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प्रदेश में ई-गवर्नेंस सिस्टम के हालात अभी भी ढाक के तीन पात जैसे

प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने घोषणा पत्र में राज्य में ई-गवर्नेंस के क्रियान्वयन को शामिल किया था. लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी अब तक कोई भी नगरीय निकाय या स्मार्ट सिटी के दफ्तर ई गवर्नेंस को लागू नहीं कर पाए हैं. हालांकि जयपुर विकास प्राधिकरण और जयपुर नगर निगम ने कुछ सेवाओं में पहल करते हुए आम जनता को सरकारी तंत्र की गिरफ्त से राहत दिलाने का प्रयास जरूर किया है.

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प्रदेश में ई-गवर्नेंस सिस्टम के हालात अभी भी ढाक के तीन पात जैसे

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Published : Dec 27, 2020, 11:07 PM IST

जयपुर. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने घोषणा पत्र में राज्य में ई-गवर्नेंस के क्रियान्वयन को शामिल किया था. लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी अब तक कोई भी नगरीय निकाय या स्मार्ट सिटी के दफ्तर ई गवर्नेंस को लागू नहीं कर पाए हैं. हालांकि जयपुर विकास प्राधिकरण और जयपुर नगर निगम ने कुछ सेवाओं में पहल करते हुए आम जनता को सरकारी तंत्र की गिरफ्त से राहत दिलाने का प्रयास जरूर किया है.

ई-गवर्नेंस सिस्टम

कोरोना महामारी के बीच लोगों से बहुत आवश्यक होने पर ही सरकारी दफ्तरों में आने की अपील की जाती है. लेकिन ई गवर्नेंस सिस्टम लागू नहीं होने की वजह से आम जनता को आज भी छोटे-छोटे कामों के लिए भी सरकारी महकमों के चक्कर काटने पड़ते हैं. हालांकि जयपुर नगर निगम ने जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, फायर एनओसी, यूडी टैक्स, लीज राशि जैसे कई काम ऑनलाइन शुरू किए हैं. वहीं जयपुर विकास प्राधिकरण ने भूखंड का पट्टा लेना हो, नाम हस्तांतरण, भूखंड का पुनर्गठन और लीज मुक्ति प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की है.

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इन सुविधाओं के लिए निश्चित शुल्क निर्धारित करते हुए ई मित्र के साथ भी जोड़ा गया है. लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद पेंडेंसी इतनी है कि लोगों को मजबूरन इन सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने ही पड़ते हैं. जहां निगम में ऑनलाइन हो चुकी 22 सेवाओं में से 13 के लिए निगम ऑफिस आना पड़ रहा है तो वहीं जेडीए में भी दस्तावेज सत्यापन का काम आज भी ऑफलाइन ही हो रहा है. हालांकि यूडीएच सचिव भास्कर ए सावंत की माने तो जो ऑनलाइन सर्विसेज देनी है, उसमें निश्चित रूप से काम हुआ है. अब बिल्डिंग मैप अप्रूवल के लिए किसी को फिजिकली मैप सबमिट करने की जरूरत नहीं है.

इसी तरह 90 A की प्रक्रिया और कई सेवाएं ऑनलाइन की गई है. ताकि किसी तरह के शोषण की शिकायत नहीं आए, और पारदर्शी तरीके से काम हो जाए. उन्होंने कहा कि सुविधाओं को ऑनलाइन करने से पेपर वर्क भी स्वतः कम हो जाएगा.

प्रदेश के नगरीय निकायों को स्मार्ट राज प्रोजेक्ट के तहत विभागीय सेवाएं ऑनलाइन करनी थी. लेकिन 56 निकाय तो ऐसे हैं जहां स्मार्ट राज प्रोजेक्ट का कोई काम शुरू तक नहीं हुआ. जबकि 131 में काम शुरू तो हुआ लेकिन कुछ ही मॉड्यूल शुरू किए गए हैं. हालांकि अब ई गवर्नेंस को डेवलप करने के लिए नगरीय निकाय, नगर सुधार न्यास और विकास प्राधिकरणों में मंथन का दौर जरूर शुरू हुआ है.

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