जयपुर. ईडी ने आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी केस में 124 व्यक्तियों, कंपनियों और फर्मों के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर किया है. परिवाद में मुख्य आरोपी आदर्श कोऑपरेटिव सोसायटी के मुकेश मोदी और डायरेक्टर्स, रिद्धि सिद्धि ग्रुप ऑफ कंपनीज व वीरेंद्र मोदी ग्रुप ऑफ कंपनीज सहित अन्य जिम्मेदारों को बनाया है.
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ईडी ने परिवाद मेंं कंपनी की राजस्थान, हरियाणा, नई दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में फैली 1489 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को कुर्क करने की मंजूरी मांगी है. जबकि कुर्की आदेश की पुष्टि न्याय निर्णय अथोरिटी, नई दिल्ली ने जारी कर दी है. ईडी जयपुर ने यह मामला 22 मार्च 2019 को मनी लान्ड़ेरिंग एक्ट के प्रावधानों के तहत दर्ज किया है. इसमें विशेष ऑपरेशन ग्रुप, राजस्थान पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 420, 406, 409, 467, 468, 471, 477-A और 120-B के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्वासघात और जालसाजी के मुकदमे के लिए मुकेश मोदी, राहुल मोदी और अन्य आदर्श समूह,आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के अधिकारी और अन्य निजी लोगों के खिलाफ 28 दिसंबर 2018 को एफआईआर दर्ज की थी.
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई जांच में खुलासा हुआ था कि मुख्य आरोपी मुकेश मोदी ने अपने रिश्तेदारों वीरेंद्र मोदी, भरत मोदी, राहुल मोदी, रोहित मोदी, प्रियंका मोदी आदि और सोसाइटी के अधिकारियों सहित अपने सहयोगियों के साथ मिलकर डिपॉजिटर्स के फंड से पैसा निकाला. बाद में इंटर लिंक फर्जी लेन-देन के जरिए मुकेश मोदी उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों ने फर्जी ऋणों का लाभ उठाते हुए सोसाइटी से अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के नाम पर धन निकालने के एकमात्र उद्देश्य से कई कंपनियों व फर्मों को पंजीकृत करवाया.
वहीं उन्होंने शेयर पूंजी के तौर पर इन कंपनियों में सोसायटी के धन का निवेश किया और अपने परिजनों व कंपनियों को ही वेतन, प्रोत्साहन और कमीशन के जरिए भारी मात्रा में धन का डायवर्जन किया. मुख्य आरोपी मुकेश मोदी व अन्य के इस कार्य से समाज को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. इस मामले में ईडी ने 7 अक्टूबर 2019 के आदेश से कंपनी की 1489 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी और न्याय निर्णय अधिकरण नई दिल्ली ने भी इस अटेचमेंट की पुष्टि की थी. जिसके बाद ईडी ने 2020 के जुलाई-अगस्त में देश के 7 राज्यों के 19 जिलों में संपत्तियों को कब्जे में ले लिया था. मामले में ईडी जयपुर ने 100 से भी ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए और 47,500 से अधिक पृष्ठों का परिवाद दायर किया.