जयपुर.कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ उन मकान मालिकों को भी बहुत बड़ा झटका दिया है, जो कमरे और दुकान किराए पर दिया करते थे. 23 मार्च से 31 मार्च तक के 70 दिनों के लॉकडाउन के बीच सैकड़ों परिवार अपने गृह जिले लौट गए. ऐसे में किराए पर देने वाले मकान और दुकान दोनों किरायेदार के आने की राह देख रहे हैं.
पहले लोग किराए पर मकान और दुकान के लिए राजधानी में जिस तरह भटका करते थे, ठीक उसी तरह आज मकान मालिक किरायेदारों के लिए भटक रहे हैं. राजधानी के पोश एरिया सी-स्कीम और राजापार्क हो या स्टूडेंट हब गोपालपुरा बायपास, यहां तक की परकोटे में भी सैकड़ों की संख्या में घरों और दुकानों के बाहर टू-लेट के बोर्ड लगे हुए हैं. जो लोग गांव, दूसरे शहर और अन्य राज्यों से जयपुर में रोजगार या पढ़ने के लिए आए हुए थे, उनमें से बहुत से अपने गृह जिले जा पहुंचे हैं. जिससे यहां खाली मकानों की संख्या बढ़ गई है.
मकान मालिक तलाश रहे किरायेदार...
अब मकान मालिक किरायेदारों की तलाश कर रहे हैं. इनमें कुछ मकान मालिक तो ऐसे हैं, जिनका मुख्य व्यवसाय ही प्रॉपर्टी को किराए पर देने का था. आज उनके पास प्रॉपर्टी तो है, लेकिन उसमें रहने के लिए किरायेदार नहीं हैं. ऐसे में फिलहाल मकान मालिकों की जेब खाली ही है.
सरकार से राहत की उम्मीद...
इन मकान मालिकों की मानें तो कोरोना से पहले बाहर से आए कामगार और छात्र उनके कमरों में रहा करते थे, लेकिन कॉलेज बंद होने और शहर में रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं होने की वजह से वो दोबारा गृह जिले लौट गए हैं. कोरोना के कारण जो आजीविका का साधन था, वो बिल्कुल खत्म हो गया है. वहीं, किराये पर मकान देनेवाले दुखी मन से कहते हैं कि सरकार कामगार और उद्योगपतियों पर तो ध्यान दे रही है, लेकिन मध्यम वर्ग को राहत नहीं दे रही है.