जयपुर.कोरोना संक्रमण के बीच में केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी (GST) का पैसा नहीं दिए जाने से राजस्थान सरकार की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है. मोदी सरकार पर विपक्षी पार्टी की सरकार वाले राज्यों की ओर से जीएसटी का पैसा नहीं देने का आरोप लगाया जा रहा है. राज्य सरकार केंद्र पर सितंबर महीने तक के जीएसटी कुल 7300 करोड़ रुपए नहीं देने का आरोप लगा कर राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति की बकाया राशि की एवज में राज्यों की ओर से खुद उधार लेने के विकल्प को ठुकरा दिया है.
GST का पैसा नहीं मिलने से बिगड़ी गहलोत सरकार की आर्थिक स्थिति केंद्र सरकार की ओर से राजस्थान को दिए जाने वाले जीएसटी (GST) की राशि नहीं मिलने से राज्य की गहलोत सरकार की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. यही वजह है कि गहलोत सरकार केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है. मुख्यमंत्री से लेकर तमाम मंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तक केंद्र की मोदी सरकार पर यह आरोप लगा चुकी है कि विपक्षी पार्टी वाले राज्यों को केंद्र की मोदी सरकार जीएसटी की एवज में मिलने वाला पैसा नहीं दे रही है.
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सितंबर तक कुल 7300 करोड़ रुपए बकाया
राजस्थान के आंकड़ों की बात करें तो राजस्थान में सितंबर तक कुल 7300 करोड़ रुपए बकाया हो चुके हैं. जीएसटी काउंसिल की 42वीं बैठक में केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी में हुए नुकसान की भरपाई के लिए बकाया राशि की एवज में राज्य की ओर से खुद उधार लेने का विकल्प राजस्थान ने ठुकरा दिया है. राजस्थान के साथ पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल, छत्तीसगढ़ और झारखंड ने भी इसका समर्थन किया है.
GST से हुए राजस्व घाटे के नुकसान की भरपाई का दायित्व केंद्र काः सुभाष गर्ग
राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग ने 42वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में कहा कि जीएसटी से हुए राजस्व घाटे के नुकसान की भरपाई का दायित्व केंद्र का है. उन्होंने कहा कि इस घाटे की भरपाई बिल्कुल अलग बिंदु है और कोरोना के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए उधार लेना अलग बिंदु है.
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को राज्य से उनकी ओर से उधार लेने के विकल्प को चुनने की पुरजोर शब्दों में अपील की. लेकिन राज्यों ने अपनी मजबूरी बताते हुए ऐसा करने से असमर्थता जता दी.
राज्यों में हालात बिगड़े तो कर्मचारियों के वेतन में की कटौती
कोरोना संक्रमण के बीच राजस्थान की आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो गहलोत सरकार ने राजकीय कर्मचारियों की वेतन में कटौती शुरू कर दी. सरकार ने पहले तो वेतन भत्ते को फ्रीज किया और उसके बाद 15 दिन की सैलरी फ्रीज कर दिया. इतने से भी काम नहीं चला तो अधिकारियों की दो दिन और कर्मचारियों की एक दिन की हर महीने वेतन कटौती का निर्णय लिया जो अभी भी लागू है. इसके साथ ही सरकार ने किसी भी तरह के नए वाहन खरीदने और विदेशी दौरों पर रोक लगा दी. साथ ही विधायकों की ओर से भी 30 फीसदी वेतन का योगदान दिया जा रहा है.