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Special: कोरोना के डर से रिश्तों में आई खटास, बुजुर्ग माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ने को मजबूर हुए बच्चे

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Published : Aug 8, 2020, 11:04 PM IST

कोरोना महामारी ने आम जन जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, लेकिन इसका बड़ा असर सामाजिक परिवार पर भी दिखा. जिन घरों में बच्चे और बुजुर्ग रहते हैं, उन घरों में बच्चों को वायरस से बचाने के लिए बुजुर्ग माता-पिता को वृद्धा आश्रम छोड़ना चाहते हैं. यही वजह है कि पिछले दिनों में बुजुर्गों को वृद्धा आश्रम छोड़ने के लिए होने वाली पूछताछ में बड़ी तेजी से इजाफा देखा गया.

Corona virus Jaipur old age home
बुजुर्गों पर भारी कोरोना वायरस

जयपुर. कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी में भी औलाद अपने बड़े मां-बाप को सिर्फ इस लिए वृद्ध आश्रम में छोड़ना चाहते है कि, क्योंकि उन्हें लगता है कि कोरोना का वायरस बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा घातक है. उनके बच्चों को इसका असर नहीं पड़े इसके लिए वो 9 महीने कोख में रख जन्म देने वाली मां और उंगकी पकड़ कर चलना सिखाने वाले पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ना चाहते हैं.

नारी चेतना समिति की सेकेट्री सुधा मित्तल बताती है कि, कोरोना संक्रमण के बड़े खतरे के बीच इन दिनों बुजुर्ग माता-पिता को वृद्धा आश्रम में छोड़ने को लेकर पुछताछ में इजाफा हुआ है. जहां कोरोना वायरस के पहले महीने में एक या दो लोगों की ओर से ही पूछताछ होती थी. वहीं अब हर महीने 8 से 10 कॉल आ रहे हैं, कारण स्पष्ट है की, बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को साथ नहीं रखना चाहते.

बुजुर्गों पर भारी कोरोना वायरस

कोरोना काल में बुजुर्ग और बच्चों को ज्यादा मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है. कई लोग ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए अपने बुजुर्ग माता-पिता को वृद्धा आश्रम छोड़ना चाहते हैं. इतना ही नहीं वृद्ध आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों से उनके बेटे बहू और परिवार वाले कोरोना वायरस की वजह से दूरी बना ली है.

वहीं अब बुजुर्गों को लगता है कि, इनका परिवार इनसे दूर हो गया है. जयपुर के वृद्ध आश्रम में रहने वाली संध्या (बदलाव हुआ नाम) की उम्र 80 के ऊपर हो चुकी है. वह पिछले 12 साल से इस आश्रम में रह रही है. बेटा कभी कभार मिलने आजाता था, लेकिन कोरोना से संकट चलते अब उन लोगों ने भी आना बंद कर दिया है, और उन्होंने दूरी बना ली है.

वृद्धा आश्रम में बच्चों की राह तकते बुर्जुग

जयपुर के अपना घर के रहने संध्या अकेली नहीं है, बल्कि ऐसे 23 से ज्यादा वृद्ध यहां रहते हैं. कोरोना वायरस में बुजुर्गों के हालात और दयनीय बना दिया है. इसके अलावा काफी लोग अपने बुजुर्गों माता-पिता को यहां छोड़ना चाहते हैं, लेकिन इन सब के बीच बड़ा सवाल यही है की क्या? कोरोना का वायरस हमारे जीवन में इतना खतरनाक हो गया है की हम अपने ही जन्म दाता को घर से निकालने पर आमादा हैं.

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प्रदेश में 44 वृद्धा आश्रम हो रहे संचालित

राजस्थान में 44 वृद्धा आश्रम संचालित हैं. उनमें 2 आश्रम सरकार के स्तर पर तो 42 आश्रम सरकारी अनुदान पर संचालित हैं. हालांकि प्रदेश में वृद्धा आश्रम की संख्या ज्यादा है. बाकी आश्रम सामाजिक संगठनों के अपने प्रयास से संचालित हो रहे हैं. जो भामाशाह के सहयोग से ट्रस्ट की ओर से संचालित किए जा रहे हैं.

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यह है, वृद्धा आश्रम के नियम

प्रदेश में वृद्धा दो तरहं से संचालित होते हैं. पहला राज्य सरकार की ओर से स्थाई ओल्ड डेज होम, दूसरा सरकार के अनुदान पर चलने वाले वृद्धा आश्रम, प्रदेश में दोनों तरह के कुछ 44 वृद्धाश्रम संचालित हैं, जिनकी मोनेटरिंग सामाजिक न्याय विभाग की ओर से की जाती है.

इसके अलावा NGO के माध्यम से भी वृद्धाश्रम संचालित किए जाते हैं. यह आश्रम भामाशाह की ओर से दिए हुए डोनेशन से संचालित होते हैं. प्रदेश में इनकी कुल संख्या 75 से ऊपर है, हालांकि ये किसी विभाग के सीधे तौर पर अधीन नहीं होते इस लिए इनकी वास्तविक संख्या कितनी है. उसका आंकलन करना मुश्किल है.

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