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गणेश चतुर्थी स्पेशल : विघ्नहर्ता की प्रतिमाओं में अंकुरित बीज, विसर्जन के बाद उग आएगा पौधा...

गणेश उत्सव के लिए मूर्ति कलाकारों ने अनूठी पहल करते हुए इको फ्रेंडली प्रतिमा के साथ ही मिट्टी में विभिन्न प्रजाति के बीज डालकर तैयार प्रतिमाएं तैयार की है. ऐसे में लंबोदर खुशियों के साथ हरियाली की रिद्धि सिद्धि भी लाएंगे और घर को खुशनुमा बनाने के साथ ही जीवनभर प्राणदायिनी उर्जा प्रदान करेंगे.

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Published : Sep 1, 2019, 5:34 PM IST

Eco friendly Ganesh, इको फ्रेंडली गणेश

जयपुर.गणेश चतुर्थी पर मूर्ति विसर्जन के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए लोगों से गणेश भगवान की मिट्टी की मूर्ति विराजमान करने की अपील लगातार की जा रही है. ऐसे में इसी मुहिम को जयपुर के मूर्ति कलाकार आगे भी बढ़ा रहे है. गणेश चतुर्थी के मौके पर सोमवार को शहर के विभिन्न मोहल्लों कॉलोनीयो में पंडालों के साथ ही घरों में भी विघ्नहर्ता की स्थापना होगी.

विघ्नहर्ता की प्रतिमाओं में अंकुरित बीज, विसर्जन के बाद उग आएगा पौधा

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गणेश उत्सव के लिए मूर्ति कलाकारों की अनूठी पहल
इस बार गणेश उत्सव के दौरान लंबोदर खुशियों के साथ हरियाली की रिद्धि सिद्धि भी लाएंगे और घर को खुशनुमा बनाने के साथ ही जीवनभर प्राणदायिनी ऊर्जा प्रदान करेंगे. इससे सरोवर तालाब में होने वाले प्रदूषण पर भी रोक लगेगी. इन दिनों शहर के जेएलएन मार्ग, गोपालपुरा और श्याम नगर सहित अन्य स्थानों पर मूर्ति कलाकार ऐसी ही प्रतिमाओं के निर्माण में जुटे हैं. इस बार गणेश उत्सव के लिए मूर्ति कलाकारों ने अनूठी पहल की है. इसके तहत इको फ्रेंडली प्रतिमा के साथ ही मिट्टी में विभिन्न प्रजाति के बीज डालकर प्रतिमाएं भी तैयार की.

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इको फ्रेंडली गणेश के विर्सजन के बाद पौधे का रूप ले लेगा
ऐसे में इन प्रतिमाओं को घर में ही गमले में करीब 2 लीटर पानी में विसर्जित किया जा सकेगा. फिर कुछ दिनों में वह बीज पौधे का रूप ले लेगा. वहीं मूर्ति कलाकार हरि नारायण प्रजापति और रमेश कुमार ने इन मूर्तियों में गणेश जी को अलग-अलग आकार दिया है. किसी प्रतिमा में भगवान आराम की मुद्रा में है, तो किसी में पगड़ी पहनकर सिंहासन पर विराजे हैं. 4 इंच से लेकर 40 इंच तक लंबी इन प्रतिमाओं की कीमत 50 से ₹2000 तक हैं. जिसमें सभी मूर्तियों में बीज डाले गए. जिससे गणेश भगवान की रिद्धि सिद्धि के विसर्जन के बाद पौधा भी उग आएगा.

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मुंबई और कोलकाता से मंगाई गई मिट्टी से तैयार मूर्तियां
इन प्रतिमाओं को समुद्र के किनारे मिलने वाली बलवा मिट्टी से तैयार किया गया है. जिसे की खासकर मुंबई और कोलकाता से मंगाया है. वहीं प्रदेश में अजमेर, सीकर सहित अन्य स्थानों पर भी ये प्रतिमाएं भिजवाई गई है. उधर, मूर्ति कलाकारो ने पीओपी के स्थान पर खड़िया मिट्टी,जूट और कागज से भी प्रतिमाएं बनाई है. इनमें भगवान को रथ, नाव, चौकी और बत्तख पर विराजमान किया गया है. साथ ही विभिन्न आभूषणों के साथ ही अलग-अलग रंगों से भगवान का श्रृंगार किया किया है. इस मिट्टी से बनी प्रतिमाओं की कीमत है 100 रुपए से लेकर 25000 रुपए तक हैं. सबसे ज्यादा आकर्षक लालबाग का राजा की प्रतिमा का है. ऐसे में मनोकामना पूरी करने के लिए श्रद्धालुओं ने हूबहू लालबाग के प्रतिमाए ज्यादा बुक कराई है.

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