जयपुर. नवरात्र के साथ ही प्रदेश में त्योहारी सीजन की शुरुआत भी हो चुकी है. ऐसे में मिलावट का काला धंधा भी तेजी से पांव पसारने लगा है. शादी-उत्सव और त्योहारों के समय मिलावटखोर औऱ भी ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं. त्योहारी सीजन में चिकित्सा विभाग शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई भी करता है, लेकिन कर्मचारियों के अभाव में मिलवट के काले कारोबार पर रोक नहीं लग पाती है.
प्रदेश में फूड इंस्पेक्टर्स की कमी के कारण मिलावटखोर खुलेआम खाद्य पदार्थों में मिलावट कर रहे हैं. हाल ही में जारी किए गए एक फूड सेफ्टी इंडेक्स में राजस्थान को 'अनसेफ' बताया गया है.
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त्योहारी सीजन के दौरान ही सबसे अधिक नकली खाद्य पदार्थ खपाए जाते हैं जिसमें पनीर, मावा और मसाले मुख्य रूप से शामिल होते हैं. हालांकि पर्व के सीजन के दौरान चिकित्सा विभाग की ओर से शुद्ध के लिए युद्ध अभियान भी चलाया जाता है लेकिन बावजूद इसके खाद्य पदार्थ में मिलावट पर रोक नहीं लग पा रही है. इसका मुख्य कारण मौजूदा समय में फूड इंस्पेक्टर्स की कमी है.
डेढ़ साल पहले निकाली गई थी भर्ती
राज्य सरकार की ओर से तकरीबन डेढ़ साल पहले फूड इंस्पेक्टर की भर्ती निकाली गई थी लेकिन इंटरव्यू नहीं आयोजित होने के चलते फूड इंस्पेक्टर्स की जॉइनिंग ही नहीं हो पाई. ऐसे में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान भी प्रभावित हो रहा है.
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98 फूड इंस्पेक्टर की भर्ती अटकी
राजस्थान में तकरीबन 50 लाख कारोबारी खाद्य सामग्री के विक्रय और निर्माण से जुड़े हुए हैं. वहीं सिर्फ 73 खाद्य सुरक्षा अधिकारी ही फील्ड में मौजूद हैं और 98 फूड इंस्पेक्टर की निकाली गई भर्ती आज तक पूरी नहीं हो पाई जिसके चलते शहर के बाहरी क्षेत्रों में मिलावट को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही.
फूड सेफ्टी में राजस्थान अनसेफ
फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से हाल ही में फूड इंडेक्स को लेकर एक रैंकिंग जारी की गई थी जिसमें राजस्थान को 18वें पायदान पर रखा गया है. यानी चिकित्सा विभाग की ओर से मिलावट को लेकर जो रोकथाम के दावे किए जा रहे हैं वह फेल साबित हो रहे हैं. इस रैंकिंग में राजस्थान को सिर्फ 38 अंक मिले हैं. हालांकि फूड सेफ्टी को लेकर राजस्थान में एक बिल भी पारित किया गया है जिसमें जुर्माने के साथ-साथ अब सजा का प्रावधान भी किया गया है.