जयपुर.वैश्विक कोरोना महामारी ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार के साथ ही साथ इसका असर त्यौहारों में भी नजर आ रहा है. कोरोना ने हर त्यौहार का रंग फीका कर दिया है. बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माने जाने वाले दशहरा का पर्व भी इस बार फीका ही रहा.
सादगी पूर्वक मनाया गया दशहरा कोरोना के चलते राजधानी जयपुर में दशहरा महोत्सव के बड़े आयोजन नहीं किए गए. शहर में सादगी पूर्वक दशहरा पर्व मनाया गया. लोगों ने गली मोहल्लों में रावण छोटे पुतलों का दहन किया गया और दशहरा का त्यौहार मनाया. शहर में सामूहिक रूप से आयोजित होने वाले रावण कार्यक्रमों को कोरोना गाइडालाइन और संक्रमण फैलने के खतरे को देखते हुए रद्द कर दिया गया.
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असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयदशमी को भी कोरोना ने अपनी आगोश में ले लिया. यही वजह है कि विजयदशमी पर इस बार रामलीला मैदान, दशहरा मैदान समेत सभी बड़े दशहरा महोत्सव रद्द करने पड़े. इस बार न तो रामलीला का मंचन हुआ और न ही भव्य रंगारंग आतिशबाजी देखने को मिली. कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोग आयोजनों से कतराते नजर आए.
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शहर के गली-मोहल्लों में बाशिंदों की ओर से छोटे-छोटे रावण के पुतले जरूर जलाएं गए. इस दौरान आदर्श नगर श्री राम मंदिर में करीब 15 फीट प्रतीकात्मक रावण के पुतले का दहन किया गया. खोले के हनुमान जी मंदिर प्रांगण में भी 11 फीट रावण के अहंकार को चकनाचूर किया गया. वहीं राजापार्क में एक मोहल्ले में छोटे रावण के पुतले का दहन कर कोरोना मुक्ति की प्रार्थना की गई.