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विशेष: लॉकडाउन से सूनी सड़कों की सुखद तस्वीर, बची लगभग 300 जिंदगियां

कोरोना की रोकथाम के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बीच राजस्थान से राहत की खबर है. प्रदेश में होने वाले सड़क हादसों में गिरावट दर्ज की गई है. यूं तो प्रतिदिन सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या औसतन 10 के करीब है. लेकिन लॉकडाउन में हुए सड़क हादसों में 22 मार्च से 30 अप्रैल के बीच मौतों की संख्या केवल 3 रही है.

लॉकडाउन से सड़क हादसों में आई कमी, Lockdown reduces road accidents
लॉकडाउन से सड़क हादसों में आई कमी

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Published : Apr 30, 2020, 4:30 PM IST

Updated : May 1, 2020, 12:18 PM IST

जयपुर. कोरोना वायरस के कारण देशभर में जारी लॉकडाउन के बीच राहत की खबर है. रोजाना होने वाले सड़क हादसों के ग्राफ में कमी दर्ज की गई है. कुछ छोटे-मोटे हादसों को छोड़ दिया जाए तो लॉकडाउन के दौरान किसी बड़ी दुर्घटना की खबर नहीं मिली, जो कि प्रदेश की एक सुखद तस्वीर को पेश करती है.

लॉकडाउन के बाद राज्य में कई दुखद खबरें और चिंताजनक हालात के बीच जहां प्रदूषण का स्तर कम हुआ. वहीं, सड़क दुर्घटना के आंकड़ों में भी कमी दर्ज की गई. गौरतलब है कि राजस्थान में बीते कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर सड़क हादसे हुए थे, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी. इन हालात में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास समेत रोड सेफ्टी पर काम कर रहे संगठनों ने भी अपनी चिंता जताई थी.

लॉकडाउन से सड़क हादसों में आई कमी

लॉकडाउन में वाहनों पर पाबंदी

सड़कों पर लॉकडाउन के चलते वाहनों की आवाजाही सीमित हो गई है. जिससे सड़क हादसों के रिकॉर्ड में भी गिरावट दर्ज की गई है. राज्य में सालाना 10 हजार से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती रही है. वहीं, लॉकडाउन की अगर बात की जाए तो इन हादसों की संख्या ना के बराबर है. यह भी सब जानते हैं कि लॉकडाउन के दौरान किसी तरह से निजी वाहनों को बाहर निकलने पर प्रतिबंधित किया गया था.

इसके अलावा संस्थानों से जुड़े संसाधनों की आवाजाही पर भी पूरी तरह से रोक थी. ऐसे में निजी वाहनों की संख्या सड़कों पर कम होने के कारण और स्कूल या किसी प्राइवेट संस्थान से जुड़े परिवहन के संसाधनों को रोके जाने के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन में इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन लॉकडाउन की अवधि में सड़कों पर नहीं आए. यही वजह रही कि हादसों में बड़ी गिरावट देखी गई.

लॉकडाउन में कम हुए हादसे

राजस्थान में 63 फीसदी हादसे हाईवे पर

लॉकडाउन से पहले का आंकड़ा बताता है कि प्रदेश में होने वाले सड़क हादसों में कुल मौतों का 63 फीसदी हिस्सा नेशनल और स्टेट हाईवे पर होता है. वहीं इनमें से 35 फीसदी लोग नेशनल हाईवे पर होने वाले हादसों का शिकार होते हैं. जबकि मेगा हाईवे पर होने वाले हादसे में सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है.

एक अनुमान के मुताबिक राजस्थान में कुल वाहनों की संख्या 1 करोड़ 60 लाख है. वहीं, प्रतिदिन होने वाले हादसों में मरने वालों की संख्या औसतन 10 के बराबर रहती है. इसी तरह साल भर में 10 हजार से ज्यादा लोग सड़क हादसों की भेंट चढ़ जाते हैं.

सड़कों पर देखने को मिल रही सुखद तस्वीर

सड़क हादसों में सालाना 10 हजार की मौत

सड़क सुरक्षा को लेकर काम करने वाले एक संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन के मुताबिक देश में रोजाना 415 लोगों की सड़क हादसों में मौत होती है. 1 साल में यह आंकड़ा डेढ़ लाख से भी ज्यादा का है. वहीं, राजस्थान में भी सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या सालाना 10 हजार से ज्यादा की है. लेकिन इस बार लॉकडाउन में हुए सड़क हादसों में 22 मार्च से 30 अप्रैल के बीच मौतों की संख्या 3 रही.

देश में रोजाना 413 लोग दुर्घटना का शिकार

सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार अगर देश में रोजाना सड़क हादसे में मौत का औसत निकाला जाए तो दुर्घटना में 413 लोग मर जाते हैं. वहीं, राजस्थान में प्रतिदिन सड़क हादसों में मारे जाने वालों की औसत संख्या 10 है. ऐसे में लॉगडाउन की समयावधि की बात करें तो राज्य में 1 महीने के लॉकडाउन के दौरान लगभग तीन सौ लोगों की जिंदगी बच गई है.

Last Updated : May 1, 2020, 12:18 PM IST

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