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Interview : समाज को आईना दिखाती डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा की किताब 'गुमसुम अल्लाह चुप-चुप राम'

जयपुर जिला ग्रामीण के डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा ने लोगों को बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करने का संदेश देते हुए एक किताब लिखी है. इस उपन्यास का शीर्षक उन्होंने 'गुमसुम अल्लाह चुप-चुप राम' दिया है. इसमें उन्होंने 25 वर्षों की पुलिस सेवा के दौरान लोगों के बुजुर्ग माता-पिता की वेदना का संकलन किया है.

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समाज को आइना दिखाती डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा की किताब 'गुमसुम अल्लाह चुप-चुप राम'

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Published : Dec 13, 2020, 9:20 PM IST

जयपुर.जिला ग्रामीण के डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा ने लोगों को बड़े बुजुर्गों का सम्मान करने का संदेश देते हुए एक उपन्यास लिखा है, जिसका शीर्षक उन्होंने 'गुमसुम अल्लाह चुप-चुप राम' दिया है. 25 वर्षों की पुलिस सेवा के दौरान सामने आए कई ऐसे मामले हैं, जिस पर डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा द्वारा उपन्यास की रचना की गई है. सभी धर्म ग्रंथों में यह बात लिखी गई है कि बुजुर्ग माता-पिता और घर के अन्य बुजुर्गों का आदर सम्मान करना चाहिए और उनसे पूरी इज्जत के साथ पेश आना चाहिए. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए इस उपन्यास को लिखा गया है और समाज में लोगों को एक महत्वपूर्ण संदेश देने का प्रयास किया गया है.

समाज को आइना दिखाती डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा की किताब 'गुमसुम अल्लाह चुप-चुप राम'

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी पुलिस सेवा के दौरान यह अनुभव किया है कि मध्यम वर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय लोगों को लेकर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं. कई धारावाहिक बनाए जा चुके हैं, लेकिन जो समाज का धनाढ्य वर्ग या उच्च कुलीन वर्ग हैं, उसके बारे में किसी ने भी कहीं कोई जिक्र नहीं किया है. धनाढ्य वर्ग या उच्च कुलीन वर्ग के लोगों के मकानों की चारदीवारी के अंदर उनके माता-पिता किस स्थिति में है. इस पर आज तक किसी ने कुछ भी प्रकाश नहीं डाला है.

समाज को आइना दिखाती डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा की किताब 'गुमसुम अल्लाह चुप-चुप राम'

डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा ने बताया कि अपनी पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई आला अधिकारियों, न्यायविदों और धनाढ्य वर्ग के लोगों के घर में तमाम भौतिक सुविधाओं के होते हुए भी उनके माता-पिता को तन्हाइयों का शिकार होते हुए देखा है. डीएसपी शर्मा का कहना है कि इंसान को जन्म देने वाला ही भगवान है और वही भगवान घर के एक कोने में गुमसुम पड़ा है, जिसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने उपन्यास का शीर्षक 'गुमसुम अल्लाह चुप-चुप राम' रखा है.

कई संस्मरण रोंगटे खड़े कर देते हैं

डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा ने बताया कि जब वह सोडाला थाने में थाना अधिकारी के पद पर कार्यरत थे, तो उस समय का एक ऐसा संस्मरण है, जिसे याद कर उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस दौरान वह एक बुजुर्ग से संपर्क में आए जिनके दोनों बच्चे अमेरिका में रहते थे और उन बुजुर्गों की सार संभाल करने वाला कोई नहीं था. बुजुर्ग माता-पिता का दुख दर्द जानने के लिए अमेरिका में सेटल बच्चे कभी-कभी फोन किया करते थे और ममत्व के कारण बुजुर्ग दंपति बच्चों को अपने सही होने की बात कह दिया करते थे. एक अकेलापन उस बुजुर्ग दंपति को खाए जा रहा था, जोकि काफी सोचनीय विषय है.

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डीएसपी शर्मा ने बताया कि राजस्थान पुलिस द्वारा जिस सीनियर सिटीजन एप का निर्माण किया गया है. वह बुजुर्गों के लिए काफी लाभप्रद साबित हो रही है. जिन बुजुर्ग मां-बाप को छोड़कर उनके बच्चों ने अपना घर अलग बना लिया है, उन बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल करने के लिए राजस्थान पुलिस सीना तान कर और हाथ जोड़कर खड़ी है.

जिन्होंने आप को जन्म दिया उन्हें कभी मत भूलिए

डीएसपी सुनील प्रसाद शर्मा का कहना है कि उन्होंने अपने इस उपन्यास के माध्यम से लोगों को यह संदेश देने का काम किया है कि जिन माता-पिता ने आप को जन्म दिया है, उन्हें कभी मत भूलिए. उनके अरमानों का, एहसासों का और इच्छाओं का पूरा ख्याल रखिए. आप को जन्म देने वाली माता-पिता ही भगवान है और आप यदि उन्हें खुश रखेंगे, तो भगवान आपको मंदिर से स्वयं आशीर्वाद देंगे. उपन्यास में एक कविता के माध्यम से उन्होंने समाज के हर व्यक्ति को संदेश देते हुए लिखा है कि-

''रोज चूमते मंदिर की चौखट, भोग लगाते सुबह शाम..

पांचों वक्त नमाजी बनकर, रब को करते झुक कर सलाम..

पर घर के अंदर झांक कर देखो, अन्नदाता कहां पर पड़े हैं..

कोने कोने में दुबके हैं, गुमसुम अल्लाह चुप-चुप राम...''

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