जयपुर.कांग्रेस पार्टी में अब 'वन फैमिली वन टिकट' का फार्मूला लागू होने जा रहा है. इस फार्मूले का असर पार्टी में सीधे तौर पर भविष्य में उन नेताओं पर पड़ने जा रहा है जो खुद सेटल होने के बाद अपने परिवार के लिए भी राजनीति को एक भविष्य के तौर पर देखने की मंशा रखत हैं. ऐसे में अब नेतागिरी के नए फैमिली बिजनेस माने जाने पर तो कांग्रेस पार्टी में रोक लगेगी ही, लेकिन इसका असर राजस्थान के वर्तमान में स्थापित नेताओं पर तो अभी से दिखाई देने लगेगा.
इस फैसले का असर राजस्थान में सीधे तौर पर एक दर्जन से ज्यादा नेताओं पर पड़ने जा रहा है. राजस्थान में वर्तमान विधायक और मंत्रियों में शामिल 13 नेताओं पर तो इस बार से ही इसका असर दिखने लगेगा क्योंकि प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत 7 मंत्री और 6 विधायक ऐसे हैं जो खुद तो विधायक या मंत्री बन ही चुके हैं, लेकिन साथ ही वो अपने परिवार को भी सेटल कर चुके हैं. लेकिन अब जो हालात बन गए हैं उससे इन नेताओं के नेतागिरी में स्थाई हो चुके परिजनों के टिकट भी खतरे में पड़ जाएंगे क्योंकि एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट मिलेगा. ऐसे में मंत्री और विधायक चाह कर भी अपने साथ अपने परिजनों को जनप्रतिनिधि का टिकट नहीं दे सकेंगे.
पढ़ें- राहुल ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभालने के दिए संकेत, कहा- भारत मां का एक भी पैसा नहीं लिया, न भ्रष्टाचार किया...हर लड़ाई लड़ने को तैयार
इन नेताओं पर पड़ेगा असर
- अशोक गहलोत - पुत्र वैभव गहलोत
- शांति धारीवाल - पुत्र वधू एकता धारीवाल
- महेश जोशी - रोहित जोशी
- विश्वेंद्र सिंह - अनिरुद्ध
- रघु शर्मा - सागर शर्मा
- परसादी लाल मीणा - कमल मीणा
- सुखराम विश्नोई - भूपेंद्र विश्नोई
इन मंत्रियों पर पड़ेगा असर
- खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया - पत्नी उर्मिला जैन भाया बारां जिला प्रमुख
- महेंद्रजीत सिंह मालवीय - पत्नी रेशम मालवीय बांसवाड़ा जिला प्रमुख
- जाहिदा खान - बेटी शहनाज और साजिद खान, प्रधान
- भजन लाल जाटव - पुत्रवधू साक्षी, प्रधान
- जोगेन्दर सिंह अवाना - बेटे हिमांशु अवाना, प्रधान
- सालेह मोहम्मद - भाई अब्दुल्ला फकीर, जिला परिषद सदस्य, भाई तिराणे फकीर व इलियास फकीर पंचायत समिति सदस्य, एक अन्य भाई की पत्नी जिला परिषद सदस्य.
5 साल के लॉकिंग पीरियड का राजस्थान में नहीं होगा असर: कांग्रेस पार्टी ने ये भी नियम बनाया है कि कोई भी नेता अब 5 साल से ज्यादा किसी पद पर नहीं रह सकेगा. लेकिन राजस्थान में ऐसे नेता नहीं के बराबर ही हैं. अगर वे है भी तो इतने बड़े पदों पर नहीं है कि उन पर कोई आपत्ति हो. ऐसे में 5 साल पद पर रहने के बाद 3 साल के कूलिंग पीरियड का कोई खास असर राजस्थान के नेताओं पर दिखाई नहीं देगा.