरे 3 लाख 25 हजार. उस समय रामचरण बोहरा के 8 लाख 63 हजार वोट आए और मुझे 3 लाख 23 हजार. ऐसे में इतनी एक्यूरेसी भाजपा के नेता के पास कैसे हो सकती है. यह भी एक बड़ा सवाल है.