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Published : Jan 1, 2020, 8:34 PM IST

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स्पेशल रिपोर्ट : 2019 इंतजार में बीत गया, अब जयपुर के इन ड्रीम प्रोजेक्ट्स को लेकर 2020 पर निगाहें टिकी

साल 2019 की शुरुआत प्रदेश में कांग्रेस सरकार के साथ हुई थी. अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली इस सरकार से शहरवासियों को उम्मीद थी कि विकास से जुड़े जितने भी प्रोजेक्ट अधूरे हैं, उन्हें 2019 में गति मिलेगी और इनका अंतिम स्वरूप भी सामने आएगा. लेकिन साल बीतने के साथ-साथ इन उम्मीदों पर भी पानी फिरता हुआ दिखा. देखिए जयपुर से ये खास रिपोर्ट...

dream projects of Jaipur, जयपुर द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट, जयपुर रिंग रोड़ प्रोजेक्ट
uncompleted projects of jaipur in 2019

जयपुर. शहर की राह आसान हो, लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए सरकार समय-समय पर विभिन्न प्रोजेक्ट्स लाती रहती है. इन सभी प्रोजेक्ट्स में कुछ चुनौतियां भी होती हैं. जिन पर पार पाने का प्रयास किया जाता है. कुछ प्रोजेक्ट एक ही सरकार के कार्यकाल में पूरे हो जाते हैं. तो कुछ को दूसरी सरकार को संभालना पड़ता है.

यही हालात इस वक्त राजधानी के कई बड़े प्रोजेक्ट का है. जो बीजेपी सरकार के समय शुरू तो हुए, लेकिन अब तक पूरे नहीं हो सके हैं. इनमें द्रव्यवती नदी, रिंग रोड, एलिवेटेड रोड, मेट्रो फेज वन बी पार्ट और स्मार्ट रोड जैसे काम अभी तक अपने अंतिम स्वरूप के लिए तरस रहे हैं.

2019 में अधूरे रह गए कई प्रोजेक्ट्स, 2020 में रहेगी इनके पूरा होने की उम्मीद

द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट
शहर के बड़े प्रोजेक्ट में शामिल द्रव्यवती नदी का काम 11 अप्रैल 2016 को शुरू हुआ था. जिसकी लागत 1 हजार 676 करोड़ बताई जाती है. 47 किलोमीटर बनने वाली इस द्रव्यवती नदी के काम की धीमी गति का खामियाजा बारिश में शहरवासियों को भी भुगतना पड़ा. जेडीए अधिकारियों के अनुसार 90 फ़ीसदी काम पूरा हो चुका है, शेष काम जल्द पूरा हो जाएगा. लेकिन अभी प्रोजेक्ट का काम ठेकेदारों के लंबित चल रहे भुगतान के चलते ठप पड़ा है.

रिंग रोड प्रोजेक्ट
18 जनवरी 2018 को रिंग रोड प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ था. 47 किलोमीटर लंबाई वाली रोड का 85 फ़ीसदी काम पूरा हो चुका है. हालांकि अभी जयपुर को 15 महीने का और इंतजार करना पड़ेगा. 810 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट का स्वरूप क्लोवर लीफ नहीं बनने के चलते बिगड़ा हुआ है. हादसों को रोकने के लिए आगरा रोड, टोंक रोड और अजमेर रोड पर ये क्लोवर लीफ बनने हैं, लेकिन अभी तक कहीं भी इसका काम शुरू नहीं हो पाया है.

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एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट
साल 2016 में सोडाला के ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए, हवा सड़क से अंबेडकर सर्किल तक एलिवेटेड रोड बनाने का काम शुरू किया गया था. 250 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट में अभी करीब 1 साल का समय और लगेगा. हाल ही में एलिवेटेड रोड के नीचे आ रही महात्मा ज्योतिबा राव फुले की प्रतिमा को भी शिफ्ट किया गया है. जिसके बाद माना जा रहा है कि अब इस प्रोजेक्ट को गति मिलेगी.

मेट्रो ट्रेन फेस वन बी पार्ट
मेट्रो ट्रेन का ये प्रोजेक्ट कांग्रेस सरकार अपने पिछले कार्यकाल में लेकर आई थी. तब मानसरोवर से चांदपोल तक फेस वन ए पार्ट का काम पूरा कर लिया गया था. इसके बाद अक्टूबर 2016 को फेस वन बी पार्ट यानी परकोटा क्षेत्र में भूमिगत मेट्रो का काम शुरू हुआ. 1 हज़ार 126 करोड़ लागत वाले इस प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार के कारण इसकी डेडलाइन लगातार बदलती गई. हालांकि कांग्रेस सरकार ने अपने बजट घोषणा में इसी वित्तीय वर्ष में भूमिगत मेट्रो को शुरू करने का दावा किया है. फिलहाल इसके ट्रायल का दौर शुरू हो गया है.

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स्मार्ट सिटी स्मार्ट रोड प्रोजेक्ट
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 192 करोड़ की लागत से शहर की 9 रोड को स्मार्ट बनाने का काम किया जाना है. लेकिन अब तक किशनपोल बाजार का काम ही पूरा कहा जा सकता है. जबकि 2019 में जिस चांदपोल बाजार में स्मार्ट रोड का काम शुरू हुआ था, लेकिन पूरे साल में महज एक तरफ की रोड का काम ही पूरा हो पाया है. जबकि बाकी सात रोड को अब तक टच भी नहीं किया गया.

बहरहाल, इन सभी प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस सरकार की संजीदगी साल 2019 में धरी की धरी रह गई. हालांकि यूडीएच मंत्री ने हर एक प्रोजेक्ट का रिव्यु भी किया है. ऐसे में अब राज्य सरकार से शहरवासियों की उम्मीद बंधी है. और निगाहें 2020 पर टिकी हैं.

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