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विधानसभा में पर्यटन से जुड़े बिल पर देवनानी बोले इसे जनमत जानने के लिए भेजें...तब तक शायद पूर्णकालिक पर्यटन मंत्री मिल जाए - जयपुर हिंदी न्यूज

राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Legislative Assembly) में राजस्थान पर्यटन व्यवसाय संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी (Vasudev Devnani) ने व्यंगात्मक रूप से सरकार (Gehlot Government) पर निशाना साधा.

Vasudev Devnani, Jaipur news
देवनानी का गहलोत सरकार पर तंज

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Published : Sep 13, 2021, 6:51 PM IST

Updated : Sep 13, 2021, 10:49 PM IST

जयपुर.विधानसभा में सोमवार को राजस्थान पर्यटन व्यवसाय (सुकरकरण और विनियम) (संशोधन) विधेयक 2021 पर चर्चा हुई. इस दौरान पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने विधेयक के प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिल को 6 महीने के लिए जनमत जानने के लिए भेजना चाहिए. क्योंकि हो सकता है कि अगले 6 महीने में राजस्थान में मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाए और राजस्थान को पूर्णकालिक पर्यटन मंत्री मिल जाए जो सही प्रावधानों के साथ बिल पेश करे.

देवनानी ने कहा कि अजमेर एक पर्यटन स्थल माना जाता है. वहां दरगाह शरीफ है, पुष्कर भी है तो अन्य धार्मिक स्थल भी हैं. लेकिन उन स्थलों में से एक पर भी पिछले ढाई साल में 1 रुपया भी खर्च नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थल का विकास नहीं करना ,आय के स्रोत की चिंता नहीं करना केवल कानूनी औपचारिकता पूरी करते हुए टाइम पास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी सरकार के 2 साल बाकी ,लेकिन जो स्थितियां बनी हुई हैं पता नहीं आपको 2 साल का समय मिलेगा या नहीं मिलेगा. कब कौनसा परिवर्तन हो जाए. देवनानी के इतना कहने पर गोविंद डोटासरा ने वसुंधरा राजे को लेकर सवाल किया. इस पर देवनानी ने कहा कि आप वसुंधरा राजे की चिंता छोड़िए और सचिन पायलट को ढूंढिए कि वह कहां हैं?.

देवनानी का गहलोत सरकार पर तंज

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देवनानी ने कहा कि क्या सरकार गरीब भिखारी को लेकर कानून लाकर भ्रष्टाचार का अड्डा बनाना चाहती है. जिससे पुलिस उनसे पैसा खा सकें. भिखारी मुक्त पर्यटन स्थल होने चाहिए. ऐसा सब चाहते हैं लेकिन जयपुर को तो सरकार भिखारी मुक्त बना नही पाई, बाकी राज्य को कैसे बना पाएंगे?. देवनानी ने कहा कि अजमेर को भिखारी मुक्त बनाएं लेकिन सबसे पहले भिखारियों के पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए. अगर भिखारियों के पुनर्वास की घोषणा नहीं होती है तो यह बिल केवल एक थोथी घोषणा बनकर रह जाएगा. अगर सरकार को कुछ करना ही है तो पर्यटन पुलिस की व्यवस्था करे. पर्यटन में पुलिस है नहीं ऐसे में यह कौन तय करेगा कि यह गैर जमानती या जमानती अपराध. इन पर केस कौन दर्ज करेगा.

उन्होंने कहा कि ये जल्दबाजी में लाया हुआ बिल है. जब कोई स्थाई पर्यटन मंत्री आ जाए तो सोच-समझकर कानून लाएं. सालभर हो गया शायद अगले 6 महीने में मंत्रीमंडल विस्तार हो और इस विभाग को कोई नया मंत्री मिल जाए. डोटासरा पर व्यंग करते हुए देवनानी ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार हो जाए तो हो सकता है कि आपके भाग्य का छीका फूटे और आपको मंत्री के पद से निजात मिले. आप को अध्यक्ष पद पर निभाने के लिए पूरा मौका मिले.

विधायक संयम बोले ये बिल सरकार की हेकड़ी

राजस्थान विधानसभा में सरकार के साथ खड़े रहने वाले निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने राजस्थान पर्यटन व्यवसाय (सुकरकरण और विनियम)( संशोधन) 2021 विधेयक पर सवाल खड़े करते हुए इसे सरकार की हेकड़ी करार दिया. उन्होंने कहा कि पहले तो फैसिलिटेशन शब्द का अनुवाद सुकरकरण लिखा गया है यह सुकरकरण शब्द हमारे पल्ले नहीं पड़ा रहा है तो आम जनता के पल्ले क्या पड़ेगा?. उन्होंने कहा कि अगर अंग्रेजी के दिमाग से ही सोचकर बिल बनाते हैं और उसका अनुवाद बाद में अंग्रेजी से करते हैं तो फिर हमारे जैसे हिंदी के विद्यार्थियों से ही पूछ लेते तो हम उसका सही अर्थ बता देते.

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बिल पर बोलते हुए संयम ने कहा की बहुत अच्छा होता कि जो नागरिक अपने नागरिक अधिकारों के हनन के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे उसी प्रोस्पेक्टिव में सरकार उस मुकदमे को लेती और उसके अनुरूप निर्णय लेती. मोहम्मद हनीफ कुरैशी और कैलाश सैनी हाई कोर्ट गए थे वह भिखारी नहीं थे. उनके अपने मकान हैं और वहीं व्यवसाय करते हैं लेकिन अपने आपको उन्होंने पुलिस की कार्रवाई के बाद अपमानित महसूस किया. उस अपमान के चलते ही उन्होंने कोर्ट का रुख किया. हर कोई जानता है कि पहले मुंसिफ कोर्ट में वकील की फीस और फिर हाई कोर्ट में वकील की फीस देने के बाद उन्हें हाईकोर्ट से उन्हें अपने पक्ष में निर्णय मिला है. हाईकोर्ट ने भी उस नागरिक की बात को सही माना. संयम लोढ़ा ने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि सरकार उस एसएचओ कप्तान सिंह के खिलाफ कार्रवाई करती जिसने अपनी लिमिट से आगे जाकर चालान पेश किया जिसके लिए वो अधिकृत नहीं थे. ऐसा होने की जगह सरकार उसी थानेदार की मनोवृति से आगे चलते हुए यह बिल लेकर आ रही है. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सदन में अनाउंसमेंट करते हैं कि हम भिखारियों के कौशल का विकास करेंगे उनकी भिक्षावृति छुड़वाएंगे. दूसरी तरफ हम ऐसा बिल लेकर आते हैं.

विधायक संयम लोढ़ा का बयान

संयम ने कहा कि हम इसी समाज का हिस्सा हैं और केवल परिस्थितियां होती है जिसके चलते कोई व्यक्ति भीख मांगने पर मजबूर होता है. यह साधु संतों का या सतयुग का जमाना नहीं है कि भीख मांगने को सम्मान की नजर से देखा जाए. उन्होंने कहा कि सदन में कई सदस्यों ने यह कहा है कि भिक्षावृत्ति एक संगठित व्यापार बन चुका है, गिरोह बन चुका है. इसका मतलब यह है कि यह बिल लेकर हम पुलिस को हम एक और मौका दे रहे हैं.

Last Updated : Sep 13, 2021, 10:49 PM IST

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