जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में बजट पर चर्चा में अपने वक्तव्य के दौरान रवीन्द्र नाथ टैगोर की राष्ट्रवाद पर लिखी कविता पढ़ी और अपने वक्तव्य का समापन मशहूर शायर अहमद फ़राज़ के शेर के साथ किया. इस कविता में टैगोर विश्व के सभी धर्मों और जातियों को भारत में आने, यहां रहने और बसने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं.
कविता की प्रमुख पंक्तियों का हिन्दी सारांश इस प्रकार है
भारत एक ऐसी भूमि है, जहां आर्य, गैर आर्य, द्रविड़,
शक, हुण, पठान तथा मुगल इस भूमि पर एक शरीर की तरह रह रहे हैं.
भारत भूमि के दरवाजे पश्चिम के लिए खुले हैं,
भारत भूमि पर आने वाले लोग अपने साथ अपनी संस्कृति का उपहार लेकर आते हैं.
वह यहां आकर एक-दूसरे के साथ समाहित हो जाते हैं,
फिर इस भूमि को छोड़कर कहीं नहीं जाते हैं.
भारतीय मानवता के समुद्र तट पर हे आर्यों! हे हिन्दुओं! हे मुसलमानों!
आप सभी आओ और यहां रहो,